***-- राहु ..छत में बंधा कुत्ता...आ बैल मुझे मार..
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ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणियों के साथ समस्या यह होती है कि जातक व पाठक को सबकुछ कहीं लिखा हुआ ही चाहिए होता है....स्वयं अनुभूत तथ्यों पर उसकी आस्था नही होती,,,व दूसरे के अनुभवों पर कुतर्क करने के लिए फ़ेसबुक यूनिवर्सिटी व व्हाट्सअप विश्वविद्यालय से डिग्री किया हुआ ज्योतिषी सबसे पहले फांद कर आगे आता है......यही कारण रहा कि मैं पिछले 15 वर्षों के अपने अनुभव को सूत्रों के रूप में शेयर करने में कंजूसी दिखाता हूँ.... जानता हूं कि उन सूत्रों का इस मायाजाल में कोई महत्व नही होने वाला...किन्तु स्वयं की प्रैक्टिस में निस्संकोच उन सूत्रों को अमल में लाता हूँ,, व कहते हुए कोई संकोच नही कि उन्ही सूत्रों के दम पर मेरी रोजी रोटी बहुत इत्मीनान व सम्मान से चल रही है...मेरे इन्ही सूत्रों ने मुझे कैनाडा,, अमेरिका आदि तक मे परमानैंट जजमान दिलवाए हैं....
मेरे पड़ोस में एक परिवार आकर बसा है,,,वैसे मैं खुद अधिकतर अपने ऑफिस के दबड़े में दुबका रहने वाला इंसान हूँ,,किसी अन्य को क्या दोष दूँ,,,किन्तु पड़ोस में बसे परिवार के बालकों तक ने भी कभी दुआ सलाम,,पंडित जी प्रणाम कहने की जहमत नही उठाई है..खैर किस्सा यह है उनकी छत में अधिकतर दो तीन कुत्ते बंधे रहते हैं,,जो लगातार भौंकते व रोते रहते हैं...मुझे शिद्दत से पता है कि यदि किसी जातक की कुंडली मे राहु अष्ठम भाव अथवा भावेश को किसी भी रूप में प्रभावित कर रहा हो,,,संबंध बना रहा हो,,तो घर की छत में कुत्ता बांधना,,व कुत्ते का वहां रोना बहुत घातक दुष्परिणाम उत्पन करने में सक्षम होता है...ये राहु को बिगाड़ने का काम करता है,,,,आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ करता है..घर का मुखिया अथवा कोई सदस्य ऐसा होने के 120 दिनों के भीतर दुर्घटना अथवा किसी घातक रोग का शिकार होता ही होता है....ये वर्षों से अनुभूत तथ्य है मेरा...लिखा हुआ दिखाने को कहेंगे तो मैं नमस्ते बोलकर आगे बढ़ लूंगा...
हां तो हुआ यह कि मेरी बहुत इच्छा हुई पड़ोस में बसे परिवार को इस बाबत सूचित करूँ.. किन्तु उन लोगों के आचरण व्यवहार से लगा नही कि धर्म के किसी भी रूप में उनकी किसी प्रकार की आस्था होगी,,,अतः मन मसोज कर रह गया.. कुछ समय पश्चात एक दिन अचानक उनके घर से बहुत शोर सुनने को मिला...मालूम हुआ एम्बुलेंस आयी हुई है,,उनकी माताजी छत से गिर कर बेहद खतरनाक तरीक़े से घायल हो गयी हैं..मेरी दृष्टि तुरंत उनकी छत पर गयी,,,तीन तीन राहु देव् मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे...मैं जानता था राहु अपना काम कर गया....हृदय को दुख हुआ...मैं रोक सकता था,,कम से कम सचेत तो कर ही सकता था उन्हें...नही कर पाया,,,कारण कुछ भी रहा हो....किन्तु अब उस भूल को सुधारता हूँ,, सुधारना चाहता हूं....अतः अपने प्रिय पाठकों को सूचित कर रहा हूँ,,,घर मे किसी भी सदस्य के अष्ठम भाव,, भावेश से कैसा भी संबंध राहु का बनता हो तो कृपया अपनी छत में कुत्ता न बांधे.....छत में चिड़ियाओं के लिए दाना बिखेरें.….वे राहु की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय करती हैं....कुत्ता उन्हें डराता है,,वे उड़ जाती हैं...
इस विषय पर आप लोगों का कोई अनुभूत अनुभव हो तो कृपया बताएं...लेख के बारे के आपकी अमूल्य राय से भी अवगत कराएं...आप सुधि पाठकों का प्रोत्साहन मुझे आपके साथ अपने अनुभव बांटने के लिए प्रोत्साहित करेगा....सादर प्रणाम..
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ज्योतिष संबंधी भविष्यवाणियों के साथ समस्या यह होती है कि जातक व पाठक को सबकुछ कहीं लिखा हुआ ही चाहिए होता है....स्वयं अनुभूत तथ्यों पर उसकी आस्था नही होती,,,व दूसरे के अनुभवों पर कुतर्क करने के लिए फ़ेसबुक यूनिवर्सिटी व व्हाट्सअप विश्वविद्यालय से डिग्री किया हुआ ज्योतिषी सबसे पहले फांद कर आगे आता है......यही कारण रहा कि मैं पिछले 15 वर्षों के अपने अनुभव को सूत्रों के रूप में शेयर करने में कंजूसी दिखाता हूँ.... जानता हूं कि उन सूत्रों का इस मायाजाल में कोई महत्व नही होने वाला...किन्तु स्वयं की प्रैक्टिस में निस्संकोच उन सूत्रों को अमल में लाता हूँ,, व कहते हुए कोई संकोच नही कि उन्ही सूत्रों के दम पर मेरी रोजी रोटी बहुत इत्मीनान व सम्मान से चल रही है...मेरे इन्ही सूत्रों ने मुझे कैनाडा,, अमेरिका आदि तक मे परमानैंट जजमान दिलवाए हैं....
मेरे पड़ोस में एक परिवार आकर बसा है,,,वैसे मैं खुद अधिकतर अपने ऑफिस के दबड़े में दुबका रहने वाला इंसान हूँ,,किसी अन्य को क्या दोष दूँ,,,किन्तु पड़ोस में बसे परिवार के बालकों तक ने भी कभी दुआ सलाम,,पंडित जी प्रणाम कहने की जहमत नही उठाई है..खैर किस्सा यह है उनकी छत में अधिकतर दो तीन कुत्ते बंधे रहते हैं,,जो लगातार भौंकते व रोते रहते हैं...मुझे शिद्दत से पता है कि यदि किसी जातक की कुंडली मे राहु अष्ठम भाव अथवा भावेश को किसी भी रूप में प्रभावित कर रहा हो,,,संबंध बना रहा हो,,तो घर की छत में कुत्ता बांधना,,व कुत्ते का वहां रोना बहुत घातक दुष्परिणाम उत्पन करने में सक्षम होता है...ये राहु को बिगाड़ने का काम करता है,,,,आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ करता है..घर का मुखिया अथवा कोई सदस्य ऐसा होने के 120 दिनों के भीतर दुर्घटना अथवा किसी घातक रोग का शिकार होता ही होता है....ये वर्षों से अनुभूत तथ्य है मेरा...लिखा हुआ दिखाने को कहेंगे तो मैं नमस्ते बोलकर आगे बढ़ लूंगा...
हां तो हुआ यह कि मेरी बहुत इच्छा हुई पड़ोस में बसे परिवार को इस बाबत सूचित करूँ.. किन्तु उन लोगों के आचरण व्यवहार से लगा नही कि धर्म के किसी भी रूप में उनकी किसी प्रकार की आस्था होगी,,,अतः मन मसोज कर रह गया.. कुछ समय पश्चात एक दिन अचानक उनके घर से बहुत शोर सुनने को मिला...मालूम हुआ एम्बुलेंस आयी हुई है,,उनकी माताजी छत से गिर कर बेहद खतरनाक तरीक़े से घायल हो गयी हैं..मेरी दृष्टि तुरंत उनकी छत पर गयी,,,तीन तीन राहु देव् मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे...मैं जानता था राहु अपना काम कर गया....हृदय को दुख हुआ...मैं रोक सकता था,,कम से कम सचेत तो कर ही सकता था उन्हें...नही कर पाया,,,कारण कुछ भी रहा हो....किन्तु अब उस भूल को सुधारता हूँ,, सुधारना चाहता हूं....अतः अपने प्रिय पाठकों को सूचित कर रहा हूँ,,,घर मे किसी भी सदस्य के अष्ठम भाव,, भावेश से कैसा भी संबंध राहु का बनता हो तो कृपया अपनी छत में कुत्ता न बांधे.....छत में चिड़ियाओं के लिए दाना बिखेरें.….वे राहु की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय करती हैं....कुत्ता उन्हें डराता है,,वे उड़ जाती हैं...
इस विषय पर आप लोगों का कोई अनुभूत अनुभव हो तो कृपया बताएं...लेख के बारे के आपकी अमूल्य राय से भी अवगत कराएं...आप सुधि पाठकों का प्रोत्साहन मुझे आपके साथ अपने अनुभव बांटने के लिए प्रोत्साहित करेगा....सादर प्रणाम..
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