याज्ञवल्कय के अनुसार नई दुल्हन विवाह होने के प्रथम वर्ष के भीतर ज्येष्ठ ,आषाढ़ व मलमास में यदि अपने ससुराल में निवास करती है तो क्रमश अपने जेठ ,सास ससुर व स्वयं का नाश करती है . इसी प्रकार यदि कन्या चैत्र मॉस में मॉस में अपने पिता के घर निवास करती है तो पिता की हानि होती है.