सोमवार, 6 अप्रैल 2015

Dhan sukh..... कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव :सप्तम - पैसे का केंद्र


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ज्योतिष शाश्त्र के सिद्धांत में हमें सामान्यतः चार केंद्र व दो त्रिकोण भाव की जानकारी दी गई है एवं एकादश व द्वितीय भाव धन को आपरेट करने वाले भाव कहे गए हैं। किन्तु कई बार मन में संशय आता है कि केंद्र को शुभ स्थान कहते हुए भी सप्तम को अथवा सप्तमेश को मारक क्यों कहा गया है ? सोचने वाली बात है…… सोचिये …
                         आठवां भाव आयु का भाव कहा गया है व इस समीकरण में सप्तम भाव अष्ठम भाव के लिए व्यय अर्थात बारहवें भाव का रोल निभाता है ,आयु की यात्रा का अंतिम पड़ाव है ,इसलिए मारक है .... यानि आयु के लिए मारक है …किन्तु ये तो दाम्पत्य भाव है व केंद्र होने से शुभ भाव है ....फिर मारक क्यों ?चक्कर क्या है ?तो ये शुभ भाव है …किन्तु मारक माना गया है....... तो असल में शुभ होकर अशुभ है …… नहीं नहीं अशुभ होकर शुभ है .......  अब आप कह रहे होंगे पंडित जी आप उलझा रहे हैं …… यकीन करें पाठकवृंद मैं स्वयं उलझ जाता था पहले इस प्रश्न पर (अब आपको उलझता पाकर भाव खा रहा हूँ..... @@@@$$%#**@@ )   
                       प्रकृति एक सीधे से सिद्धांत पर चलती है , बुरा न बनने के सिद्धांत पर..... ब्रह्माण्ड अपने सिर पर किसी भी प्रकार का दोष लेने से कतराता है ....तो फिर हम ही भला क्यों बुरा बने ,ग्रह भी यही सोच रखते हैं.…… अंत में हर बुरी बात का ठीकरा स्वयं जातक के सिर पर फोड़ने का समझौता इन सब के बीच हो गया और यजुर्वेद में जातक को सूचित भी कर दिया गया " रोगं शोकं दुःखं बन्धनम् व्यस्नानी च ,आत्मापराध वृक्षस्य् फलनेतानी तेहिनाम् "……अर्थात आज हम जो भी रोग ,शोक,दुःख बंधन आदि भुगत रहे हैं ये हमारे ही लगाये गए वृक्ष के फल हैं ....चाहे किसी जन्म में लगाया हो ये वृक्ष हमने …अर्थात ब्रह्माण्ड सबके लिए न्यूट्रल रहकर काम करता है...... भाव व भावेश को अच्छा -बुरा बनाना हमारे ही हाथ में है..... कैसे ?? आइये समझाता हूँ ....
               आदिकाल से ही धन सम्पदा (भले ही वह किसी भी रूप में रही जो )मनुष्य जीवन के लिए परमावश्यक मानी गई है, अभाव से भरा जीवन मृत्यु के ही समान है .......हम जानते हैं कि नवां भाव भाग्य का भाव है व एकादश भाव लाभ व आय का भाव है …सातवां भाव जीवन साथी का ,साझेदारी का भाव कहा गया है ....भाग्य से गणना करने पर सप्तम भाव भाग्य का लाभ है ...भाग्य जो लाभ देने वाला है उसे वह सप्तम की सहायता से प्रस्तुत करता है …आय भाव(एकादश ) अपने लाभ के लिए नवम का मुंह ताकता है (आय भाव को आय नवम से प्राप्त होती है ) किन्तु नवम तो स्वयं सप्तम पर निर्भर है ,ऐसे में एकादश भाव को भाग्य के सहारे रहना होता है (पता नहीं नवम का आय भाव उसे क्या देने वाला है जिससे आय भाव को नवम के द्वारा भविष्य में आय पर्याप्त होनी है )……सीधा सा समीकरण है..... किन्तु इस समीकरण में आय भाव यह भूल जाता है कि नवम से जिस आय के लिए वो गिड़गिड़ा रहा है ,और आगे नवम अपनी आय के लिए जिस के द्वार पर टकटकी लगा रहा है वो सप्तम भाव है व एकादश का स्वयं का भाग्य भाव है.अब सारे जीवन भर आंखमिचौली चलती है कि एकादश खुद अपने भाग्य (सप्तम ) को कैसा बनाता है,जिससे प्राप्त कर नवम ने भविष्य में एकादश को देना है …… ऐसे में नवम स्वयं एकादश के भाग्य पर निर्भर है ,कि भैय्या जैसा तू अपना भाग्य रखेगा वैसा मुझ से प्राप्त करेगा ,क्योंकि मैं तो मात्र जरिया बनूँगा तुझ तक तेरा भाग्य पहुंचाने का …
                अब  आपके जीवन में आपके जीवनसाथी का प्रवेश होता है..... चतुर्थ का चतुर्थ,  माँ की माँ , सुख का सुख , आपके लाभ (एकाद्श भाव )  का भाग्य,   नवम की आय अर्थात.... सप्तम भाव........ सारे खेल की कुंजी …आज भी पुरुष को विवाह होने पर कहा जाता है कि अपने लिए लक्ष्मी लाया है व स्त्री के लिए इसे   पूर्ण होना भी माना गया है …अतः इसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव माना जाना चाहिए …
                        ब्रह्माण्ड इसे केंद्र के शुभ रूप में ही प्रदान करता है ,अब ये हमारे ऊपर होता है कि हम इसे शुभ केंद्र बना रहने दें अथवा अपने कर्मों द्वारा  इसे आयु के व्यय के रूप में दोष पूर्ण बना लें .... अंग्रेज तक ये बात जानते हैं व मानते हैं.. तभी तो प्रत्येक सफल पुरुष के पीछे स्त्री का हाथ कहते हैं..... जिस का घर सुखी ...  ,जिस की घरवाली प्रसन्न ,जिसने अपने जीवन साथी का सम्मान करना सीखा वो बुलंदियां चढ़ा …सफलता की देवी ने उसका आलिंगन किया … यकीन न हो तो अपने आस पास नजर दौड़ाएं …सारे सफल सज्जन पुरुष आपको जोरू के गुलाम नजर आते होंगे … ऐसा नहीं है भैय्या वो जोरू के गुलाम नहीं है ,बस उन्होंने अपनी गृहलक्ष्मी का जलवा पहचान लिया है .... वो समझ चुके हैं कि सप्तम प्रसन्न तो स्वाभाविक रूप से एकादश व नवम प्रसन्न ....
                                    किन्तु ये छोटी से बात समझने में ही अच्छे अच्छे ज्ञानियों के जीवन निकल गए ,सत्य की खोज …सफलता का रहस्य ......इसी खोज में सारा जीवन कट गया किन्तु सत्य नामक चिड़िया के दर्शन ही नहीं हुए … क्यों भला ????  अरे भाई सप्तमेश व लग्नेश कभी मित्र नहीं हो पाये रे बंधू …बुद्धि ने कभी सप्तम के जलवे को सहज रूप से स्वीकार ही नहीं किया .... हाँ सदा लग्न का मित्र  रहने वाले भाग्य (नवम ) के द्वार पर आस लगा के रखी ,किन्तु भाग्य से तो कभी आय प्राप्त हो ही नहीं सकी …क्यों भला ???   क्योंकि नवमेश व आयेश कभी मित्र हुए ही नहीं ....ऊपर से तमाशा ये कि आयेश कभी लग्नेश साथ दोस्ती नहीं निभा सकता .... तो आय का सुख लग्न को क्यों दूँ ??तो कोई आय भाव से (लाभ से) ये प्रश्न करे कि  भैय्या जब लग्नेश को नहीं दूंगा ,भाग्येश को नहीं दूंगा,तो ये गठरी क्यों सिर पे लिए घूम रहा है ?? किसके लिए घूम रहा है ????…लाभ भाव मुस्कुराता है ,भाव खाने लगता है ,मानो किसी को कभी ये भेद नहीं दूंगा ,किसी को  नहीं बताऊंगा … ....हमें भी नहीं पूछना …क्यों भला ,क्यों नहीं पूछना ???  …इसलिए नहीं पूछना क्योंकि मेरे प्रबुद्ध पाठक स्वयं इस पहेली का जवाब जान गए हैं ..... पाठकवृन्द मैं गलत तो नहीं कह रहा ??? आप पहेली का उत्तर जानते हैं न ??किसके लिए आय भाव ,आयेश अपने खजाने का मुंह खोलता है ??  किस पर मेहरबान होना चाहता है ??
          कौन है वो ?????
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???????????? …………………………………………
अरे सीधा सा जवाब है
……
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.................................................
दो दूनी चार है ………………………… 
"सप्तमेश"...................... सप्तमेश जो आय भाव का.....   लाभ भाव का.…  भाग्य भी है ,सदा से परम मित्र रहा है.… आपकी धन की पोटली ,....आपका जीवनसाथी  
   (कल ही नॉएडा के हमारे मित्र और पाठक श्री देवेन्द्र जी का आदेश हुआ कि ललित जी काफी समय से कोई पोस्ट नहीं आई है,आज ही चिपकाइये …… लीजिये मित्र के आदेश पर मैं सिर के बल हाजिर …क्यों भला ?? उफ़ फिर से प्रश्न ....अरे कहा तो.....   मित्र आपके लिए आय और लाभ लेकर घूम रहा होता है ,  मित्र को भला नाराज करने का जोखिम कौन ले ) 
                    लेख के प्रति आपकी अमूल्य राय की प्रतीक्षा में आपका ही मित्र …

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31 टिप्‍पणियां:

  1. namaskar lalitji,
    aapke lekh kafi gyandayak hote hai...4-5 month se aapke vicharo ko padh raha hoon.aapke lekho ko padhkar astrology mai meri ruchi badhne lagi hai.....
    pathko ke margdharshan hetu aapko naman....

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  2. namaskar lalit ji,
    meri DOB 30-10-1979 pali (rajasthan) india ,TIME 1:15 PM hai.mera margdarshan karne ki kripa kare.....dhan or putra sambandhit samshaya nirakaran ka koi upay batane ki kripa kare......aapko naman

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    उत्तर
    1. सप्तम के नीच मंगल की नकारात्मक ऊर्जाओं ने दशम में स्थित नीच के सूर्य को पीड़ित किया है .... स्त्री अथवा पिता की ओर से स्वयं के कर्मों नकारात्मकता उत्पन्न की है …कैसे की है ये आप बताइये …अपने विवाह एवम पिता की जानकारी दीजिये,…… घर से बाहर निकलिए ,समय २०१७ एवं इसके बाद ही पूर्ण रूप से करवट लेगा ....आपकी कुंडली विदेश यात्रा की संभावनाओं को प्राप्त करती है।

      हटाएं
    2. आप सत्य है।मेरी पत्नी की और से संतान संबंधित समस्या से पीड़ित हूँ और 12/13 सालो से पिता के बीमार रहते रहने से पीड़ित हो।पारिवारिक समस्या में उलजा हुआ हूँ।विवाह को 13 साल हुआ है।।पिता सिंह राशि से और पत्नी तुला राशि की है।सिर्फ 9 साल की एक लड़की है इसके बाद संतान योग बन नही रहा है।कृपा कर कोई समाधान बताये आपकी बड़ी कृपा होगी।

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  3. नमस्कार जी,कोई गलती हो तो क्षमा।ऊपर का प्रश्न मेरा ही था।बहुत ही परेशानियो से मेरा जीवन त्रस्त है।अबकी आप मुझे निराश मत करना आपकी बड़ी कृपा होगी।मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करे।
    गणपत कुमार
    समय दोपहर 1.15 तारीख 30/10/1979
    पाली राजस्थान

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  4. बहूत आभार आपका।आपने मुझे मार्गदर्शन दिया।नीच के मंगल और सूर्य के लिए क्या करू,कृपया मार्गदर्शन करे आपकी बड़ी कृपा होगी।

    गणपत

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  5. सादर प्रणाम, बहुत ही सरल शब्दों में इतना सारा ज्ञान बिना किसी दक्षिणा के मिला। आभारी हूँ। कृपया मेरे बारे में कुछ बताने का कष्ट करें। कृपया उचित उपाय जरूर बताएं। मनो, २१/०९/१९६१, प्रातः ४ बजे, अम्बाला शहर, हरियाणा। आपका अति धन्यवाद।

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  6. guru ji meri kumbh lagna ki kundli hai lagna me guru aur budh ki yuti hai shani 10th house me hai moon 10th house me hai, 2nd house me surya aur sukra ki yuti hai mangal laabh bhav me hai rahu in 3rd and ketu in 9th house me hai abhi guru me shani ki dasha chal rahi hai mere paas kooi kaam nahi hai koi puchta nahi hai mai kya karun.
    plese help me guru ji

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  7. कृपया अपना जन्म विवरण देकर प्रश्न स्पष्ट रूप से करें

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  8. आदरणीय ललित मोहन जी सादर प्रणाम,
    इस ब्लॉग क माध्यम से बहुत कुछ जानने को mila इस क लिए हृदय से धन्यवाद
    मेरा एक प्रसन्न है की मुझे अपना जन्म समय ठीक ठीक ज्ञात नहीं है, तो क्या मेरी कुंडली बनाई जा सकती है?
    मेरा जन्म २३ मार्च १९८४ को फैज़ाबाद (उत्तर प्रदेश) में लगभग साम को ३ बजे से ५ बजे क बीच हुआ है. mai ये जानना चाहता हु की क्या मेरी सरकारी नौकरी लगेगी? यदि हा तो कब tak? मेरी पत्नी जो की 20 सितम्बर १९८३ को शाम ३ से ४ क बीच जन्म li है इन को सरकारी नौकरी मिलेगी? हमारा आगे ka जीवन यापन कैसा होगा?

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  9. लग्न में बदलाव हो रहा है ,क्या आपके पिताजी सम्बन्धी कुछ जानकारी दे सकते हैं ?सूर्य की स्थिति जानना आवश्यक है … क्या पिता अल्पआयु थे अथवा किसी अन्य कारण से उनसे बिछोह रहा

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    उत्तर
    1. aadarniya lalit mohan ji, Pranaam. atayant kam samay me uttar dene k liye dhanyavaad. chuki mera janm samay gyat na hone ki vajah se mere bare me kuch bata pana bahut se logo k liye sarthak nahi raha aur jinhone bataya bhi unka anumaan aanshik hi sahi raha. aap k baare me sun kar aur padh kar hi ye post kar raha hu ki sayad kuch sambhavan ho.

      Lalit ji mere pita ji ka naam Shri Ram Suresh Maurya hai. abhi vo lagbhag 58 varsh k honge. mere pita ji se mera koi vichobh nahi raha hai. mere pita ji abhi jivit aur swasth hai.

      thodi aur jankari aap ko mil sake is liye btana chahunga ki meri do bahne hai. ek badi aur ek choti. dono hi government job me hai. mai aur meri patni dono hi bahno se jyada padhe likhe hai lakin dono k pass government job nahi hai. umeed krta hu ki sayad ab aap mere prashno ka uttar de paye.

      Ss-Dhanyavaad

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    2. Aadarniya Lalit Mohan ji, Pranaam
      Abhi tak aap ne mere prsann ka uttar nahi diya. kya mai ye samjhu ki janm samay gyaat na hone k karan meri janm kundali bana pana ya mere bare me koi bhavishyavani kar pana asambhav hai??

      हटाएं
    3. पाठकों से अनुरोध है कि अपने प्रश्न को बार बार न दोहराएं। आपको पहले सूचित किया जा चूका है कि संस्था द्वारा प्रतिदिन पांच सवालों का चयन रॅंडम प्रक्रिया द्वारा किया जाता है। जिन प्रश्नो का चयन होता है उन्हें जवाब दिया जाता है। अन्य आप मात्र शुल्क जमा करने के पश्चात ही अपने प्रश्न का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। अपनी दैनिक कार्यप्रणाली में हमें संस्था के ऑफिस में भी पूर्वनिर्धारित अपॉइंटमेंट्स को देखना होता है व शुल्क जमा हो कर मेल -व्हाट्अप द्वारा प्राप्त प्रश्नो को भी लेना होता है। साथ ही अपना जन्म विवरण व प्रश्न साफ़ साफ़ बताएं , प्रश्न का चयन होने के पश्चात आवश्यक नहीं कि दुबारा आपके प्रश्न का चयन हो ,अतः ऐसे में कई प्रश्न आधे में ही रह जाते हैं। कृपया सहयोग करें।

      हटाएं
  10. aderneeya pandit jee koti koti pranam lekh me jis tarah se apne vyakhya ki. bahut hi achha hai.apke purane lekh bhee maine padhe hai. aap sateek vyakhya kar rahe hai. man ne prashna hai kyo mehanat karne ke bad bhee achha parinam nahi mil raha hai.kyon ashni se logo ke dwara dhag liya jata hu.kyon log asani se moorkh banate hai, man me bahut sanka rahti, logo ki bheed me samne nhi ja pata,ander ghun sa laga rahta hai, akele koi kam nhi kar pa raha hu
    karpya kar mera meri janam kundli se mere liye koi upaya batne ki anukampa kariye jisse jeewan me atm nirbhar ban sanku mera d.o.b. 15.11.1973 time 6 .00 p.m. mandla m.p. hai

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  11. shradeya pandit jee sader pranam apke kushal maragdershan se bahut se logo ko labh huaa hai.dhodi si kripa muchh par ban jai to meri samaaya ka samadhan ho jaye .kripya muchh lachar par apki kripa ka tak hogi .pandit jee muchha par kripa kariyega .koti koti pranam .vishnu

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  12. pandit jee pranam mujh se galti hui ho to chhama kar mera margdershan karne ki kripa kare.

    जवाब देंहटाएं
  13. लग्न नक्षत्र योगेश्वर कृष्ण का ,जन्म नक्षत्र ब्रह्माण्ड नायक राम का व आपका नाम स्वयं विष्णु… फिर इतनी निराशा क्यों भाई ?क्यों आप अपनी तुलना सामान्य जातकों से कर रहे हैं ? वास्तव में आप आत्मबल खो रहे हैं ,दशा जो अष्ठम में बैठे लग्नेश में नीच सूर्य की चल रही है। लग्नेश व सूर्य दोनों आत्मबल के प्रतिनिधि माने गए हैं… ऐसे में नीच सूर्य जो कि देवगुरु के नक्षत्र में हैं व बृहस्पत्ति स्वयं भाग्य में नीच हो रहे हैं ,समस्या का मूल कारण हैं, या कहें बन रहे हैं। आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ नियमित कीजिये।
    द्वादश में स्वग्रही मंगल को नीच सूर्य द्वारा अपनी उच्च राशि में देखना,विपरीत राजयोग का निर्माण कर रहा है ....मन कर्म वचन से उच्च अवस्था को प्राप्त हो आप तीन तीन ग्रहों के वक्री होने को बैलेंस नहीं कर पा रहे हो.… किसी भी कार्य को पूर्ण करने के पश्चात आगे की ओर न देखकर पीछे की ओर देखें …दाराशिकोह की कुंडली में ये योग था। शनि गुरु का षडाषटक होना विपरीत राजयोग के निर्माण को बल देते हुए कुटुंब भाव को प्रभावित करते हुए अपने ही लोगों से छल प्राप्त कराता है। कर्नाटक युद्ध में विजयी हुआ दाराशिकोह ,अपने ज्योतिषी की सलाह को नजरंदाज कर घोड़े में बैठ आगे की ओर जैसे ही बढ़ा ,वैसे ही औरंगजेब के विश्वासपात्र सैनिक ने पीछे से पीठ में छुरा घोंप दिया। आशा है आप बात समझ रहे होंगे …… माणिक धारण करें ,कार्य के समाप्त होने बाद भी उसकी प्रोग्रेस पर ध्यान दें , दूसरों पर विश्वास कर आधे से न लौटें … योग्य ब्राह्मणो की देखरेख में आदित्य ह्रदय का जाप करवाएं .... अगस्त २०१६ पश्चात हालात काबू में होंगे आपकी।

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  14. koti koti dhanyavad, avm sader pranam . iswer apko lanbi ayu pradan kare, pandit jee aap itni achhi vyakhya kar muchh per daya kiya. koti koti dhanywad. mai aap dwara diye gaye nirdesho ko shridha se palan karunga ,aapke bahut se lekh padhe hai. lekha padh ker jyotish me ruchi ho gai hai. muchhe ummeed hai aap jish tarah se jyotish ke jigyasuon ka margdershan lagatar kar rahe hai aage bhi jigyasion ko aapka margdershan rupee prashad milta rahega .
    pandit jee log kahte hai ki second bhav me yadi shani baidha ho to dhan ,our income sanbandhit badha ati hai ,aisa jyotish kahte hai. yadi sahi hai to iska niwaran kaise hota hai.
    ek bar punha koti koti pranam.
    vishnu

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  15. pandit jee sader pranam apka ak our lekh ( mnarmada mahima) bahut achha laga .lekh se mejhhe jankari milee ki narmada jal ghar me nhi lana chahie, hum mandla jile me rahte hai,jhan se mata jee hoker age badhti, hain ,mujhe jankari nhi thi ki narmada maiya ka jal ghar me rakhan chahiye ya nhi kripya mera margdarshan karne ki daya kare , apki kripa hgi

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  16. Guruji prnam, mera name-Neelima gupta, date of barth- 22-12-1967, time- 2:30am. Place-basundhra(etah). Guruji merit rahoo ki mhadash kesi hogi, merit kundali she mere bachho and pati me bare me much btaye. Dhanyvad

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  17. Guruji aapko bhut bhut dhanyvaad .apne km time me mere prashn ka answer diya.aap him SB logo ke liyea god ki trah he. Him apke abhari he.

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  18. आपको और आपकी विद्या को दंडवत प्रणाम
    आपने 8-10 महिने पहले मेरे बारे में कुछ भविष्यवाणी की थी जो अक्षरशः सत्य सिद्ध हुई आपको यदि स्मरण न हो तो आप मेरी मेल sonisudhakar@gmail. com अपने मेल बॉक्स में सर्च कीजिये आपको खुद आश्चर्य होगा खास तौर से नौकरी वाली भविष्यवाणी तो वर्ड बाई वर्ड सही साबित हुई

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  19. गुरुदेव सादर प्रणाम मुझे आपका लेख बहुत ही अच्छा लगा आपके द्वारा इसी प्रकार से हमें मार्गदर्शन मिलता रहे

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  20. गुरुदेव मेने मेरी पुत्री के बारे में पूछा था 2 सेप्टेम्बर 2002 रात्रि 11:35 जिसकी आपने टिप्पणी कीथी क्या चंद्र शनि युति से उसके भाग्योदय में कोई रुकावट तो नहीं आएगी नोकरी बिजनेस में कोई परेसानी का सामना करना पढ़ सकता हे कृपा करके मेरा मार्गदर्शन कीजियेगा गुरुदेव

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  21. गुरुदेव मेने मेरी पुत्री के बारे में पूछा था 2 सेप्टेम्बर 2002 रात्रि 11:35 जिसकी आपने टिप्पणी कीथी क्या चंद्र शनि युति से उसके भाग्योदय में कोई रुकावट तो नहीं आएगी नोकरी बिजनेस में कोई परेसानी का सामना करना पढ़ सकता हे कृपा करके मेरा मार्गदर्शन कीजियेगा गुरुदेव

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  22. dob 12-01-1977
    time 18:40
    place delhi
    sir kuch margdarshan kijiye

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  23. गुरुदेव सादर प्रणाम मुझे आपका लेख बहुत ही अच्छा लगा आपके द्वारा इसी प्रकार से हमें मार्गदर्शन मिलता रहे

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