शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

यात्रा हेतु अशुभ मुहूर्त

ज्योतिष शाष्त्र में दिशाशूल को बड़ा महत्त्व दिया गया है …कई ख़ास मौकों पे पाठकों ने देखा होगा कि सारे साधन होते हुए भी ,पूरी प्लानिंग होते हुए भी यात्रा में बाधा आ गई अथवा रास्ते में कोई अनहोनी हो गई ,अर्थात यात्रा असुविधापूर्ण रही …वास्तव में कुछ विशेष दिनों में कुछ विशेष दिशाओं की यात्राओं को हमारे शाश्त्रों में निषेध माना गया है।   आइये आपको इसकी जानकारी देते हैं ,यदि ज्योतिष में विश्वास करते हैं तो भविष्य में अपनी यात्राओं को पंचांग देखकर तय  करें ,विशेषतः दिशा शूलों  उस दिशा की यात्रा से यथासंभव बचें ,सामूहिक रूप से जिन लोगों का उस समय मारक भाव ऑपरेट हो रहा होता है ,एक ही बस- ट्रेन   आदि में किसी ख़ास हिस्से -डिब्बे आदि में बैठकर ये लोग सामूहिक रूप से उस नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा देते हैं जिस कारण हादसे होते देखे गए हैं .......सोचिये कि किसी रेल दुर्घटना में सर्वाधिक नुक्सान किसी ख़ास डिब्बे का ही क्यों होता है ,अथवा बस आदि किसी ख़ास हिस्से की तरफ ही क्यों गिरती हैं ,अथवा उनकी टक्कर कभी पीछे ,कभी बाएं ,कभी दायें ही क्यों होती है अथवा पहाड़ का  टुकड़ा ठीक बस  के मध्य में ही क्यों  गिरता है ? उस हादसे में बचने वाले खुद को सौभाग्यशाली मानते हुए ईश्वर का धन्यवाद देते हैं ,किन्तु कभी आपने सोचा है कि हादसे का शिकार हुए अन्य लोग आप  जैसे भाग्यशाली क्यों नहीं थे ?कुतर्क करने के लिए कुछ भी किया जा सकता है ?आप ये भी कह सकते हैं कि फिर ज्योतिषी ऐसे हादसों को रोकने में सहायता क्यों नहीं कर सकते ?तो भैय्या एक वाहन में बैठे सभी लोगों की कुण्डलियाँ हासिल कहाँ से होंगी /अथवा क्या ज्योतिष में बताये दिशाशूल को सभी लोग मानने को तैयार हैं ?धार्मिक यात्रा से आती यात्रियों से भरी बस के दुर्घटना होने के समाचार ,दो ट्रेनों का आपस में टकराना ,जहाज का डूब जाना ,हवाई जहाज का क्रेश हो जाना आदि ये खबरें सामान्यतः मिलती ही रहती हैं ,क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता होगा? क्यों पचासों टेस्ट पास करके अपनी उड़ान पे निकला  कोई जहाज बिना किसी कारण विशेष के दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है ,खुद बड़े बड़े वैज्ञानिक भी अरबों रुपैये लगाकर बनाये गए अपने जहाज को लाखों स्तरों पर भलीभांति उसका परिक्षण करके भी उसके दुर्घटनाग्रस्त न होने की गारंटी क्यों नहीं देते हैं ,क्योंकि वो जानते हैं सब चीजें उनके अधिकार में नहीं हैं ,ये प्रकृति है जो संचालन कर रही है ,और इसी प्रकृति का संचालन  ,इसके संकेतों को समझने का साधन या कहें श्रोत ज्योतिष है .......जिन्हे ज्योतिष पर विश्वास  नहीं है ये लेख उनके लिए नहीं है …जो लोग इस विद्या पर विश्वास करते हैं वे बाजार से कोई भी पंचांग खरीदकर थोड़े से प्रयास द्वारा इसका लाभ ले सकते हैं ..........
    
१ ……… जिस दिन पंचांग ज्येष्ठा नक्षत्र को इंगित कर रहा हो उस दिन पूर्व दिशा की यात्रा से परहेज करना चाहिए ,ऐसे में यदि उस दिन सोमवार अथवा शनिवार भी पड़ रहा है व आप अपने जीवनकाल में मारक दशा अथवा शनि -मंगल की दशा अन्तर्दशा को भोग रहे हैं तो चाहे कितना महत्वपूर्ण हो पर आज की यात्रा टाल दीजिये ,जीवन रहा  आगे भी बहुत आएंगे भैय्या……
२ . …… पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में यदि गुरुवार का दिन है तो आज दक्षिण की दिशा में न जाना ही बेहतर है,....
३.…… मंगलवार व बुधवार के दिन पंचांग यदि उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की पुष्टि कर रहा है तो यथासंभव उत्तर दिशा की यात्रा पर नहीं जाना चाहिए ऐसा शाश्त्र कहता है।
४…… शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का संयोग पश्चिम दिशा की यात्रा हेतु उपयुक्त नहीं कहा गया है …     
          किसी शुभ प्रयोजन के लिए कोई यात्रा करनी हो तो भरणी -कृतिका-आर्द्रा -अश्लेषा -मघा -चित्रा -स्वाति -व विशाखा इन आठ नक्षत्रों में यात्रा का आरम्भ नहीं करना चाहिए।
            यात्रा -दिशाशूल आदि में चन्द्रमा का बड़ा महत्व माना गया है .......
    लेख के प्रति आपकी अमूल्य राय की प्रतीक्षा में आपका ज्योतिषी                           

2 टिप्‍पणियां:

  1. BAHUT BAHUT DHNAYAVAAD GURUJI
    MERA NAAM: ASHOK KUMAR RAGHUVANSHI
    DATE OF BIRTH: 25/12/1975
    TIME RATRI: 10.01.BAJE
    JANM STHAN : CHHINDWARA , MADYAPRADESH
    ABHI MAIN BAHUT MANSIK AUR SHARIRIK PIDA SE GUJAR RAHA HUIN.
    MERI NAUKARI, AUR AAMDANI KE BAARE MAIN BATAYEIN.

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  2. Pandit ji pranam
    Kripiya meri kundili dekh kar job oor arthik ietiti ka upay batay meray jevan mai artik problem kab or kaisay dur hoga
    D.O.B 7/01/1977
    D.O.T 23:59
    PLACE SASARAM ;BIHAR

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