शनिवार, 17 मई 2014

Sixth house... कुंडली का छठा भाव

कई ज्योतिषीय लेखों ,किताबों ,ब्लॉगों को पढ़ने ,कई ज्योतिषियों के कुंडली विवेचन के तरीकों पर गौर करने के पश्चात एक बात बड़ी शिद्धत से महसूस की है मैंने। कुंडली का  बहुत महत्वपूर्ण भाव होने के बावजूद आमतौर पर सर्वाधिक कम कहा गया ,लिखा -पढ़ा ,विवेचित किये जाने वाला भाव या कहें कुंडली का  सर्वाधिक उपेक्षित भाव षष्टम भाव अर्थात छठा भाव (रिपु भाव )ही रहा है। जबकि कुंडली की दिशा तय करने में जितना रोल इस भाव का है भैय्या, और किसी भाव का नहीं है.
                        लग्न- पंचम-नवम भाव का त्रिकोण महत्वपूर्ण त्रिकोण होता है। दूसरा भाव ,प्राप्त होने का भाव है। किसी भी भाव को यदि बीज -जड़ या मूल मान लिया जाय तो समझिए अगला भाव, इस बीज का फल है, इसकी उपज है ,इससे प्राप्त हासिल है. नवम का फल कर्म है ,लग्न का फल धन भाव है। धन भाव अर्थात  आपके पैदा होते ही आपको सहज प्राप्त वसीयत ,आपको स्वतः  प्राप्त सुविधा। इसी प्रकार पंचम भाव जो की शिक्षा, संतान या सीधे कहूँ उत्पादन का भाव है ,इसका ही फल षष्टम भाव है.जातक के जन्म लेते ही उसके लिए शत्रु का रोल निभाने वाला भाव।  ये शत्रु भाव है ,किसका शत्रु भला ?कुंडली का ,जातक का। उसकी हैसियत का ,उसकी पर्सनैलिटी का।
              अपने प्राप्त ज्ञान से,अपने उत्पादन से  (पंचम से ) आगे के जीवन के लिए जो उत्पादित होना था ,जो  लाभ नवम के रूप में लग्न को प्राप्त होना था, उसके लिए लिए विनाश का कारण बन जाता है छठा भाव। लग्न को यह आठवीं दृष्टि से देखता है ,उसे बर्बाद करने वाली स्थितियां उत्पन्न करता है।@@@@@@@ शायद उलझ रहे हैं आप .... चलिए सामान्य भाषा में कहता हूँ।
                     अपनी सोच ,अपने प्राप्त ज्ञान को (पंचम ) जातक अपने भाग्य को बदलने ,या कहें काम करने का अवसर ,सोच मुहैया करता है।भाग्य के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करता है . पंचम भाव के लिए लग्न ही भाग्य  भाव होता है ,अतः प्राप्त शिक्षा ,प्राप्त ज्ञान से वह  अपने लिए फिर अवसर पैदा करता है यानी हालात उत्पन्न करता है। पंचम भाव का पंचम भाव कुंडली का नवम भाव होता है। यानी अपने प्राप्त ज्ञान (पंचम  )से हम नवम के लिए बीज होते हैं (त्रिकोण के अनुसार )अब  इस बीज का फल (नवम का ) लग्न होता है। लेकिन भाग्य से प्राप्त फल (लग्न )के फल की क्वालिटी इस बात पर निर्भर करती है की नवम को बीज के रूप में ,पैदा होने के हालात के रूप में ,या कहें पृष्टभूमि के रूप में पंचम भाव ने कैसा बीज उपलब्ध कराया था।ये सोच का चक्र है।
       भाई इस गड़बड़झाले में छठे भाव का रोल तो नजर ही नही आ रहा। छठा भाव शत्रु का भाव है ,किसका शत्रु ?  जाहिर रूप से लग्न का ,शरीर का ,जीवन का ,जातक का। यह कमियों का भाव है। हमारी कमियां ही हमारी शत्रु हैं ,हमारे शरीर का रोग हैं ,तभी तो मारक हैं लग्न में मौजूद मानसिक शक्ति के लिए ,तभी तो शत्रु का किरदार निभा रहा है ,क्योंकि यहाँ से लग्न आठवां पड़ता है। बर्बाद भले ही अष्टम करता हो किन्तु उस अष्टम के लिए लग्न में जो सोच बनती है उसकी रूप रेखा तैयार करने का काम कुंडली का षष्टम भाव ही करता है. किसी भी भाव को यदि हाथी माना जाय तो अगला भाव उस हाथी को दिशा देने वाला अंकुश है ,उसे एकाग्रता देने वाला बिंदु है।पंचम भाव ने रावण को छठे के रूप में ऐसा विनाशकारी फल दिया जिसने रावण की सोच को (लग्न को )कभी सदबुद्धि  से काम ही नहीं करने दिया। परम ज्ञानी (पंचम के बलवान होने के कारण )भी प्राप्त ज्ञान के रूप में जो फल छठे भाव से उत्पन हुआ उसने रावण को अहंकारी ,लोभी ,कामी बना दिया।अपनी शिक्षा अपने ज्ञान को सही गति न दे सकने के कारण अंत में रावण दुर्गति को प्राप्त हुआ।
    छठे भाव की स्थिति आरम्भ में ही संकेत दे देती हैं कि क्या चीज जातक के जीवन में उसके लिए शत्रु का रोल निभाने वाली है। तुला लग्न में उत्पन रावण के लिए आरम्भ में ही तय हो चुका था की शत्रु के रूप में गुरु (तुला से छठे में गुरु की मीन राशि होती है )यानी उसका ज्ञान ही उसकी सद्बुद्धि (लग्न को )मारक प्रभाव देगा।  अपने अहम का परिणाम ही भुगता उसने। इसी प्रकार यदि किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा छठे  भाव में मौजूद है तो मान लीजिये कि जातक की भावनाएं ही उसके लिए शत्रु का रोल निभाने वाली हैं। भावनाओं की अधिकता में ऐसा जातक अपना भला बुरा नहीं भांप पाता। अतः माता पिता को चाहिए की अपनी संतान की कुंडली में षष्टम भाव में प्रभावित हो रहे ग्रहों से बचाव का प्रयास शास्त्रोक्त उपायों द्वारा करते रहें।
                                 पंचम भाव में पड़ा बीज ही तय कर देता है की आगे फल की रूप रेखा कैसी होने वाली है जीवन में हमें पैदायशी हासिल सुख भाग्यवश ही प्राप्त होते हैं। इस भाग्य को तय करने के लिए ,इस त्रिकोण का बेस, पंचम भाव है। छठा भाव इस पंचम भाव को दिशा देने वाला भाव है। यानी इस जीवन व उस जीवन में भाग्यवश हमें जो भी प्राप्त होने वाला है उसका बीज पंचम में पड़ गया होता है। व षष्टम भाव उस बीज को पालने का कार्य करता है .छठा भाव, दशम कर्म भाव की बुनियाद है। इतिहास गवाह है की जो जातक अपने कार्य व्यवसाय हेतु छठे की मदद लेकर चला ,उसने बुलंदियों का स्पर्श किया। अतः जैसे ही आप छठे भाव पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते है,आप दशम को अपने मन माफिक हालात उपलब्ध करा पाते हैं।(अब दशम का बीज आपके अधिकार में जो होता है ).इसी समीकरण में दशम  अपने अगले कोण (द्वितीय )के लिए प्लेटफॉर्म बनाता है। जितना अच्छा दशम भाव उतना मजबूत द्वितीय भाव।अतः ज्योतिषियों से निवेदन है की किसी जातक के कार्य व्यवसाय के प्रति कोई भी भविष्वाणी करने से पहले छठे भाव का अध्ययन अवश्य करें। कुंडली त्रिकोणों पर आधारित होती हैं ,किसी भी भाव के  सम्बंधित अन्य दोनों कोणों का बहुत महत्त्व होता है. दशम काम धंधे या कहें कर्म भाव के बनने वाले त्रिकोण में द्वितीय व षष्टम भाव ही त्रिकोण के अन्य दो कोण हैं। ऐसे में दशम भाव से सम्बंधित किसी भी प्रकार की भविष्य वाणी हेतु षष्टम भाव को नजरंदाज करना बड़ी चूक है।सामान्य भाषा में यही कि जितना आपने अपनी  कमजोरियों,अपने माइनस पॉइंट्स को काबू में रखा ,जीवन में अपनी पॉवर अपनी शक्ति अपने कर्म को  नियंत्रित करने का अधिकार पाया। भला कैसे ???… अरे भाई ध्यान दें की दशम भाव का भाग्य स्थान छठा भाव ही तो है। अतः ये सोचना कि शिक्षा भाव से (पंचम से ) दशम भाव नियंत्रित होगा ,भला कितनी बड़ी भूल है। दशम से पंचम तो अष्टम ,मारक होता है.हाँ इस पंचम को काबू में करने वाला अंकुश (छठा भाव ) अवश्य नवम   है। अतः अपने ज्ञान की सही दिशा तय करके  सफलता प्राप्त की जा सकती है। डाक्टरी की पढाई कर (पंचम )उसे सही दिशा (छठे द्वारा ) जन  कल्याण में लगाया तो दशम की शक्ति को प्राप्त किया। किन्तु यदि यहीं से डाक्टरी सीख कर लोगों की किडनी आदि निकालने का कार्य किया तो दशम के लिए मृत्यु का प्रभाव उत्पन्न किया। काम भी ख़त्म ,सम्मान भी ख़त्म। शिक्षा भी ख़त्म।        
                              शत्रु भाव का शत्रु एकादश भाव होता है ,जाहिर तौर पर यदि आपका एकादश भाव मजबूत है तो आप अपने कई रोगों,कई शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। कहते हैं की रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ के लिए एकादश भाव को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया था। मेघनाथ की कुंडली में एकादश भाव में ही सर्वाधिक ग्रहों का बल प्राप्त हो रहा था। अपने शत्रुओं को परास्त करने के लिए उसने मेघनाथ के एकादश भाव से सहायता प्राप्त की। आखिर इंद्रजीत तो मेघनाथ ही था न। विषयांतर हो रहा है।.…… …  लाइन पर वापस आता हूँ
                    शत्रु भाव को (छठे भाव ) को बुद्धि दशम से प्राप्त होती है ,अर्थात कर्म ही आपके शत्रु भाव को सदबुद्धि  प्राप्त करा सकते हैं , अतः अपनी बुद्धि का गलत उपयोग किया तो नवम को खराब किया ,अपनी बुद्धि के अंकुश पर नियंत्रण नहीं रखा तो  दशम को खराब किया। अतः अपने कर्मों के द्वारा हम शत्रु भाव को विनाशकारी होने से रोक सकते है। अगले लेख में इसी विषय को थोड़ा और विस्तार देने का  प्रयास करेंगे।
                                     लेख के प्रति आपकी अमूल्य राय की प्रतीक्षा में.......  


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16 टिप्‍पणियां:

  1. Panditji,
    respectful regards to you for writing such a beautiful analysis on 6th house. I have a follow on query and a big predicament related to 6th house. In my case (simha lagna & mesh rashi), I have guru (vakri) sitting in 6th house hence its debilitated & retrograde an d right now I am running guru mahadasha. Now I have heard 2 conflicting views from astrologers I have met or what I have read. Some tell me that my guru is not negative and it will give me great results specially in business as its negativity is cancelled while some tell me just the opposite.

    If I look at my own life right now in guru mahadasha, I am running a edible oil manufacturing business but I am having trouble making profits or getting loans from banks. Earlier in rahu mahadasha when I was in a job in IT consulting sector and travelling to foreign countries I was doing far better. So I am wondering either my guru mahadasha is bad or I made a wrong decision and went into wrong business (edible oil manufacturing).

    Can you please help me with this conflict? Also for information sake in my horoscope, I have sun in lagna, venus in 2nd, rahu in 5th, jupiter in 6th, mars & moon in 9th, saturn & ketu in 11th and mercury in 12th house

    Thanks for your advice

    regards
    Amit Jain

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  2. Panditji, Thanks for your response
    My birth data is as follows: 21 August, 1973 06:15 am, Jhansi (UP)

    I look forward to your advice.

    regards
    Amit Jain

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  3. अमित जी आपकी भाषा शैली कहती है की ज्योतिष में आपकी रूचि है ,ऐसे में संभवतः आप समझ सकें कि सिंह लग्न में गुरु स्वयं अष्टमेश होते हैं व कार्य व्यवसाय के लिए माने जाने वाले भाव दशम के लिए (इनकी दूसरी राशि धनु के कारण) भी गुरु को अष्टमेश माना जाता है.अतः एक त्रिकोण का स्वामी होने के कारण, और तो ये कोई लाभ करें न करें किन्तु स्वास्थ्य व कार्य दोनों के लिए अष्टमेश का रोल तो निभाते ही हैं। ऐसे में इन दोनो भावों (स्वाथ्य व व्यापार) के लिए गुरु जितना कमजोर हों ,शुभ माने जाते हैं। ज्योतिष के सिद्धांतानुसार जब ग्रह वक्री होता है तो अपना उल्टा प्रभाव देता है। अर्थात उच्च है तो नीच का व नीच है तो उच्च का। नीच का ग्रह कमजोर माना जाता है व उच्च का मजबूत। वक्रता के कारण भी ग्रह को अधिक शक्ति प्राप्त हो जाती है। ऐसे में सिंह लग्न में गुरु की महादशा इन दोनों भावों पर प्रतिकूल प्रभाव देती है। नीच का होकर गुरु वक्री हो गया तो शक्ति पा गया ,अब शक्ति पा गया तो जिस रोल में इसका चयन हुआ है उस रोल को अधिक शिद्धत से निभाता है। निभा ही रहा है ,और इसी रोल का प्रभाव आप देख रहे हैं। आगे शनि ,जो रोगेश व सप्तमेश होकर सिंह लग्न का नैसर्गिक शत्रु भी है , की अन्तर्दशा भी आ रही है। किसी भी कुंडली में अष्टमेश में रोगेश की अन्तर्दशा मारक मानी जाती है। ऐसे में शनि जो आय भाव,लग्न भाव व संतान भाव को प्रभावित कर रहे हैं,अपनी अंतरदशा में इन तीनो कारकों पर जबरदस्त नेगटिव प्रभाव डालने की पूर्ण क्षमता रखते हैं।
    बुध आपके लिए आय व धन दोनों भावों का स्वामी है। जीवन में आप जब तक किसी और के रोजगार में जुड़े होते हैं तो अमूमन दशमेश का ही प्रभाव देख रहे होते हैं। किन्तु जैसे ही आप स्वयं का कोई कार्य व्यवसाय करते हैं ,अचनाक कहीं गुमनाम बैठा बुध अपना अस्तित्व महसूस करने लगता है। बुध द्वादश। बुआ का दोष है।

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    1. Panditji,
      Thanks for your in-depth analysis of guru's impact being 8th lord. The point that you have made regarding retrograde + debilitation resulting in exaltation, what puzzles me or confuses me is that since guru is 8th lord sitting in 6th house and "supposedly" exalted then shouldnt it result in a strong vipreet raj yoga? ..As in should not it help in conquering enemies in any form ie people, disease or situation??

      Secondly, you mentioned mercury being in 12th house will create challenges in business, my query here is Steve Jobs had mercury (retrograde) in 6th house (he was simha lagna as well) so I am guessing that the lord of 2nd and 11th house sitting in dusthanas like 6/8 or 12 may not be that bad...also given the fact that mercury is getting drishti from guru and isnt it a "uccha ki drsihti" since it is in cancer

      Pardon me for asking this follow up questions, I am asking them to understand the nuances of horoscope analysis and I am in no way trying to debate with you

      I hope you will help me as a "student" to correct my possible misconceptions in this field

      regards
      Amit Jain




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    2. अमित जी आपके प्रश्न का उत्तर इतना बड़ा हो गया की टिपण्णी में ही नहीं आया। इस कारण आपके प्रश्न को अगले लेख के रूप मे शामिल करना पड़ा। आप नए लेख को अपना उत्तर मानियेगा। असुविधा के लिए क्षमा।

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  4. pranam pandit ji....

    mera naam navjyot hai

    date of birth 16 august 1989
    birth place deoria (uttar pradesh)
    time 21:10
    hai kripya aap yeh batane ki kripa kare ki mera vivah kab hoga,
    aur meri santan kab hogi, aur meri kitni santan hogi?

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    उत्तर
    1. pranam pandit ji, main aapka blog niymit roop se padhta hoon.
      kripya meri bhi samsya ki aor dhayan dijiye.
      aapke uttar ki partiksha main kabse kar raha hoon.
      dhanyavaad.

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  5. Pandit ji, Namaskar, Maine aapke sabhi blogs padhe, aapke vicharo se me bahut prabhavit hu. aapke vichar puri tarah se scientific lage. Kripya mujhe aage ke samay ke liye kuch tips digiye. Politics ya koi business jo mere liye shubh ho batayen. marriage related jankari de. please suggest gems if necessary. DOB 13/08/1971, 10:25am, Dantewara (CJ)

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    उत्तर
    1. Panditji Namaskar, mai apni bari aane ka intzar kar raha hu, Kripya muzh par bhi dhyan de, Dhanyavad

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  6. लेखराम जी ,आप आयु के ३२ वें वर्ष से ही राजनीति में हैं। हाँ दशम भाव पर उच्च मंगल की दृष्टि ,सूर्य की उपस्थिति ,व राहु केतु की अनुकूलता ,धीमी गति से ही सही किन्तु राजनीति में आपको सहायक है। सामान्यतः सरकारी नौकरी के योग माने गए हैं। कार्य व्यवसाय हेतु आपके प्रश्न का उत्तर यह है की आपको एक नहीं कई प्रकार के कार्य माफिक आने वाले हैं। सर्वप्रथम तो आप जीवन में जल से सम्बन्धी व्यवसाय (खनन -टुल्लू पम्प -आदि ) से अवश्य जुड़ेंगे जिसमें कैसी भी प्रकार जल का उपयोग आवश्यक हो। इसके अलावा आपको कपडे ,जूते - चप्पल ,व होटल आदि उपभोग सम्बन्धी सामानो का व्यवसाय अत्यधिक शुभ है। ग्राम प्रधान -जिला पंचायत आदि के लिए अवश्य प्रयास कीजिये। पेट -कब्ज आदि से सम्बंधित रोगों से बचें ,ये भविष्य में ह्रदय आदि से सम्बंधित समस्याओं से प्रभावित कर सकते हैं। हीरा अथवा जर्किन धारण करना शुभ रहेगा।

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  7. Panditji, AApka Aabhar, mai ek computer college chala raha hu aur jameen ke kam se bhi juda hu, har baar garmi me logo ko nishulk paani pilata hu, bahut chhote level ki rajniti me hu, kya mujhe angarak yog ki evam shani ki puja karwana chahiye. Hira ke sath Moonga, Madik ya Panna bhi pahanna chahiye .

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  8. Guruji pranam,
    apka article padha accha laga..kaafi intersting laga..mujhe b apne baare me kuch janne ki jigyasa ha..krip krke uchit margdarshan kijiye..
    dob= 26-11-1983
    time=12:04 pm
    place= haridwar (uttarkhand)
    Guruji mere bante bante kmm bigad jaate hai..jo sochta hu uska ulta h hota hai..jisse dosti ki sochta hu..usi se ldhai ho jati hai..jo pdhai k liye socha, wo puri nhi ho paayi..kaam b nhi mil raha..kahi milta b hai..shatru ne to naak me dum kr rakha hai..sharir me kuch khaya peeya b lagta nhi hai, manobal aur sahas to hai h nhi..bohat pareshan hu..guruji help me..apka bohat abhari rahunga..

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  9. बहुत ही अच्छी जानकारी धन्यवाद्

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  10. hello sir
    my dob 05/ feb /82, porbandar 11.15 pm.

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