सोमवार, 13 जनवरी 2020

कुम्भ लग्न में कौन सा रत्न धारण करें

**** -- कुम्भ लग्न में कौन सा रत्न --**
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                कल मुझे एक अनजान ज्योतिषी (?) का फोन आया,,वो जानना चाहता था कि कुछ समय पूर्व मैंने कुम्भ लग्न की एक कुंडली की विवेचना के दौरान एक क्लाइंट को कोई भी रत्न न पहनने की सलाह दी थी...संयोग से वह क्लाइंट इन ज्योतिष महोदय का भी परिचित है तो कभी कहीं किसी बैठक में दोनों की चर्चा चल पड़ी...क्लाइंट ने बताया कि उसे कोई भी रत्न न पहनने की सलाह मेरे द्वारा मिली है,,तो ज्योतिष महोदय का प्रश्न था कि कौन ऐसा मूर्ख पंडित है जो ऐसी सलाह दे रहा है,,और बाकायदा वो ये बात फोन पर मुझे कह रहे थे....दो मिनट की चर्चा के दौरान ही मेरे लिए ये भांपना काफी था कि ये फ़ेसबुक विश्वविद्यालय व व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए वो शौकिया सज्जन हैं ,,जिनके पुस्तकालय में 50 रुपये की आओ ज्योतिष सीखें ,नामक पुस्तक रखी होगी,,और उसी बूते पर ये महाशय इतना फड़फड़ा रहे हैं...नित्य ही ऐसे कई शौकिया ज्योतिषी देखता ही रहता हूँ...पर आश्चर्य होता है  जब वो अपनी उटपटांग थिओरी उस इंसान पर लादते हैं जो ज्योतिष का विधिवत आचार्य होकर पिछले पंद्रह सत्रह वर्षों से पचासों विद्यार्थियों को ज्योतिष की शिक्षा दे चुका है,,,अनगिनत लेख दे चुका है....जिसकी सलाह से लाभान्वित होकर अनेकों क्लाइंट देश विदेश से समय समय पर आभार व्यक्त करते रहे हैं..अब समय का अभाव कहें या हिम्मत हारना,,किन्तु ऐसे लोगों से बहस की मेरी कोई इच्छा नही होती..क्यों समय खपाया जाय..खैर जाने दीजिए....
           कुम्भ लग्न पर अपने ब्लॉग में पूर्व में भी चर्चा कर चुका हूं...ये शुक्र को मास्टर प्लेनेट के रूप में आपरेट करने वाला लग्न है..अब शुक्र जैसा कि आप सुधि पाठक जानते हैं भौतिक सुख सुविधा प्रदान करने वाला ग्रह है तथा भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए धनः की आवश्यकता होती है..धनः ,,जैसा कि ज्योतिष के जिज्ञासु जानते हैं,,कुम्भ लग्न में ये गुरु के अधीन का विषय होता है..और सामान्य मैत्री चक्र में गुरु व शुक्र नितांत शत्रु ग्रह माने गए हैं..अब भला अपने भावों से प्राप्त धनः(?) को गुरु क्योंकर शुक्र के हवाले करने लगा..
             वास्तव में धनः का अभिप्राय जो लोग करेंसी से लगाते हैं,,उनके गच्चा खाने का चांस अधिक होता है..धनः एक विस्तृत विषय है जिसके अधीन बहुत से कारक होते हैं..हर ग्रह के लिए धनः का अभिप्राय भिन्न होता है...मंगल के लिए धनः का अर्थ भूमि है,,,बुध के लिए इसे पैसे के रूप में देखा जाता है,,,गुरु के लिए ये मानसिक शांति को अभिरूपित करने वाला विषय है..सूर्य के लिए ये सत्ता की प्राप्ति है व शनि के लिए विषय विशेष में दक्षता हासिल करना ही धनवान होना है..
                  जिन सज्जन का जिक्र ऊपर किया था मैंने,,वे नगर निगम में इंस्पेक्टर हैं,,,जिनके पास एक  सुंदर धर्मपत्नी जी व पुत्रियों का भरा पूरा संसार है..शानदार मकान व वाहन की प्राप्ति है...कुम्भ लग्न की कुंडली मे ,,योगकारक शुक्र पंचम त्रिकोण में बैठकर पूर्ण बली है ,,व नवांश में भी बेहद सकारात्मक है...इस सकारात्मकता का परिणाम हम जातक के सुखी जीवन के रूप में देख सकते हैं.....अब ज्योतिष महोदय उन्हें डायमंड पहनाना चाहते हैं....मैंने पूछा मित्रवर,,इससे क्या हासिल होगा...डायमंड से आप क्या बदलाव लाना चाहते हैं..तो महाशय बोलते हैं कि इससे इनकी लक्सरी में बढ़ोतरी होगी....अरे भाई,,लक्सरी में बढ़ोतरी के लिए स्वाभाविक रूप से धनः चाहिए....जो जातक सरकारी नौकरी में है,,उसे अचानक धनः कैसे प्राप्त होने वाला है भला??उसे तो सालाना आधार पर फिक्स इंक्रीमेंट आदि प्राप्त होने हैं...हाँ वो कोई व्यापारी होता,,अम्बानी अडानी जैसा,,तो हम उसके व्यापार में अभूतपूर्व उछाल की कामना कर सकते थे...किन्तु एक सरकारी नौकर जो महीने की पगार पर निर्भर है,,वो भला कहाँ से अधिक धनः प्राप्त करेगा...स्वाभाविक रूप से आप उसे ऊपरी कमाई के लिए उकसाना चाहते हैं...शानदार बीवी के अलावा आप उसे विवाहोत्तर संबंधों की ओर धकेलना चाहते हैं....एक जातक जो समाज मे मान सम्मान के साथ जी रहा है,,आप उसे अधिक भोगी प्रवृति की ओर धकेलना चाहते हैं...एक मिठाई जो हलवाई द्वारा पहले ही एक संतुलित आकार व स्वाद प्राप्त कर चुकी है,,आप उसमें और मीठा डालकर उसका बेड़ा गर्क करना चाह रहे हैं..
         कुम्भ एक ऐसा लग्न है,,जिसमे रत्न धारण हेतु बहुत से समीकरणों को ध्यान में रखना पड़ता है..इसमें गलती की कतई गुंजाइश नही हो सकती...यहां धनः को मजबूत करने के लिए यदि आप जातक को पुखराज धारण करा रहे हैं,,तो वास्तव में आप उसे वैराग्य के लिए उकसा रहे हैं,,,पारिवार की ओर से लापरवाह कर रहे हैं..सामान्यतः आप कुम्भ लग्न के जातकों को धीर गंभीर,,,सेल्फ ओरिएंटेड ,,रिज़र्व नेचर का,,, कम बोलने बतियाने वाला,,एक शांत आचार व्यवहार का जातक देखते हैं....कारण वही है,,आय व धनः दोनो  का गुरु से प्रभावित होना...और गुरु के लिए धनः का अर्थ मानसिक शांति है..यही कारण है कि गुरु की मीन राशि मे शत्रु होकर भी शुक्र उचत्व को प्राप्त होते हैं...भोग विलास को लगाम लगती है व वह सात्विकता पाता है,,वहीं मित्र बुध की राशि कन्या में शुक्र नीच का प्रभाव देने लगता है..शुक्र सबसे काइयां ग्रह है,,सबसे शातिर.... इसी कारण एक आंख वाला ग्रह है...सामान्य व्यवहार में एक आंख बंद करना,,शातिरपने की निशानी माना गया है...देखिए न जिस गुरु से खुलेआम दुश्मनी निभाता है,,उसके घर (मीन) में आते ही चोला बदल संत बन जाता है...इससे अधिक शातिरपन भला और कहां देखने को मिल सकता है...
          रत्नों में बहुत शक्ति होती है मित्रों....ये जातक को अर्श व फर्श दोनो पर ले जा सकते हैं....अतः मात्र सुनी सुनाई बातों कि केंद्र त्रिकोण का रत्न धारण करना शुभ होता है,,इन बातों से परहेज करना चाहिए..ये बहुत बेसिक बातें हैं जो समझाने के लिए पुस्तकों में लिखी होती हैं..किन्तु इसका अर्थ गूढ़ होता है...बुखार में पैरासिटामोल खाया जाता है,,ये अमूमन हर कोई जानता है,,किन्तु मरीज की आयु देखकर इसकी मियाद घटाई बढ़ाई जाती है,,,,कई रोगों में पैरासिटामोल से परहेज किया जाता है,,इसकी अधिकता लिवर को खराब कर सकती है..ये बात एक चिकित्सक बेहतर तरीके से जानता है,,इसी कारण बिना मरीज देखे,,दवा नही लिखता..इसी प्रकार फर्जी पुस्तकें पढ़कर ,,रत्न संबधी सलाह देने से बचना चाहिए...ज्योतिष आपके लिए शौक का विषय हो सकता है किंतु जातक का जीवन आपकी एक गलत सलाह से बर्बाद हो सकता है..अतः बेशक इसका शौकिया अध्ययन कीजिये,,किन्तु यदि आप ज्योतिष के विधिवत विद्यार्थी नही हैं तो आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि औरों को सलाह देने से बाज आइये..
         अपने विचारों से अवश्य अवगत कराइये...नववर्ष आपके लिए भगवती के आशीर्वाद से नई सौगातों से भरपूर हो,,ऐसी कामना के साथ आप सभी पाठकों के श्री चरणों मे मेरा प्रणाम पहुंचे.... सादर प्रणाम..

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