शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

सफलता

आज के युग में शायद ही कोई माता पिता हों या शायद ही कोई विद्यार्थी ,जो परीक्षाओं में अंकों को लेकर परेशान न होते हों .कोई बच्चे की बेहतर खुराक की और ध्यान देता है तो कोई कोचिंग क्लासेस को अधिक महत्त्व देता है।कई बार देखने में आता है की जो छात्र साल भर बेहतरीन विद्यार्थियों में गिनती होते रहे वो वार्षिक परीक्षाओं में चूक गए ,या मनमाफिक परिणाम हासिल नहीं कर पाए,वहीँ दूसरी और जो साल भर औसत छात्रों में गिनती होते रहे वो बाजी मारने में कामयाब रहे। कभी सोचा है इस का कारण ?आईये देखते हैं की ज्योतिष भला इस बारे में क्या कहता है?
                           सामान्यतः हम जानते ही हैं की गुरु को शिक्षा का स्थाई कारक व पंचमेश को टेम्पररी कारक माना जाता है।पंचम भाव में बैठे व प्रभावित करने वाले ग्रह भी इस में अपना रोल निभाते हैं।कई बार ऐसा होता है और स्वयं आप में से भी कई सज्जनों ने इस बात को परखा होगा की रात दिन जाग जाग कर पढने के बाद भी परीक्षा में वही सवाल आये जिन्हें आप नजरंदाज कर गए थे।वहीँ कई बार मात्र मॉडल पेपर या प्रश्न कुंजी पढ़ कर जाने वाले छात्रों के हाथ वो ही सवाल लगे जो उन्होंने रटे हुए थे।मजा आ जाता है न?
                                               अचानक जो जीरो था उसे हीरो समझा जाने लगता है।माँ अपने लाल को देख कर मंद मंद मुस्कुराती है,पिता मोहल्ले वालों व ऑफिस वालों के साथ मजाक करने ,बोलने बतियाने लगते हैं। पड़ोस की लड़की का आपको देखने का तरीका थोडा बदल सा जाता है।आप भी अब कभी कभी बिन मांगी सलाह औरों को देने लगते हैं।ये सब अधिक अंक आने का प्रताप होता है भैय्या .अगली दफा जब फेल होने की नौबत आ जाती है या शहीद होते होते बचते हो तो फिर से सब कुछ बदल जाता है।पिता जी की टुर्र -फूर्र  फिर से शुरू हो जाती है ,माँ गाहे- बगाहे धोती के कोने से आँखें पोंछने लगती हैं।पडोसी लड़की अब आपको देख कर छत पर नहीं आती।दोस्तों के बाप उन्हें तुम से दूर रहने की सलाहें देने लगते हें,व जो कभी तुम से टिप्स लेने में नहीं चूकते थे वे अब कुछ कहते ही गरियाने लगते हैं।
                                                   आइये इस का कारण ढूँढने का प्रयास करते हैं।जिस छात्र ने परीक्षा देनी है पहले उसकी कुंडली का अवलोकन किया जाय। जिस दिन परीक्षा होनी है उस दिन जातक का पंचमेश किस अवस्था में है ये देखा जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।साथ ही उस दिन या कहूँ परीक्षा शुरू होने के समय कौन सा लग्न पड़ रहा है ये देखा जाना चाहिए।अब देखने वाली बात यह है की परीक्षा के दिन का पंचमेश जातक के वास्तविक पंचमेश का मित्र है या शत्रु? साथ ही दोनों पंचमेश (उस दिन का और जन्म का )किस भाव में विराजमान हैं।उनका आपस में कैसा सम्बन्ध  हो रहा है?उन पर किन किन ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है?वक्री हैं या मार्गी ,कहीं अस्त तो नहीं हो रहे। समझने में थोडा दिक्कत हो रही है, इसे क्रम में लिखकर बताता हूँ।
                             1. यदि दोनों (दोनों का अर्थ हर बार परीक्षा शुरू होने के समय काल  का पंचमेश व जन्म का पंचमेश पढें )आपस में मित्र हैं तो बहुत संभव है की आपको आपकी मेहनत के हिसाब से अंक प्राप्त हो जायेंगे।
2.यदि दोनों कहीं केंद्र या त्रिकोण में हैं तो आपका ग्राफ कहीं ऊपर जा सकता है।
3. यदि लग्न का पंचमेश मजबूत स्थिति में है किन्तु समय काल का पंचमेश कमजोर पड़ रहा है तो हो सकता है किसी परीक्षा के दौरान आपको पैन रुक जाने या अचानक तबियत ख़राब हो जाने ,या किसी अन्य प्रकार की परेशानी से दो चार होना पड़ सकता है।रिसल्ट पर थोडा बहुत प्रभाव अवश्य पड़ता है।
4.यदि दोनों पंच्मेशों से किसी प्रकार भाग्येश का सम्बन्ध हो जाता है तो बहुत संभव है की आपकी परीक्षा भी बहुत अच्छी हो व आपकी कापी भी निरीक्षण के लिए किसी ऐसे अध्यापक के पास जाए जो अंक देने के मामले में खुला हाथ रखता हो।
5.यदि दोनों पंचमेश आपस में शत्रुता रखते हों तो आप के सामने प्रश्नपत्र पर कुछ ऐसे सवाल हो सकते है जिन्हें आप गलती से मिस कर गए हैं.
6.यदि जन्म लग्नेश जन्म कुंडली में ही कमजोर अवस्था में हो किन्तु उस विशेष दिन स्वयं पंचमेश बन कर अपने भाव में ही हो या कहीं से दृष्टि डाल रहा हो तो आप पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद उस ख़ास दिन अपने रटे हुए जवाबों के बल पर आशा से अधिक चमत्कार दिखाने में कामयाब हो सकते हैं।  
                                यहाँ एक बात स्पष्ट कर दूं की मैं कहीं से भी इस बात का विरोध नहीं कर रहा की किसी छात्र को मेहनत नहीं करनी चाहिए। अपितु साधारण भाषा में लिखे इस लेख का वास्तविक मंतव्य उन मेघावी छात्रों को दिलासा देना है जो अपनी कमर तोड़ मेहनत  से भी मन माफिक अंक नहीं प्राप्त कर पाते।कोई बात नहीं,हिम्मत न हारो दोस्तों .हो सकता है की इस बार बदकिस्मती से योग आपके विपरीत चला गया हो किन्तु अगली दफा आप अपने मुकाम पर अवश्य होंगे।मैं खासकर  उन बच्चों की बात कर रहा हूँ जो इंजीनियरिंग,मेडिकल आदि कठिन विषयों की पढाई के बीच में ही हिम्मत हार कर कोई गलत कदम उठा लेते हैं।आप यदि काबिल न होते तो इन विषयों की कठिन एंट्रेंस को भी तो पास नहीं कर पाते।आपका यहाँ होना ही आपके काबिल होने की गारंटी है।अततः किसी एक समस्टर के खराब होने मात्र से आपकी काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह नहीं लग जाता . वहीँ दूसरी ओर उन नौजवानों को भी सन्देश देना चाहता हूँ  जो सफल होने के लिए सदा शोर्टकट की तालाश में रहते हैं .मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।तुक्का एक बार ही चलता है भैय्या .हर बार योग आपके अनुकूल नहीं होने वाला।
                                               अब उपाय क्या हो? सबसे सरल उपाय है ग्रहों के देव सूर्य देव की उपासना करना।और सूर्यदेव की उपासना का अर्थ है प्रातः सुबह उठ कर उगते हुए सूर्य की रौशनी के सानिध्य में पढ़ना .उगते सूर्य के नित्य दर्शन कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष को काटने का सामर्थ्य रखते हैं।बुजुर्ग तभी तो सुबह पाठ कंठस्त करने को कहते थे। साल भर जितना अध्ययन प्रातः करोगे वो परीक्षाओं में उतना लाभ देगा। 
                        प्रस्तुत लेख पर आपकी राय की अमूल्य राय की प्रतीक्षा में रहूँगा।सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं .

    
  
         
                        

शनिवार, 12 जनवरी 2013

वृष लग्न की कन्या का जीवन साथी

पिछले क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज हम भ्रमनचक्र के द्वितीय लग्न की कन्या के होने वाले जीवनसाथी के विषय पर प्रकाश डालेंगे। जैसा की पाठकों को ज्ञात है वृष लग्न में सप्तम भाव में मंगल के स्वामित्व वाली व चंद्रमा की नीच कही जाने वाली वृश्चिक राशि का आधिपत्य होता है।
--ऐसे में जीवन साथी सामान्यतः दुबला ,मध्यम कद ,धार्मिक प्रवृति ,मेहनती होता है।ऐसे जातक कभी कभी अधिक बोलने वाले व गुस्सैल  स्वाभाव के भी देखे गए हैं।
--सप्तम भाव पर मंगल की दृष्टि हो (आठवीं दृष्टि को छोड़कर ) अथवा मंगल किसी भी त्रिकोण में हो तो जीवनसाथी के सरकारी नौकरी में होने की अधिक संभावनाएं होती हैं।
--  तीसरे भाव का मंगल पति से भावनात्मक या शारीरिक किसी भी प्रकार की दूरी का कारक कहा गया है।वह स्त्री की भावनाओं को न समझने वाला या कोई ऐसा कार्य व्यवसाय करने वाला होता है जिस कारण वह स्त्री को बहुत अधिक समय नहीं दे पाता .
--यदि मंगल पाप ग्रहों के प्रभाव में हो या पाप ग्रहों का प्रभाव सप्तम भाव पर हो तो वैवाहिक सम्बन्ध विच्छेद तक होते देखे गए हैं।देव गुरु ब्रहस्पत्ति की दृष्टि सप्तम भाव पर हो तो दाम्पत्य जीवन तो बचा रहता है किन्तु पति-पत्नी साथ भी रहें इसमें संदेह होता है।
--आठवें भाव में मंगल की उपस्थिति पति के किसी प्रकार के रोगी होने की संभावनाओं को बताती है अतः विवाह पूर्व कुंडली मिलान के समय वर के लग्नेश का शुभ अवस्था में होना जरूर ध्यान में रखना चाहिए।
-- मंगल का द्वादश भाव में होना जीवन साथी के कभी किसी मुक़दमे आदि में उलझने की ओर संकेत करने वाला माना गया है।
-- चंद्रमा या गुरु से मंगल की युति शुभ फल देने वाली होती है।
       कुंडली मिलान का कितना महत्व है इस सन्दर्भ में कभी कभी एक किस्सा दिमाग में आता है।वैसे इसका जिक्र कहीं नहीं मिलता ,यह मेरे खुद के दिमाग की ही उपज है .अतः इसके सही गलत होने या कहूँ यह कितना विश्वनीय हो सकता है इसका फैसला अपने सुबुद्ध पाठकों पर ही रहने देता हूँ।सत्यवान -सावित्री के किस्से से आप सभी परिचित ही होंगे।हुआ यूँ होगा की सत्यवान की कुंडली में अल्पायु योग रहा होगा।जब उसके माता पिता ने किसी ज्योतिषी को कुंडली दिखाई होगी तो उसने तुरंत सत्यवान का विवाह किसी ऐसी कन्या से करने को कहा होगा जिसकी कुंडली में दीर्घ वैवाहिक सुख का योग हो।अर्थात जो कन्या पति के लिए परम सौभाग्यावती हो।सावित्री ऐसे ही योगों वाली कन्या रही होगी।विवाह के पश्चात जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया होगा तो सावित्री की कुंडली के हिसाब से उस समय उसे पति द्वारा पुत्र प्राप्ति के योग बन रहे होंगे।यहीं ग्रह गच्चा खा गए।अब भला स्त्री की कुंडली जब पति के दीर्घायु होने की गारंटी कर रही थी तो भला किस प्रकार गृह सत्यवान को मृत्यु देते।किन्तु स्वयं की कुंडली के योगों ने तो फलित होना ही था,अतः सत्यवान काफी समय तक बेहॊश या मृत्युतुल्य कष्ट में शैय्या पर रहा होगा।यह वह अन्तराल रहा होगा जिस के बारे मे हमें यह कहा जाता है की सावित्री उसके प्राणों की रक्षा के लिए यमराज के भैसें के पीछे पीछे चलती रही।कहने का तात्पर्य यह है की यदि किसी भी कुंडली में (स्त्री चाहे पुरुष ) यदि ऐसा योग किसी ज्योतिषी को दिखता हो तो  हम किसी ऐसे ही प्रयास द्वारा ग्रहों की अनुकम्पा प्राप्त कर स्पष्ट योगों को भी झुठला सकते हैं? इस विषय पर पाठकों की प्रतिक्रिया का मुझे बेसब्री से इन्तजार रहेगा।  मकर संक्रांति की अग्रिम शुभकामनाएं ................