आजकल के प्रतिस्पर्धात्मक युग में हर माता पिता की कोशिश होती है कि अपनी संतान को ऐसे विषय की पढाई कराईं जाय जो कल उसके कर्रिएर में उसे सहायक हो.उसे कम लोगों के बीच में से कोम्पिटीसन् करना पड़े.सहज ही सफलता हासिल हो जाए.कई बार देखने में आता है कि अच्छे विषय अच्छे इंस्टिट्यूट से पढ़ने के बाद भी जब नौकरी की बात आती है तो जातक स्वयम् को सहज महसूस नहीं कर पाता. उसे लगता है कि जो हुनर उसके पास है उस अंदाज़ में वह तरक्की नहीं कर पा रहा.या समाज को लगता है कि फलाना मन लगा कर काम नहीं कर रहा .दोनो हालातों में अमूमन देखने में आता है कि जातक ने अपने पंच्मेश के अनुसार शिक्षा हासिल नहीं की होती. हम जानते ही हैं कि पाँचवाँ भाव उत्पत्ति का भाव है,पैदा करने का भाव है .आय भाव से सातवाँ भाव अपने अनुसार दी गयी शिक्षा से आने वाले समय में आय प्राप्त कराता है.आजकल चारों ओर एक दूसरे कि देखा देखी होड़ सी लगी हुई है ऊँचे ऊँचे संस्थानों से ऊँची ऊँची डिग्रियाँ प्राप्त करने की.बिना ये देखे बिना ये जाने कि बच्चे का झुकाव किस विषय की ओर हो रहा है.
याद होगी आपको कुछ समय पहले अमीर खान जी कि इस विषय पर आयी फ़िल्म.अरे वही वाली जिस में यह गीत भी था "अन्धेरे से डरता हूँ मै माँ "
ये अंधेरा वो अंधेरा है जो उसके मन की आँखें भाँप पा रही हैं.आने वाले समय का अंधेरा.क्योंकि माता पिता बच्चे को अपनी पसंद के विषय की पढाई करना चाह रहे हैं लेकिन बच्चे का मन जनता है कि इस विषय से आने वाले समय में उस के लिए अंधेरा ही रहने वाला है ,इसीलिये वो डरता है और कहता है कि अन्धेरे से डरता हूँ माँ .शिक्षा व ज्ञान में मूलभूत अंतर होता है.मैं दावे के साथ कहता हूँ कि जीवन में सदा उन्हीं लोगों ने अधिक सफलता प्राप्त कि है जिन्होने ज्ञान प्राप्त किया है.शिक्षा जिन्होंने पायी वो अपनी मंज़िल के लिए अधिकतर भटकते ही देखे गए.अन्तर ये रहा कि अपने मूलभूत ग्रह के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने वालों ने ज्ञान हासिल किया और बिना सोचे समझे समाज की देखा देखी करने वालों ने मात्र शिक्षा प्राप्त की .आज जो भी डिग्रियाँ प्रचलन में हैं वो आज से तीस साल पहले नहीं थीं.आज अपने अपने क्षेत्र में सफल जातको ने शायद ही इन में से कोइ डिग्री प्राप्त की है .वहीं दूसरी ओर आज से बीस साल बाद जो भी डिग्रियाँ आ जायेंगि वो आज के छात्रों के पास नहीं होंगी.तो क्या मान लिया जाय कि वो सफल नहीं होंगे?मान लीजिये कि यदि तेंडुलकर एक डॉक्टर होते तो क्या होता ,या बच्चन साहब कहीं प्रोफेसर होते ,मनमोहन जी ने यदि अर्थशाश्त्र के बजाय इतिहास पढ़ा होता.सहारा के राय जी यदि बैंक में क्लर्क होते?ये आज सफल है क्योंकि इन्होने अपना क्षेत्र उस ग्रह से संबंधित किया जो पंच्मेश व दशमेश कि प्रवृत्ति से मेल खाता था.पंच्मेश यदि यदि किसी प्रकार से निर्बल या अस्त हो तो पंचम भाव पर दृष्टि रखने वाले ग्रह,पंच्मेश से युति वाले ग्रह ,लगान या लग्नेश से युति करने वाले व सम स्वभाव के ग्रह के अनुसार भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है.नीचे बने चार्ट से आपको यह जानने में सुविधा होगी कि कौन सा विषय किस ग्रह से संबंधित हो सकता है ;----
1.सूर्य: लोक प्रशासन ,राजनीति ,अर्थशास्त्र,गणित ,मौसम ,वनस्पति विज्ञान ,पशु चिकित्सा ,दवा संबंधी युद्ध संबंधी विषय आदि.
2.चंद्र : गृह विज्ञान,साहित्य,पशुपालन ,मनोविज्ञान ,नर्सिंग ,जल संबंधी,साज़ सज्जा ,शहद , छोटे बच्चों की देखभाल संबंधी विषय भोज्य पदार्थ संबंधी विषय ,व वस्त्र आदि से संबंधित.
3.मंगल : खनिज संबंधी ,ऑटो मोबाइल ,सेना ,पुलिस ,धातु ,पेट्रोलियम ,शारीरिक शिक्षा,व्यायाम ,फिजियोथेरेपी,धरती के अंदर होने वाले कार्यों से संबंधी आदि विषय.
4.बुध : बैंकिंग ,संचार , त्वचा संबंधी ,पत्र्कारिक्ता,शिक्षा,साँस संबंधी विषय,अर्थशास्त्र, कर्मकांड,पैसे संबंधी ,टैक्स आदि से संबंधित विषय.
5.गुरु: शिक्षा ,ज्योतिष ,क़ानून ,चिकित्सा ,व्याकरण,देखभाल ,प्रबंधन आदि संबंधित ..
6. शुक्र : फ़िल्म ,शरीर कि सुंदरता संबंधी ,नाटक ,एनिमेशन ,वस्त्र ,भोजन संबंधी वा लगभग वो सभी विषय जो चंद्र से भी जुड़े होते हैं .
7.शनि :इतिहास ,कृषि ,लेब टेस्ट आदि से संबंधी ,चमड़ा ,सिविल ,कंप्यूटर,अस्पताल ,एरोनाटिकल,विधि शाश्त्र ,कैंसर ,प्रबंधन ,मनोविज्ञान ,बाज़ार से संबंधी विषय.
8.राहू: पुरातत्व ,विषाणु संबंधी, दूरसंचार , इंजीनियरिंग ,जादू टोना ,रहश्य्मय विषय ,बॉयोटेक्नोलॉजी ,तकनीकी काम,रेडियोलॉजी आदि.
अपने विषय में आपको नए नए विचार सदा आते है जो आपको आम भीड़ से अलग कर सफलता के मुकाम तक पहुँचाते हैं,किन्तु अन्य विषयों पर आप रटी हुई थ्योरी पर चलते हैं.आपके विचारों को आकाश नहीं मिलता. अतः आपका हुनर ढका रह जाता है.अपने मौलिक विषय से ही आप सफलता का स्वाद चख सकते हैं. तब शायद ये गाना गाने कि आवश्यकता ही ना हो "अन्धेरे से डरता हूँ माँ "
( आपसे प्रार्थना है कि कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने )
याद होगी आपको कुछ समय पहले अमीर खान जी कि इस विषय पर आयी फ़िल्म.अरे वही वाली जिस में यह गीत भी था "अन्धेरे से डरता हूँ मै माँ "
ये अंधेरा वो अंधेरा है जो उसके मन की आँखें भाँप पा रही हैं.आने वाले समय का अंधेरा.क्योंकि माता पिता बच्चे को अपनी पसंद के विषय की पढाई करना चाह रहे हैं लेकिन बच्चे का मन जनता है कि इस विषय से आने वाले समय में उस के लिए अंधेरा ही रहने वाला है ,इसीलिये वो डरता है और कहता है कि अन्धेरे से डरता हूँ माँ .शिक्षा व ज्ञान में मूलभूत अंतर होता है.मैं दावे के साथ कहता हूँ कि जीवन में सदा उन्हीं लोगों ने अधिक सफलता प्राप्त कि है जिन्होने ज्ञान प्राप्त किया है.शिक्षा जिन्होंने पायी वो अपनी मंज़िल के लिए अधिकतर भटकते ही देखे गए.अन्तर ये रहा कि अपने मूलभूत ग्रह के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने वालों ने ज्ञान हासिल किया और बिना सोचे समझे समाज की देखा देखी करने वालों ने मात्र शिक्षा प्राप्त की .आज जो भी डिग्रियाँ प्रचलन में हैं वो आज से तीस साल पहले नहीं थीं.आज अपने अपने क्षेत्र में सफल जातको ने शायद ही इन में से कोइ डिग्री प्राप्त की है .वहीं दूसरी ओर आज से बीस साल बाद जो भी डिग्रियाँ आ जायेंगि वो आज के छात्रों के पास नहीं होंगी.तो क्या मान लिया जाय कि वो सफल नहीं होंगे?मान लीजिये कि यदि तेंडुलकर एक डॉक्टर होते तो क्या होता ,या बच्चन साहब कहीं प्रोफेसर होते ,मनमोहन जी ने यदि अर्थशाश्त्र के बजाय इतिहास पढ़ा होता.सहारा के राय जी यदि बैंक में क्लर्क होते?ये आज सफल है क्योंकि इन्होने अपना क्षेत्र उस ग्रह से संबंधित किया जो पंच्मेश व दशमेश कि प्रवृत्ति से मेल खाता था.पंच्मेश यदि यदि किसी प्रकार से निर्बल या अस्त हो तो पंचम भाव पर दृष्टि रखने वाले ग्रह,पंच्मेश से युति वाले ग्रह ,लगान या लग्नेश से युति करने वाले व सम स्वभाव के ग्रह के अनुसार भी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है.नीचे बने चार्ट से आपको यह जानने में सुविधा होगी कि कौन सा विषय किस ग्रह से संबंधित हो सकता है ;----
1.सूर्य: लोक प्रशासन ,राजनीति ,अर्थशास्त्र,गणित ,मौसम ,वनस्पति विज्ञान ,पशु चिकित्सा ,दवा संबंधी युद्ध संबंधी विषय आदि.
2.चंद्र : गृह विज्ञान,साहित्य,पशुपालन ,मनोविज्ञान ,नर्सिंग ,जल संबंधी,साज़ सज्जा ,शहद , छोटे बच्चों की देखभाल संबंधी विषय भोज्य पदार्थ संबंधी विषय ,व वस्त्र आदि से संबंधित.
3.मंगल : खनिज संबंधी ,ऑटो मोबाइल ,सेना ,पुलिस ,धातु ,पेट्रोलियम ,शारीरिक शिक्षा,व्यायाम ,फिजियोथेरेपी,धरती के अंदर होने वाले कार्यों से संबंधी आदि विषय.
4.बुध : बैंकिंग ,संचार , त्वचा संबंधी ,पत्र्कारिक्ता,शिक्षा,साँस संबंधी विषय,अर्थशास्त्र, कर्मकांड,पैसे संबंधी ,टैक्स आदि से संबंधित विषय.
5.गुरु: शिक्षा ,ज्योतिष ,क़ानून ,चिकित्सा ,व्याकरण,देखभाल ,प्रबंधन आदि संबंधित ..
6. शुक्र : फ़िल्म ,शरीर कि सुंदरता संबंधी ,नाटक ,एनिमेशन ,वस्त्र ,भोजन संबंधी वा लगभग वो सभी विषय जो चंद्र से भी जुड़े होते हैं .
7.शनि :इतिहास ,कृषि ,लेब टेस्ट आदि से संबंधी ,चमड़ा ,सिविल ,कंप्यूटर,अस्पताल ,एरोनाटिकल,विधि शाश्त्र ,कैंसर ,प्रबंधन ,मनोविज्ञान ,बाज़ार से संबंधी विषय.
8.राहू: पुरातत्व ,विषाणु संबंधी, दूरसंचार , इंजीनियरिंग ,जादू टोना ,रहश्य्मय विषय ,बॉयोटेक्नोलॉजी ,तकनीकी काम,रेडियोलॉजी आदि.
अपने विषय में आपको नए नए विचार सदा आते है जो आपको आम भीड़ से अलग कर सफलता के मुकाम तक पहुँचाते हैं,किन्तु अन्य विषयों पर आप रटी हुई थ्योरी पर चलते हैं.आपके विचारों को आकाश नहीं मिलता. अतः आपका हुनर ढका रह जाता है.अपने मौलिक विषय से ही आप सफलता का स्वाद चख सकते हैं. तब शायद ये गाना गाने कि आवश्यकता ही ना हो "अन्धेरे से डरता हूँ माँ "
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