लोकोक्ति के रूप में हनुमान जी के लंका गमन के दौरान शनि महाराज से हुआ
वार्तालाप लगभग आप सभी को मालूम है.रावण की कैद से शनि को जब हनुमान जी ने
मुक्त किया तो शनि जी ने वादा किया की जो भी आप की उपासना करेगा,या आपके
निकट होगा,मेरे दुष्प्रभाव से वो सदा मुक्त रहेगा.अब समय के साथ-साथ शनिवार
को सुन्दर कांड का पाठ ,तेल का दान,मंदिरों में शनि महाराज को कई किलो तेल
से स्नान कराने की प्रथा शुरू हो गयी.कई जातक शिकायत भी करते रहते हैं की
पंडित जी कई दिन हो गए,सारा काम त्यागकर नियम से शनि महाराज को तेल का दान
कर रहा हूँ पर कोई फर्क पड़ता महसूस नहीं हो रहा.तो मैं बड़ा अफ़सोस करता
हूँ की कैसे बातों का गलत अर्थ लगाया जाता है और बाद में बुराई शाश्त्र के
हिस्से में आती है.
वास्तव में शनि का प्रभाव शरीर
के अन्दर जमे हुए पदार्थों पर है.चर्बी,मोटापा, आलस,सुस्ती ये सब शनि के
आधीन हैं.जब किसी का शरीर मोटा हो रहा है,काम के प्रति आलस का भाव जागने
लगा है,हर काम अधूरे छूट रहे हैं या टाइम से पूरे नहीं हो रहे हैं,नौकरी के
लिए आवेदन किया तो पता लगा की लास्ट डेट निकल गयी है ,कहीं किसी के साथ
मीटिंग है या कहीं इंटरविउ देने जाना था और समय पर गाडी नहीं पकड़ पाए.बच्चे
को स्कूल छोड़ने में रोज देर हो रही है,तो समझ लो भैया की वास्तव में आप
शनि महाराज की लपेट में आ गए हैं .इसका पहला सीधा सा
लक्षण यह है की जातक सुबह देर से जागने लगता है.ध्यान दें की शनि नैसर्गिक
तौर से सूर्य देव के शत्रु हैं,और जब भी किसी के जीवन में शनि का बुरा
प्रभाव बदने लगता है तो सबसे पहले वो सुबह देर से जागने लगता है व दिन में
भी सोने की आदत उसे लग जाती है.विचारों में जड़ता आने लगती है,समस्याओं के
हल नहीं सुझाई देते,दिमाग काम ही नहीं करता,
उपायस्वरूप जातक को शनि दान की सलाह दी जाती है.सलाह बिलकुल ठीक है किन्तु तरीका गलत होता है.तेल दान का अर्थ है अपने शरीर की जमी चर्बी को पसीने के रूप में गला कर पत्थरों अर्थात जमीन को दान करना.यानि खूब पसीना बहाना.अब पसीना सदा तभी आता है जब आप रक्त को तेजी से संचारित करते हैं,यानि खूब मेहनत करते हैं .शरीर में लाल रंग का जो रक्त संचार कर रहा है ये मंगल के डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है और आप जानते ही हैं की मंगल के बॉस हनुमान जी ही हैं.यानि शनिवार को जातक कसम खा ले की आज कुर्सी पर नहीं बैठना है बल्कि सभी पैंडिंग कामो को निबटाना है.किसी से मिलना जो काफी समय से आप टाल रहे हैं, गैस बुक करनी है,कोई फॉर्म खरीदने बाजार जाना है,बैंक का काम निबटाना है,माता जी को डॉक्टर को देखना है,जूते फटे हुए हैं पर मोची के पास जाने का समय नहीं निकल पा रहे हैं,कमीज का बटन टूटा हुआ है,पैंट की चैन ख़राब है पर टेलर के पास जाने की फुर्सत नहीं है और न जाने कितने छोटे बड़े काम.महाराज सभी को आज से निबटाना शुरू कर दो. शनिवार को खुद को इतना व्यस्त रखो की रक्त रुपी मंगल के रूप में हनुमान जी आपके शरीर से खूब पसीना बहा दें .यकीन मानिये १६ (सोलह) शनिवार यह व्रत ठान लीजिये और स्वयं चमत्कार का अनुभव करें.धीरे धीरे हालात स्वयं अनुकूल होते जायेंगे.
मंदिरों में जाकर नाली में तेल बहा देना या मांगने वाले को पैसे दान करने का कोई हासिल नहीं.तेल पर बर्बाद होने वाले उन पैसों को एक गुल्लक में जमा करें और किसी छुट्टी के दिन बच्चों और उनकी मम्मी जी को उ न पैसों की रस मलाई खिला कर लायें.पिताजी के लिए एक धूप का चश्मा,या रुमाल या माता जी लिए भजन की किताब खरीद लें .ये भी सुन्दर फल प्रदान करेंगे .किन्तु शनि के दान के फलीभूत होने के लिए पहली शर्त सुबह सूर्योदय से पहले जागना है.केवल शनिवार नहीं अपितु हर रोज.
आशा है की अब आपको शनि के तेल दान का वास्तविक तरीका ज्ञात हो गया होगा.
( आपसे प्रार्थना है कि कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने )
उपायस्वरूप जातक को शनि दान की सलाह दी जाती है.सलाह बिलकुल ठीक है किन्तु तरीका गलत होता है.तेल दान का अर्थ है अपने शरीर की जमी चर्बी को पसीने के रूप में गला कर पत्थरों अर्थात जमीन को दान करना.यानि खूब पसीना बहाना.अब पसीना सदा तभी आता है जब आप रक्त को तेजी से संचारित करते हैं,यानि खूब मेहनत करते हैं .शरीर में लाल रंग का जो रक्त संचार कर रहा है ये मंगल के डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है और आप जानते ही हैं की मंगल के बॉस हनुमान जी ही हैं.यानि शनिवार को जातक कसम खा ले की आज कुर्सी पर नहीं बैठना है बल्कि सभी पैंडिंग कामो को निबटाना है.किसी से मिलना जो काफी समय से आप टाल रहे हैं, गैस बुक करनी है,कोई फॉर्म खरीदने बाजार जाना है,बैंक का काम निबटाना है,माता जी को डॉक्टर को देखना है,जूते फटे हुए हैं पर मोची के पास जाने का समय नहीं निकल पा रहे हैं,कमीज का बटन टूटा हुआ है,पैंट की चैन ख़राब है पर टेलर के पास जाने की फुर्सत नहीं है और न जाने कितने छोटे बड़े काम.महाराज सभी को आज से निबटाना शुरू कर दो. शनिवार को खुद को इतना व्यस्त रखो की रक्त रुपी मंगल के रूप में हनुमान जी आपके शरीर से खूब पसीना बहा दें .यकीन मानिये १६ (सोलह) शनिवार यह व्रत ठान लीजिये और स्वयं चमत्कार का अनुभव करें.धीरे धीरे हालात स्वयं अनुकूल होते जायेंगे.
मंदिरों में जाकर नाली में तेल बहा देना या मांगने वाले को पैसे दान करने का कोई हासिल नहीं.तेल पर बर्बाद होने वाले उन पैसों को एक गुल्लक में जमा करें और किसी छुट्टी के दिन बच्चों और उनकी मम्मी जी को उ न पैसों की रस मलाई खिला कर लायें.पिताजी के लिए एक धूप का चश्मा,या रुमाल या माता जी लिए भजन की किताब खरीद लें .ये भी सुन्दर फल प्रदान करेंगे .किन्तु शनि के दान के फलीभूत होने के लिए पहली शर्त सुबह सूर्योदय से पहले जागना है.केवल शनिवार नहीं अपितु हर रोज.
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