ज्योतिष में यदि सबसे कम चर्चा किन्ही ग्रहों की होती है तो वो हैं बुध व
केतु. इनपर सबसे कम लिखा गया है,सबसे कम ध्यान दिया जाता है , सबसे
कम इन्ही से डरा जाता है.मंगल, राहू, शनि,अदि ग्रहों का नाम सुनकर ही आम
आदमी की घिगी बंध जाती है,किन्तु बुध और केतु को बेचारे समझ कर इन्हें भाव
ही नहीं दिया जाता.इस कारण ये अन्दर ही अन्दर कितना नुकसान कर जाते हैं
पता ही नहीं चल पाता.
आपने कभी किसी घुन्ने इंसान को देखा है?अरे वही जो बस मन ही मन जलना ,चिढना जानता है. पर कभी आपके सामने आपके लिए अपनी फितरत को प्रदर्शित नहीं करता.आपकी गाडी से लिफ्ट मांगकर आता है और मौका देखकर उसी की हवा निकाल देता है और वापसी में आपको बिना बताय किसी और के साथ निकल जाता है.या जाते जाते आपकी गाडी पर पत्थर से निशान मार जाता है. जिसे बात बात पर आँख मारने की आदत होती है जैसे कह रहा हो की बेटा मुझे क्या समझा रहे हो,मुझे तो सब पहले से ही पाता है वो तो बस मैं तुम्हारी बातों से मजे ले रहा हूँ. `आप उसकी मीठी मीठी बातों से कभी कभी समझ तो सब जाते हैं लेकिन उसके चापलूसी भरे व्यवहार के कारण उसे कह कुछ नहीं पाते.और वह समय समय पर आपके ऊपर गुप्त प्रहार करने से नहीं चूकता.
बस तो साहब यही हाल ज्योतिष में केतु और बुध का है.बुध की दोनों राशियाँ द्विस्वभाव हैं अततः नैसर्गिक रूप से इसका व्यवहार भी द्विस्वभाव है.जहाँ यह सूर्य को छोड़ कर आगे निकला ,या सूर्य की आँख बचाकर उससे पीछे रह गया तो तब आप इसकी खुरापातों को ढंग से समझ लेंगे.यह आपको परेशान करने से नहीं चूकेगा.जातक की या तो बुआ (पिता की बहन)होती नहीं है,या जातक के अपनी बुआ से सम्बन्ध ठीक नहीं रह पाते.जिस कारण वह व्यवसाय में सदा धोखा खाता है या पर्याप्त परिश्रम के के बाद भी फल प्राप्त नहीं करता.
केतु विश्वासघात करने वाला ग्रह है .ये जहाँ अकेला होगा उस भाव से आपको निश्चिन्त करने का प्रयास करेगा.आपको उस भाव से सम्बंधित कमी नहीं खलने देगा किन्तु जब उस भाव के फलित की आवश्यकता पड़ेगी तो आपको वहां से कोई सहायता प्राप्त नहीं होगी. उदाहरण के लिए आपको घर से निकलते हुए अपने बटुए के भरे होने का अहसास होगा किन्तु मौके पर आपका बटुआ खाली होगा.इसी प्रकार केतु यदि पंचम भाव में अकेला होगा तो आपको कभी अपनी शिक्षा का लाभ जीवन में नहीं मिल पायेगा . यह आपको पहले तो खुद ही बेफिक्र करेगा उसके बाद आपकी लापरवाही का फायदा उठाकर आपको धोखा दे देगा,और आप अपनी ही आत्मुग्हता में डूबे रहेंगे . और इसी कारण सदा पीछे रह जायेंगे.कारण कभी आपकी समझ में नहीं आएगा. आपको सदा विश्वास रहेगा की ससुराल से आपको बहुत मदद मिलने वाली है किन्तु समय पर आपको एक फुग्गा भी वहां से नहीं मिलेगा.कहा यह जायेगा की हम चाहते तो बहुत हैं तुम्हारी मदद करना किन्तु मजबूर हैं.ये खेल केतु महाराज का होता है.होकर भी वस्तु का न होना.मरीचिका,दृष्टिभ्रम कुछ भी कहिये.ज्योतिष शाश्त्र में बताये गए छह गंडमूल में से क्या आपने ध्यान दिया की तीन का स्वामी बुध है और तीन का केतु. देखा इन के व्यवहार के कारण इस और ध्यान ही नहीं जाता न?इसी कारण मैं इन्हें साइलेंट किलर कहता हूँ .
कई स्थापित ज्योतिषियों को इस मामले में धोखा खाते देखता हूँ.सच कहूँ तो स्वयं भी कई बार इन दोनों ग्रहों की शरारत कुंडली में भांपने से चूका हूँ.आप उपाय बदनाम ग्रहों का कर रहे होते है जबकि उनका रोल उस समस्या में कहीं नहीं होता,अततः न ही सही रिजल्ट आता है न ही अगले की समस्या का हल निकलता है.
जातक परेशान होता है,ज्योतिषी हैरान होता है और ये दोनों ग्रह दूर बैठे तिरछा मुंह करके हँसते हुए मजा ले रहे होते हैं. उम्मीद है की अगली बार आप इनसे धोखा नहीं खाओगे.
( आपसे प्रार्थना है कि कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने )
आपने कभी किसी घुन्ने इंसान को देखा है?अरे वही जो बस मन ही मन जलना ,चिढना जानता है. पर कभी आपके सामने आपके लिए अपनी फितरत को प्रदर्शित नहीं करता.आपकी गाडी से लिफ्ट मांगकर आता है और मौका देखकर उसी की हवा निकाल देता है और वापसी में आपको बिना बताय किसी और के साथ निकल जाता है.या जाते जाते आपकी गाडी पर पत्थर से निशान मार जाता है. जिसे बात बात पर आँख मारने की आदत होती है जैसे कह रहा हो की बेटा मुझे क्या समझा रहे हो,मुझे तो सब पहले से ही पाता है वो तो बस मैं तुम्हारी बातों से मजे ले रहा हूँ. `आप उसकी मीठी मीठी बातों से कभी कभी समझ तो सब जाते हैं लेकिन उसके चापलूसी भरे व्यवहार के कारण उसे कह कुछ नहीं पाते.और वह समय समय पर आपके ऊपर गुप्त प्रहार करने से नहीं चूकता.
बस तो साहब यही हाल ज्योतिष में केतु और बुध का है.बुध की दोनों राशियाँ द्विस्वभाव हैं अततः नैसर्गिक रूप से इसका व्यवहार भी द्विस्वभाव है.जहाँ यह सूर्य को छोड़ कर आगे निकला ,या सूर्य की आँख बचाकर उससे पीछे रह गया तो तब आप इसकी खुरापातों को ढंग से समझ लेंगे.यह आपको परेशान करने से नहीं चूकेगा.जातक की या तो बुआ (पिता की बहन)होती नहीं है,या जातक के अपनी बुआ से सम्बन्ध ठीक नहीं रह पाते.जिस कारण वह व्यवसाय में सदा धोखा खाता है या पर्याप्त परिश्रम के के बाद भी फल प्राप्त नहीं करता.
केतु विश्वासघात करने वाला ग्रह है .ये जहाँ अकेला होगा उस भाव से आपको निश्चिन्त करने का प्रयास करेगा.आपको उस भाव से सम्बंधित कमी नहीं खलने देगा किन्तु जब उस भाव के फलित की आवश्यकता पड़ेगी तो आपको वहां से कोई सहायता प्राप्त नहीं होगी. उदाहरण के लिए आपको घर से निकलते हुए अपने बटुए के भरे होने का अहसास होगा किन्तु मौके पर आपका बटुआ खाली होगा.इसी प्रकार केतु यदि पंचम भाव में अकेला होगा तो आपको कभी अपनी शिक्षा का लाभ जीवन में नहीं मिल पायेगा . यह आपको पहले तो खुद ही बेफिक्र करेगा उसके बाद आपकी लापरवाही का फायदा उठाकर आपको धोखा दे देगा,और आप अपनी ही आत्मुग्हता में डूबे रहेंगे . और इसी कारण सदा पीछे रह जायेंगे.कारण कभी आपकी समझ में नहीं आएगा. आपको सदा विश्वास रहेगा की ससुराल से आपको बहुत मदद मिलने वाली है किन्तु समय पर आपको एक फुग्गा भी वहां से नहीं मिलेगा.कहा यह जायेगा की हम चाहते तो बहुत हैं तुम्हारी मदद करना किन्तु मजबूर हैं.ये खेल केतु महाराज का होता है.होकर भी वस्तु का न होना.मरीचिका,दृष्टिभ्रम कुछ भी कहिये.ज्योतिष शाश्त्र में बताये गए छह गंडमूल में से क्या आपने ध्यान दिया की तीन का स्वामी बुध है और तीन का केतु. देखा इन के व्यवहार के कारण इस और ध्यान ही नहीं जाता न?इसी कारण मैं इन्हें साइलेंट किलर कहता हूँ .
कई स्थापित ज्योतिषियों को इस मामले में धोखा खाते देखता हूँ.सच कहूँ तो स्वयं भी कई बार इन दोनों ग्रहों की शरारत कुंडली में भांपने से चूका हूँ.आप उपाय बदनाम ग्रहों का कर रहे होते है जबकि उनका रोल उस समस्या में कहीं नहीं होता,अततः न ही सही रिजल्ट आता है न ही अगले की समस्या का हल निकलता है.
जातक परेशान होता है,ज्योतिषी हैरान होता है और ये दोनों ग्रह दूर बैठे तिरछा मुंह करके हँसते हुए मजा ले रहे होते हैं. उम्मीद है की अगली बार आप इनसे धोखा नहीं खाओगे.
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bahut hi umda jaankari mil rahi hai aapke lekho se
जवाब देंहटाएंaaj tak jyotish ka yeh lekh mujhe sab se accha laga
जवाब देंहटाएंप्रेरित करने हेतु शुक्रिया
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंpehli bar aapka blog padha he lekin yakin maniye bahut hi umda jankari rakhte he aap. aapse kuch jyadahi jann ko mil rahahe
जवाब देंहटाएंor aapki jo saral bhasha me likhna bahut hi acha he.
great work. thank u so much