कुंडली अध्ययन के समय या पंडित जी के मुंह से कई बार आपने दशा शब्द सुना
होगा.मसलन राहू की दशा चल रही है.शनि में केतु की दशा लगी है.सूर्य में
मंगल की अन्तर्दशा चल रही है आदि .तब कई बार ह्रदय में ये सवाल उमढ कर आता
है की आखिर ये दशाएं हैं क्या. ऋषियों द्वारा मनुष्य के जीवन को १२० वर्षों का मान कर इसे नवग्रहों के
आधिपत्य में अलग अलग बांटा गया है.हर ग्रह के हिस्से में कुछ वर्ष माने गए
हैं.अब जब जब जातक उस वर्ष में पहुँचता है तो माना जाता है की कुंडली में
अपने शुभ-अशुभ भाव के आधार पर ग्रह फल देने वाला है.
(आपके द्वारा ब्लॉग पर दिखाए विज्ञापन पर एक क्लिक से हमारी संस्था द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर १ रुपैये योगदान होता है। पुण्य में अपरोक्ष रूप से आपका सहयोग ही सही ,क्या पता कहाँ आपके काम आ जाय …कृपया ऐड पर क्लिक करें)
हर ग्रह में सभी ग्रहों की अंतर दशाएं भी चलती हैं.ऐसा नहीं है की यदि कुंडली में ग्रह ख़राब अवस्था में है,तो उसकी सारी महादशा भी ख़राब ही होगी.इस अवधि के दौरान अलग अलग ग्रहों की अंतर दशाएं अलग अलग परिणाम प्रस्तुत करेंगी.
अश्वनी से रेवती तक इन्हें क्रमश: केतु,शुक्र ,सूर्य ,चन्द्र,मंगल राहू,गुरु,शनि,बुध, का अधिपत्य प्राप्त है, एक ग्रह के आधीन तीन नक्षत्र हैं.अब जातक का जन्म जिस भी नक्षत्र में होगा तो उसी के अनुसार उसके जीवन की महादशा मानी जाएगी.चार्ट द्वारा समझें. केतु : अश्विनी मघा मूल
अगर आपका जन्म अश्वनी नक्षत्र में हुआ है तो आपके जन्म समय में केतु की दशा
चल रही थी.अब आप केतु के चार चरणों में से किस चरण के हैं उस हिसाब से
केतु के सात दशा वर्षों में से दशा शेष रहेगी.ये थोडा गणितीय प्रक्रिया है
किन्तु समझाने के लिए इसे यूँ मान लीजिये की यदि आपका जन्म अश्वनी के दुसरे
चरण में हुआ है तो आप जन्म से पहले ही सात में से एक वर्ष व नौ महीने की
दशा तो भोग चुके हैं.(७ को ४ से भाग दिया तो १.९ हासिल होता है) अब आपने
लगभग पांच साल और तीन महीने की दशा केतु की भोगनी है ,फिर इसी क्रम में आप
शुक्र की २० वर्ष की दशा भोगेंगे. फिर सूर्य की, फिर चन्द्र की .इसी क्रम
में आपका जीवन सम्बंधित ग्रहों की महादशा के आधीन रहेगा.
एक अन्य उदाहरण देता हूँ.मान लीजिये आपका जन्म विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है तो चार्ट में देखिये विशाखा गुरु के सामने लिखा है .अर्थात जातक का जन्म गुरु की दशा में हुआ है,अब दो चरण का समय काल पहले ही पूरा हो चूका है.याने आप १६ में से आठ वर्ष की गुरु की दशा पहले ही काट चुके हैं.अब बचे आठ में से लगभग आठ वर्ष से कम ही दशा आप गुरु की भोगेंगे.(सटीक समय काल के लिए थोडा मेहनत करनी होगी,ये मैं आपको समझाने हेतु संभावित समय बता रहा हूँ) .आपके आठ वर्षायु के पश्चात आप के जीवन में शनि की १९ वर्ष की दशा शुरू हो जाएगी.
अब आवश्यक नहीं की हर मनुष्य १२० वर्ष की आयु प्राप्त करे.अतः हर जातक के जीवन में हर ग्रह की दशा आना भी संभव नहीं होता.यदि कुंडली में किसी ग्रह द्वारा कोई दुर्योग बन रहा हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं है,पहले ये जांच लें की सम्बंधित ग्रह की दशा आपके जीवन में आ रही है या नहीं.यदि आपके जीवन में उस ग्रह की दशा नहीं आनी है तो अपनी अन्तर्दशा में वह ग्रह बहुत मामूली रूप से आपको प्रभावित करेगा,व जिसका उपाय शास्त्रोसम्मत तरीके से सहज ही हो जाता है. यही सिद्धांत राज योगों पर भी लागू होता है.साधारणतया ज्योतिषी किसी भी कुंडली में किसी प्रकार का राज योग देखकर सीधे उसकी भविष्यवाणी कर देते हैं और जातक हैरान-परेशान रहता है की भला ये योग फलित क्यों नहीं हो रहे.सीधी सी बात है की राजयोग में मुख्य किरदार निभाने वाले ग्रह की दशा ही नहीं आ रही है. योगों के फलित होने का क्या समय होता है अथवा किस समय काल में कोई योग फलित होगा ये जानने का तरीका भी किसी ब्लॉग में बताने का प्रयास करूँगा.
किसी भी ग्रह की महादशा में पहली शुरूआती अन्तर्दशा एक निश्चित अवधी के लिए स्वयं उसी ग्रह की होती है,पश्चात विशोंतरी दशा के क्रम में ही अगले ग्रह की अन्तर्दशा आ जाती है.जैसे राहू की महादशा में पहले राहू ही की अन्तर्दशा आएगी,फिर गुरु की ,पश्चात शनि-बुध -केतु शुक्र-सूर्य-चन्द्र-मंगल .राहू से एकदम पहले वाले ग्रह पर आते ही राहू की दशा में अंतिम अन्तर्दशा होती है व उसके बाद गुरु की महादशा प्रारंभ होती है.सामान रूप से गुरु में पहली अन्तर्दशा गुरु की ही होगी,उसके पश्चात शनि की ,फिर बुध-केतु-शुक्र-सूर्य-चन्द्र-मंगल-राहू. राहू की अन्तर्दशा गुरु की महादशा में अंतिम अन्तर्दशा होगी,इसके उपरान्त शनि की महादशा प्रारंभ हो जाएगी.
बहुत ही सरल भाषा में मैंने आपको विशोंतरी महादशा के बारे में बताने का प्रयास किया है.आशा है की इससे आपको कुछ सहायता प्राप्त होगी अपनी कुंडली को समझने में.पूर्व में ऐसे ही उमा-महेश्वरी दशा का भी उपयोग होता था,किन्तु अब अपनी सटीकता के कारण सर्वत्र लगभग विशोंतरी दशा ही उपयोग में लायी जाती है.लेख के बारे में आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी.
( आपसे प्रार्थना है कि कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने )
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हर ग्रह में सभी ग्रहों की अंतर दशाएं भी चलती हैं.ऐसा नहीं है की यदि कुंडली में ग्रह ख़राब अवस्था में है,तो उसकी सारी महादशा भी ख़राब ही होगी.इस अवधि के दौरान अलग अलग ग्रहों की अंतर दशाएं अलग अलग परिणाम प्रस्तुत करेंगी.
अश्वनी से रेवती तक इन्हें क्रमश: केतु,शुक्र ,सूर्य ,चन्द्र,मंगल राहू,गुरु,शनि,बुध, का अधिपत्य प्राप्त है, एक ग्रह के आधीन तीन नक्षत्र हैं.अब जातक का जन्म जिस भी नक्षत्र में होगा तो उसी के अनुसार उसके जीवन की महादशा मानी जाएगी.चार्ट द्वारा समझें. केतु : अश्विनी मघा मूल
शुक्र : भरणी पूर्वाफाल्गुनी पूर्वाषाडा
सूर्य : कृतिका उत्तराफाल्गुनी उत्तराषाडा
चन्द्र : रोहिणी हस्त श्रवण
मंगल : मृगशिरा चित्रा धनिष्ठा
राहू : आद्रा स्वाति शतभिषा
गुरु : पुनर्वसु विशाखा पूर्वाभाद्रपद
शनि : पुष्य अनुराधा उत्तराभाद्रपद
बुध : अश्लेषा ज्येष्ठा रेवती
एक अन्य उदाहरण देता हूँ.मान लीजिये आपका जन्म विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है तो चार्ट में देखिये विशाखा गुरु के सामने लिखा है .अर्थात जातक का जन्म गुरु की दशा में हुआ है,अब दो चरण का समय काल पहले ही पूरा हो चूका है.याने आप १६ में से आठ वर्ष की गुरु की दशा पहले ही काट चुके हैं.अब बचे आठ में से लगभग आठ वर्ष से कम ही दशा आप गुरु की भोगेंगे.(सटीक समय काल के लिए थोडा मेहनत करनी होगी,ये मैं आपको समझाने हेतु संभावित समय बता रहा हूँ) .आपके आठ वर्षायु के पश्चात आप के जीवन में शनि की १९ वर्ष की दशा शुरू हो जाएगी.
अब आवश्यक नहीं की हर मनुष्य १२० वर्ष की आयु प्राप्त करे.अतः हर जातक के जीवन में हर ग्रह की दशा आना भी संभव नहीं होता.यदि कुंडली में किसी ग्रह द्वारा कोई दुर्योग बन रहा हो तो घबराने की आवश्यकता नहीं है,पहले ये जांच लें की सम्बंधित ग्रह की दशा आपके जीवन में आ रही है या नहीं.यदि आपके जीवन में उस ग्रह की दशा नहीं आनी है तो अपनी अन्तर्दशा में वह ग्रह बहुत मामूली रूप से आपको प्रभावित करेगा,व जिसका उपाय शास्त्रोसम्मत तरीके से सहज ही हो जाता है. यही सिद्धांत राज योगों पर भी लागू होता है.साधारणतया ज्योतिषी किसी भी कुंडली में किसी प्रकार का राज योग देखकर सीधे उसकी भविष्यवाणी कर देते हैं और जातक हैरान-परेशान रहता है की भला ये योग फलित क्यों नहीं हो रहे.सीधी सी बात है की राजयोग में मुख्य किरदार निभाने वाले ग्रह की दशा ही नहीं आ रही है. योगों के फलित होने का क्या समय होता है अथवा किस समय काल में कोई योग फलित होगा ये जानने का तरीका भी किसी ब्लॉग में बताने का प्रयास करूँगा.
किसी भी ग्रह की महादशा में पहली शुरूआती अन्तर्दशा एक निश्चित अवधी के लिए स्वयं उसी ग्रह की होती है,पश्चात विशोंतरी दशा के क्रम में ही अगले ग्रह की अन्तर्दशा आ जाती है.जैसे राहू की महादशा में पहले राहू ही की अन्तर्दशा आएगी,फिर गुरु की ,पश्चात शनि-बुध -केतु शुक्र-सूर्य-चन्द्र-मंगल .राहू से एकदम पहले वाले ग्रह पर आते ही राहू की दशा में अंतिम अन्तर्दशा होती है व उसके बाद गुरु की महादशा प्रारंभ होती है.सामान रूप से गुरु में पहली अन्तर्दशा गुरु की ही होगी,उसके पश्चात शनि की ,फिर बुध-केतु-शुक्र-सूर्य-चन्द्र-मंगल-राहू. राहू की अन्तर्दशा गुरु की महादशा में अंतिम अन्तर्दशा होगी,इसके उपरान्त शनि की महादशा प्रारंभ हो जाएगी.
बहुत ही सरल भाषा में मैंने आपको विशोंतरी महादशा के बारे में बताने का प्रयास किया है.आशा है की इससे आपको कुछ सहायता प्राप्त होगी अपनी कुंडली को समझने में.पूर्व में ऐसे ही उमा-महेश्वरी दशा का भी उपयोग होता था,किन्तु अब अपनी सटीकता के कारण सर्वत्र लगभग विशोंतरी दशा ही उपयोग में लायी जाती है.लेख के बारे में आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी.
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bahut achcha hai
जवाब देंहटाएंपंडित जी प्रणाम, कृपया बताये दशाये कैसे कम करती जैसे राहु की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा हो सूर्य की प्रन्तार्दशा हो तो इस अवधि में राहु अपने अनुसार फल देगा या शुक्र या फिर सूर्य का फल मिलेगा.
जवाब देंहटाएंदशाएं हमारी जीवन यात्रा में स्टेशन का महत्त्व रखती हैं व उन स्टेशन तक हम ग्रहों द्वारा चलायी जा रही गाडी पर सवार होकर पहुँचते हैं .उस गाडी में हमारी सीट हमारे पूर्व में किये गए कर्म निर्धारित करते हैं .स्टेशन की यात्रा के दौरान मिलने वाली सुविधाएं गाडी के चालक से हमारे सम्बन्ध पर निर्भर होती है अर्थात कुंडली में ग्रह के भावों व उसकी उपस्थिति पर .स्टेशन तक पहुँचने में गाडी कई बाजारों -घरों-इलाकों से गुजरती है जिसे अन्तर्दशा माना जा सकता है .अब फिर से इन स्थानों पर मिलने वाला सम्मान ,सुविधा चालक व उन बीच के स्थानों के लोगों के सम्बन्ध पर निर्भर करता है .यही बात हमारे व उन लोगों के सम्बन्ध पर भी लागू होती है .यही कर्म व भाग्य के सिद्धांत को मजबूत करती है .भाग्य व कर्म एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ,इनमे से किसी एक को महत्त्व देना सिक्के के किसी एक हिस्से को महत्त्व देना है ये जानते हुए भी की एक हिस्सा भी न होने से सिक्का खोटा हो जाता है .आशा है आप की जिज्ञासा को शांत कर पाया ....
जवाब देंहटाएंkya sirf naam ke adhar par kisika bhavishya ke vare me pata chal sakta h
जवाब देंहटाएंगुरू जी प्रणाम.....ज्योतिष का जिज्ञासु छात्र हूँ। नियमित रूप से आपके सारे आलेख पढ़ता हूँ। मेरी एक जिज्ञासा है----महादशा में अन्तरदशा का विश्लेषण करने के क्या नियम है ? जैसे- मेरी धनु लग्न कुण्डली में शुक्र की महादशा (2014-34तक) में शुक्र की अन्तरदशा (4-7-2014 से 2017तक) चल रही है, शुक्र छठे भाव में वृष राशी में बैठा है, अब इसका विश्लेषण कैसे करूँ ?
जवाब देंहटाएंगुरू जी प्रणाम.....ज्योतिष का जिज्ञासु छात्र हूँ। नियमित रूप से आपके सारे आलेख पढ़ता हूँ। मेरी एक जिज्ञासा है----महादशा में अन्तरदशा का विश्लेषण करने के क्या नियम है ? जैसे- मेरी धनु लग्न कुण्डली में शुक्र की महादशा (2014-34तक) में शुक्र की अन्तरदशा (4-7-2014 से 2017तक) चल रही है, शुक्र छठे भाव में वृष राशी में बैठा है, अब इसका विश्लेषण कैसे करूँ ?
जवाब देंहटाएंPandit jee Pranam
जवाब देंहटाएंKripaya bataye, Guru mahadasha sabhi lagno ke liye achhi hoti hai ya kishi particular lagn ke jaatak ke liye. Sani ki mahadasha sabhi jaatak ke liye kharaab hoti hai ya kishi particular lagn ke jaatak ke liye.
Mere bete ki DOB 17/06/2005 DOPAHAR 1.35 PM Delhi kya is kundli se aap mere bare me kuch bata payenge
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंGuruji pranam.meri dob.22-9-1991 00:20 Ajmer .mera FCI me selection ho jayega kya plz btayen..
जवाब देंहटाएंpranam :mera naam suresh
जवाब देंहटाएंdob:20-05-87 baran (raj)
naukri chut gayi 2 saal se ,swasthaya bhi kharab hai 1.5 saal se,lack of confidence ,plz help
guru ji meri date of birth hai ,,,,15-12-1980,,,muzhe ye janana hai ki meri shukra ki mahadasha kaisi rahegi,,,,jo 5th house me varishchik rashi ka hai
जवाब देंहटाएंये समयकाल अपनी आमदनी से मकान व वाहन का सर्वोत्तम सुख आपको प्रदान करेगा
हटाएंguruji,pranam muje aapke sabhi sabhi articles se sikhne ko milta haapke lekh practical base hote h.muje aapka margdarshan chaiye-29/12/1971 ,,,12pm,,,,,alwar[rajasthan] mansik aur married life ki problam h. please solve .
जवाब देंहटाएंबोनसाई बरगद का पेड़ गमले में लगाकर नित्य दूध मिले जल से उसे सींचें,,,90 दिन में शुभ फल प्राप्त होने लगेंगे
हटाएंShailendra Rathore
जवाब देंहटाएंDate of Birth 18-09-1987
Birth Time 04:25 Am
PLace Ujjain (M.P)
Dear Sir
जवाब देंहटाएंAt present, I am very mentaly depresed and allways thinking this that (useless things) So Plz. guide me that: mere upar kaun sa ashubh/Anishth samay chal raha hai
Name Alok Kumar
DOB 27.05.1977 time 04.50 early morning Place: Nalanda (Bihar)
At present, I am very mentaly depresed and allways thinking this that (useless things) So Plz. guide me that: mere upar kaun sa ashubh/Anishth samay chal raha hai
Name Alok Kumar
DOB 27.05.1977 time 04.50 early morning Place: Nalanda (Bihar)
जनवरी माह से पंचम गुरु चांडाल योग का प्रभाव लग्न को प्रभावित कर रहा है...आप एक बार अपने रक्त की जांच करवा लें..आपका कोलेस्ट्रोल व थाइरोइड संभवतः बढ़ा हुआ है..माणिक धारण करें..अगस्त के बाद हालात पक्ष में होंगे
हटाएंvery -2 thanks for its
जवाब देंहटाएंGuruji.mera nam Shobha rani.mera dob 12oct 1964 time 9:40 ratri Ajmer .me is samay bahut pareshan hu har taraf pareshaniya h.plz margdarshan den.
जवाब देंहटाएंराहु में ग्रहण योग बनाते केतु का अंतर जनवरी 2016 से चल रहा है ,,मैं आपकी मानसिक स्थिति व आपके हालात समझ सकता हूँ ,,,आप सोमवार के व्रत करें व काला कम्बल, मूली,व कोयला किसी सफाई कर्मचारी को ,, फरबरी 2017 के बाद हालात आपके नियंत्रण में होंगे ....... तब तक सब्र रखें
हटाएंप्रणाम गुरूजी,
जवाब देंहटाएंमेरा नाम अजित है
BOD- 5/11/1985
BOT- 14:13 ( 2:13pm)
Birth of place- satara, maharashtra
कही भी सफलता नही मिल रही है। कोई रास्ता नही मिलता है ऊन्नती का। बहुत परेशान हूँ। कृपया
मार्गदर्शन करे।
शुक्र का कम अंशों में होना व देव गुरु का द्वादश में नीच हो जाना ही समस्या का मुख्य कारण है..कहते हैं ऐसा गुरु कई योगों को समाप्त कर देता है..आप विदेशी लोगों,संस्थानों,अथवा ऐसे लोगों से जुड़े जो किसी भी प्रकार विदेश से सम्बंधित हों...एक सवा दस रत्ती का ओपल चांदी में दाहिने हाथ की अनामिका में धारण करें व गुरुवार को कच्ची हल्दी की गाँठ पीले कपडे में सिलकर काले धागे में गले में पहनें.. प्रभु ने चाहा तो 180 दिनों में राहत महसूस करेंगे..चिंता न करें अजीत बाबू..कुंडली प्रभावी है..आप प्रतिदिन शेविंग किया करें..नित्य जूतों में पालिश करके पहने..घर से निकलते समय परफ्यूम का उपयोग करें व साफ़ धुले वस्त्र पहनें...
हटाएंpranam pandit jee
जवाब देंहटाएंpandit jee mera vivah kabtak hoga,pls kuch btaye
dob- 11/08/1987
tob- 08:08 am
pob- munger, bihar
Thank you,
जवाब देंहटाएंGuruji.
कृपया मै आपकी फि देना चाहूँगा। किस तरह मै अदा करू बताऐगा। और मुझे आपके सलाह कि जरूरत रहेगी। contact मे रहना चाहूँगा। plz.
आप संस्था के कार्यों में सहयोग हेतु हमारी वेब साईट www.astrologerindehradun. com में दिए अकाउंट में अपनी सेवा जमा कर सकते हैं अजीत जी
हटाएंpls reply pandit jee mai bahut pareshan hu,ghar me sab meri shadi fix na hone ke wajah se mujhe hi taane marte hai,pls help me mujhe kab in sab problem se chutkara milega.
जवाब देंहटाएंप्रणाम गुरूजी,
जवाब देंहटाएंमेरी आपसे और एक विनती है। कृपया मुझे मेरे भाग्य के बारे मे थोडा बताएगा। मुझे नोकरी मिलेगी या व्यवसाय से आमदनी होगी। कब और कैसे। क्या करना चाहिए।
मेरी detail
DOB- 5/11/1985
TOB- 14:13 PM
PLACE- Satara, Maharashtra.
pranamm pandit ji ,mai divya 15/07/1983,12;45 pm,bhilai chhattisgarh.my husband balswaroop 29/04/1979,5;25am,rajnandgaon chhattisgarh.hume santan kab tak hogi.mera1 sugery aur2 miscarriage bhi hua hai.plz koi upay batiye.
जवाब देंहटाएं.Panditji ,hum ivf ( test tube baby) k liye soch rahe hai.hume karwana chahiye ya nhi.aur kis samay karwana chahiye?plz answer zaroor dijiyeg
हटाएंपंडित जी नमस्कार , मेरा नाम रवि है। मेरा जन्म स्थान मुजफरनगर, जन्म समय 7 बजे सुबह तथा जन्म तारीख 11 दिसम्बर 1977 है। मेरी मुख्य 2 समस्या है पहली ये है कि मेरा दिमाग दूरदर्शिता के साथ यदि तत्काल लाभकारी निर्णय लेने हो या व्यापार को लेकर पेशेवर निर्णय करने हो तो यह दिमाग शून्य हो जाता है। दूसरा मैं सरकारी क्षेत्र में टेंडर लेने सम्बंधित कार्य में बड़े स्तर पर सफलता चाहता हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करे और मुझे बताये की मैं कौन सा नग पहनू और कौन सी ईश्वरीय उपासना करू जिस से मेरी सारी समस्याएं हल हो जाये। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसमस्या ये है कि आप चीजों को बहुत गहराई से सोच रहे हैं,,,किसी बिंदु विशेष पर उलझ कर उसे इतना लंबा खींच लेते हैं,कि आख़िरकार आपको वो आपके सम्मान से जुड़ा विषय बन जाता है ,,,चंद्रमा अस्त होने के यही परिणाम होते हैं,,,,आप मोती सवा दस रत्ती धारण करें व चांदी की चेन गले में पहने...चांदी के गिलास में पानी पिएं..90 दिनों में हालात नियंत्रण में होंगे..
हटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने मेरा मार्गदर्शन किया।
हटाएंप्रणाम पंडीतजी,
जवाब देंहटाएंमेरी बहन कि शादी हुई है। ऊसके परीवार मे थोडा प्राँबलेम चल रहा है। पती और सास परेशान करते है। और एक बात है की ऊनके गाव मे कोई उसे परेशान कर रहा है। उसके कारण बहन के सब घरवाले परेशान हैं। कृपया कोई उपाय बताएेगा।
बहन की जनम तिथी,
14/3/1988
time: 22:30( 10:30 pm)
place: satara maharashtra.
मायके का बहुत अधिक दखल संभवतः आपकी बहन के दाम्पत्य जीवन में हो रहा है ,उन्हें बेकार की बातों से ध्यान हटाकर अपने गृहस्थ पर फोकस करने को कहें। आपलोग अधिक हस्तक्षेप न करें अन्यथा अगले वर्ष मुकदमेबाजी की संभावनाएं बढ़ रही हैं ,,,,बहन को सोमवार के व्रत कर घर में बोनसाई बरगद लगाकर उसकी सेवा करने को कहें। ..
हटाएंpranamm pandit ji ,mai divya 15/07/1983,12;45 pm,bhilai chhattisgarh.my husband balswaroop 29/04/1979,5;25am,rajnandgaon chhattisgarh.hume santan kab tak hogi.hum ivf karwane kka soch rahe hai nov ya Dec mei.kya successful hoga?
जवाब देंहटाएंक्या शनि तुला में आठवे ग्रह में बैठा शनि की महादशा में क्या फल मिलेगा बातये
जवाब देंहटाएंGuru ji, Pranaam!My name is Puneet. DOB-01/03/1983 time-6:05 AM, Place-jaipur (rajasthan). guruji me apna koi business shuru karna chata huin. kab se karu or kis tarah ke kaam me labh milega. kripya batayein. koi upaye karna ho to wo nhi batayein. dhanyawad
जवाब देंहटाएंक्या आप नए अपार्टमेंट, निर्माण के लिए 2% ब्याज दर वाले वित्तीय स्रोतों की मांग कर रहे हैं,
जवाब देंहटाएंपुनर्वित्त,
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I am under Ketu Mahadasha ... everything is gone ... money, position and what not ... when will it come to end ? ... how to control the situation ?... Presently working under people , who are very much junior to me ... don't know where opportunities have gone ...
जवाब देंहटाएंDOB - 04/12/1972
Place - Agra
time - 12.30 PM
http://bit.ly/2gN3uEP
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जवाब देंहटाएंसादर,
श्रीमती लिंडा मूर