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वर्तमान में राशि रत्नों को बहुत महत्त्व प्राप्त हो गया है.किन्तु साथ साथ इस विषय में मतभेद भी बढते जा रहे हैं.फिलहाल हमारे यहाँ रत्नों को लेकर जो विचारधाराएँ चल रही हैं वो इस प्रकार हैं.
ज्योतिषियों का एक तबका वह है जो ये मान कर चलता है की रत्न जातक को सम्बंधित नीच अथवा मारक ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए होते हैं,ये वो लोग हैं जो मंगल के नीच होने पर मूंगा और शनि के नीच होने पर नीलम पहनने की सलाह देते हैं.दूसरी विचारधारा के वो लोग हैं जो राशि स्वामी का रत्न धारण करने की सलाह बेहिचक दे देते हैं .इनमे प्रचार करने के लिए टीवी आदि पर नकली दाढ़ी मूंछ लगाकर साधू के भेष में वो कथित ज्योतिषी भी हैं जो थोड़ी देर बाद दुसरे ही विज्ञापन में चड्डी का प्रचार कर रहे होते हैं.एक अन्य तीसरी बिरादरी वह है जो ये मान कर चलती है की रत्न सदा उन ग्रहों के धारण करने चाहिए जो की जातक के लिए कारक हैं ,जैसे लग्नेश ,भाग्येश ,आदि.
और आगे बढें तो कुछ ज्योतिषियों का मत है की रत्न उस ग्रह से सम्बंधित होना चाहिए जो कारक होकर कमजोर पड़ रहा है.सवाल अभी कौन सही या कौन गलत का नहीं है.क्योंकि हर विचारधारा का ज्योतिषी दूसरे को गलत साबित करने के लिए पचासों तर्क दे सकता है,दे ही रहा है.सर्वप्रथम ये निर्णय एक मत से होना चाहिए की रत्न अपने से सम्बंधित ग्रह को अधिक प्रभावी करते हैं या ग्रह की रश्मियों को बाधित कर उन्हें कमजोर करते हैं.
सत्य जो भी हो पर मैं एक तो इस आधार का पुरजोर विरोधी हूँ की आप किसी को भी बिना कुंडली देखे ,मात्र राशि के आधार रत्न सुझा दें भले ही कुंडली में ग्रह किसी भी अवस्था में हो . राशि सड़क पर घूमते एक फेरीवाले की भी वही हो सकती है जो एक अरबपति बिजिनिसमेंन की.किन्तु उनके ग्रहों के योग सदा एक से नहीं हो सकते.अततः एक ही भविष्यवाणी व एक ही रत्न उन पर फलित नहीं हो सकते. दूसरा रत्नों के धारण करने के बारे में मेरा मत यह है की जो ग्रह कुंडली में दोष कारक ,दिक्कतें देने वाला ,परेशानियाँ बढाने वाला हो रहा हो तो उसके विपरीत स्वाभाव वाले ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए बशर्ते वह मारकेश न हो,
प्रयास सदा समस्या के उपचार का होना चाहिए.जो ग्रह ठीक अवस्था में हैं उन से बेकार की छेड़- छाड़ करना ऐसे ही है जैसे गाडी में होर्न न बजने पर होर्न के साथ साथ इंजन को भी ठीक करने की कोशिश करना.मामूली जुकाम में पेट फाड़कर ओपरेशन की सलाह देना.वो भी मात्र इसलिए की आप अपने से जुड़ने वाले हर जातक को यथाशीघ्र अपने ज्ञान का परिचय देना चाहते हो.मैंने हमेशा कहा है की ज्योतिष को नए नजरिये से देखना अच्छी बात है किन्तु बेकार की वाहवाही लूटने और ब्लॉग पर अपने पाठकों की संख्या बढाने के लिए बार बार शाश्त्र पर भौंडे सवाल उठाना गलत है.ज्योतिष का मूल तत्व सदा वही रहने वाला है.हजारों सालों में न सूर्य की गणनाओं में अंतर आने वाला है न ही चन्द्र की तिथियों में.न मंगल का रंग बदल कर नीला होने वाला है न हि शनि महाराज तेज गति से चलने वाले हैं.न ऐसा हुआ है न ही होगा.ऐसी चर्चाओं में रस तो जरूर आता है किन्तु किसी भी दुखी जातक का भला नहीं होने वाला.शब्दों के मायाजाल में उलझाकर आप पाठक को रस तो दे सकते हैं किन्तु राहत कदापि नहीं.मुद्दे से भटक रहा हूँ पर जब बात निकली है तो कह ही देना चाहता हूँ.मुझे उन लोगों से भी बड़ी शिकायत है जो टीवी प्रोग्रामों में बैठ कर चैनल की टी. आर. पी बढाने के लिए ज्योतिष पर औचित्यहीन बहस में उलझते हैं.साथ ही वे लोग जो सीधा एक फ़ोन काल पर तीस सेकंड के अन्दर प्रश्नकर्ता का सवाल सुन कर ग्रहों की दशाओं पर नजर भी डाल लेते हैं,गणना भी कर लेते हैं व उपाय बताकर दुसरे कालर को अटैंड भी कर रहे होते हैं.इससे मात्र ज्योतिष की बदनामी ही है और कुछ नहीं.शाश्त्रों में कुंडली के अध्ययन को मनोयोग से करने का कार्य बताया गया है.जातक के एक सवाल के जवाब के लिए भी कई पहलुओं पर दृष्टी डालनी पड़ती है.यह मैग्गी नहीं है की दो मिनट और गप अन्दर.
लाइन पर वापस आता हूँ.यदि आप को गर्मी लग रही है तो उससे निज़ात पाने के लिए सर्दी का प्रभाव बढ़ाते हैं.क्योंकि ठण्ड गर्मी के विपरीत प्रभाव रखती है.इसी प्रकार अँधेरे को दूर करने के लिए उसके विपरीत प्रभाव रखने वाले प्रकाश की शरण में हम जाते हैं.ऐसे ही यदि कोई ग्रह कुंडली में समस्या का कारण बन रहा हो तो उसके विपरीत प्रभाव रखने वाले ग्रह की शरण में जाना ही उचित रहता है.कडवे को कम करने के लिए मीठा ही उपाय है.आज लेख लम्बा खिंच गया.अगर आप लोगों की और से नए सुझाव और जिज्ञासाएं आई तो इसी विषय को आगे बढाने का प्रयास मिल कर करेंगे.
( आपसे प्रार्थना है कि कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने )
वर्तमान में राशि रत्नों को बहुत महत्त्व प्राप्त हो गया है.किन्तु साथ साथ इस विषय में मतभेद भी बढते जा रहे हैं.फिलहाल हमारे यहाँ रत्नों को लेकर जो विचारधाराएँ चल रही हैं वो इस प्रकार हैं.
ज्योतिषियों का एक तबका वह है जो ये मान कर चलता है की रत्न जातक को सम्बंधित नीच अथवा मारक ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए होते हैं,ये वो लोग हैं जो मंगल के नीच होने पर मूंगा और शनि के नीच होने पर नीलम पहनने की सलाह देते हैं.दूसरी विचारधारा के वो लोग हैं जो राशि स्वामी का रत्न धारण करने की सलाह बेहिचक दे देते हैं .इनमे प्रचार करने के लिए टीवी आदि पर नकली दाढ़ी मूंछ लगाकर साधू के भेष में वो कथित ज्योतिषी भी हैं जो थोड़ी देर बाद दुसरे ही विज्ञापन में चड्डी का प्रचार कर रहे होते हैं.एक अन्य तीसरी बिरादरी वह है जो ये मान कर चलती है की रत्न सदा उन ग्रहों के धारण करने चाहिए जो की जातक के लिए कारक हैं ,जैसे लग्नेश ,भाग्येश ,आदि.
और आगे बढें तो कुछ ज्योतिषियों का मत है की रत्न उस ग्रह से सम्बंधित होना चाहिए जो कारक होकर कमजोर पड़ रहा है.सवाल अभी कौन सही या कौन गलत का नहीं है.क्योंकि हर विचारधारा का ज्योतिषी दूसरे को गलत साबित करने के लिए पचासों तर्क दे सकता है,दे ही रहा है.सर्वप्रथम ये निर्णय एक मत से होना चाहिए की रत्न अपने से सम्बंधित ग्रह को अधिक प्रभावी करते हैं या ग्रह की रश्मियों को बाधित कर उन्हें कमजोर करते हैं.
सत्य जो भी हो पर मैं एक तो इस आधार का पुरजोर विरोधी हूँ की आप किसी को भी बिना कुंडली देखे ,मात्र राशि के आधार रत्न सुझा दें भले ही कुंडली में ग्रह किसी भी अवस्था में हो . राशि सड़क पर घूमते एक फेरीवाले की भी वही हो सकती है जो एक अरबपति बिजिनिसमेंन की.किन्तु उनके ग्रहों के योग सदा एक से नहीं हो सकते.अततः एक ही भविष्यवाणी व एक ही रत्न उन पर फलित नहीं हो सकते. दूसरा रत्नों के धारण करने के बारे में मेरा मत यह है की जो ग्रह कुंडली में दोष कारक ,दिक्कतें देने वाला ,परेशानियाँ बढाने वाला हो रहा हो तो उसके विपरीत स्वाभाव वाले ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए बशर्ते वह मारकेश न हो,
प्रयास सदा समस्या के उपचार का होना चाहिए.जो ग्रह ठीक अवस्था में हैं उन से बेकार की छेड़- छाड़ करना ऐसे ही है जैसे गाडी में होर्न न बजने पर होर्न के साथ साथ इंजन को भी ठीक करने की कोशिश करना.मामूली जुकाम में पेट फाड़कर ओपरेशन की सलाह देना.वो भी मात्र इसलिए की आप अपने से जुड़ने वाले हर जातक को यथाशीघ्र अपने ज्ञान का परिचय देना चाहते हो.मैंने हमेशा कहा है की ज्योतिष को नए नजरिये से देखना अच्छी बात है किन्तु बेकार की वाहवाही लूटने और ब्लॉग पर अपने पाठकों की संख्या बढाने के लिए बार बार शाश्त्र पर भौंडे सवाल उठाना गलत है.ज्योतिष का मूल तत्व सदा वही रहने वाला है.हजारों सालों में न सूर्य की गणनाओं में अंतर आने वाला है न ही चन्द्र की तिथियों में.न मंगल का रंग बदल कर नीला होने वाला है न हि शनि महाराज तेज गति से चलने वाले हैं.न ऐसा हुआ है न ही होगा.ऐसी चर्चाओं में रस तो जरूर आता है किन्तु किसी भी दुखी जातक का भला नहीं होने वाला.शब्दों के मायाजाल में उलझाकर आप पाठक को रस तो दे सकते हैं किन्तु राहत कदापि नहीं.मुद्दे से भटक रहा हूँ पर जब बात निकली है तो कह ही देना चाहता हूँ.मुझे उन लोगों से भी बड़ी शिकायत है जो टीवी प्रोग्रामों में बैठ कर चैनल की टी. आर. पी बढाने के लिए ज्योतिष पर औचित्यहीन बहस में उलझते हैं.साथ ही वे लोग जो सीधा एक फ़ोन काल पर तीस सेकंड के अन्दर प्रश्नकर्ता का सवाल सुन कर ग्रहों की दशाओं पर नजर भी डाल लेते हैं,गणना भी कर लेते हैं व उपाय बताकर दुसरे कालर को अटैंड भी कर रहे होते हैं.इससे मात्र ज्योतिष की बदनामी ही है और कुछ नहीं.शाश्त्रों में कुंडली के अध्ययन को मनोयोग से करने का कार्य बताया गया है.जातक के एक सवाल के जवाब के लिए भी कई पहलुओं पर दृष्टी डालनी पड़ती है.यह मैग्गी नहीं है की दो मिनट और गप अन्दर.
लाइन पर वापस आता हूँ.यदि आप को गर्मी लग रही है तो उससे निज़ात पाने के लिए सर्दी का प्रभाव बढ़ाते हैं.क्योंकि ठण्ड गर्मी के विपरीत प्रभाव रखती है.इसी प्रकार अँधेरे को दूर करने के लिए उसके विपरीत प्रभाव रखने वाले प्रकाश की शरण में हम जाते हैं.ऐसे ही यदि कोई ग्रह कुंडली में समस्या का कारण बन रहा हो तो उसके विपरीत प्रभाव रखने वाले ग्रह की शरण में जाना ही उचित रहता है.कडवे को कम करने के लिए मीठा ही उपाय है.आज लेख लम्बा खिंच गया.अगर आप लोगों की और से नए सुझाव और जिज्ञासाएं आई तो इसी विषय को आगे बढाने का प्रयास मिल कर करेंगे.
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रोचक और जानकारीपूर्ण लगा आपका लेखन.
जवाब देंहटाएंआभार,पंडित जी.
हौसलाफजाई का शुक्रिया राकेश साहब.
जवाब देंहटाएंSat Sri Akal Pandit Ji,
जवाब देंहटाएंName Jagtar Singh
My DOB 15/07/1979 Time : 20:15 City Jagraon
Please suggest me........
ekdum mast
जवाब देंहटाएंshukra ka wiprit kwansa grhha .
जवाब देंहटाएंकेतु या देवगुरु ब्रहस्पति को आपरेट कराने का प्रयास किया जा सकता है।
हटाएंPandit ji meri rahu me shukra ki dasha aarambh hui he. kripya bataye ye teen varsh ka samay mere liye kaisa rahega.
जवाब देंहटाएंName: Bhuwan Kr dob; 03/12/1978 time: 12.00 pm Place: Delhi
पिछले एक वर्ष से चला आ रहा दुविधा भरा समय समाप्त होकर अब सफलता प्रदान करेगा.साधारणतया कुंडली में सुंदर योगों का निर्माण हो रहा है.किन्तु यदि किसी कारण सफलता में विलंब हुआ हो इसका कारण भाग्येश वा भाग्य स्थान दोनो पर शनि कि दृष्टि को माना जां सकता है,जिसका प्रभाव 32-36 वर्ष के मध्य समाप्त हो जायेगा.इस कुंडली में गुरु का उच्च होना शुभ नहीं माना जाता.यह पैतृक व स्वर्जित धन को अचानक नुकसान पहुँचाने का कारक बन सकता है.गुरुवार के व्रत रखें .विष्णुशश्त्र्नाम का पाठ करें व फिरोज़ा रत्न सवा दस रत्ती धारण करें.जीवन साथी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें.ईश्वर कि कृपा से आप आपने नाम के अनुसार ही सुंदर भवनों व वाहनों के स्वामी जरूर बनेंगे.विवेचना के आधार पर कहूँ तो कुंडली काफ़ी शशक्त है व आप अवश्य एक सफल जातक होंगे.
हटाएंइतने सुंदर ओर स्टिक रूप से जो आपने मेरी कुंडली का विश्लेषण किया उसके लिए आपका हर्दय से आभारी हु. पंडित जी वैसे तो जीवन में कोई बड़ी समस्या नहीं हे परन्तु में अपनी सरकारी नौकरी (पुलिस डिपार्ट) को लेकर चिंतित रहता हु. में इस नौकरी को बदलना चाहता हु ये कब संभव हो पायेगा. आपकी बड़ी कृपया होगी.
हटाएंBHUWAN KUMAR
मेरे एक प्रशन का ओर उतर देकर मेरी व्यथा दूर कीजिये आपकी कृपया होगी. में नौकरी में परिवर्तन चाहता हु क्योंकि में यहाँ संतुष्ट नहीं हु ये कब हो पायेगा.
हटाएंBhuwan Kr.
इस वर्ष कि अंतिम तिमाही में .
हटाएंआपके कई लेख को एक ही बैठक में पढ़ डाला बहुत ही ज्ञानवर्धक है और बडे ही रोचक और आकर्षक शैली में आपने इसे लिखा है | आपको बहुत बहुत धन्यवाद | आपने एक (राजयोग ) लेख में लिखा है कि ग्रह उम्र के अनुसार फल देते है | कृपया इसे थोडा विस्तार दे और ग्रहों के फल का उम्र का उल्लेख भी करे बहुत आभारी रहूँगा | धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंशीघ्र आपके प्रश्न का जवाब देने का प्रयास करूँगा .लेख पसंद करने हेतु धन्यवाद
हटाएंपंडित जी सादर प्रणाम , आज से ही आपके लेख पढना शुरू किया है ..येही बात मैंने पिछली टिप्पणी में में भी कही है ...इसलिए कह रहा हूँ क्योकि सुबह से आपके लेख जैसे समय मिल रहा है पढ़ रहा हूँ और अपने आप को दुसरे लेख पढने से रोक नहीं पा रहा हूँ ....बहुत ही सुंदर और सत्य बाते आपने कही है ...धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंguruji koti koti naman -is lekh par or vistar se prakash dalne ki kripa karen.
जवाब देंहटाएंnamaskar guru ji,
जवाब देंहटाएंmera naam Ravi keshari hai,
DOB - 01-02-1986
tob - 3:40 pm
pob- varanasi.
krupaya sujhav de kaun sa ratna pahan saktey hai?
Panditji mujhe aapka blog accha laga or aapke sujhav bhi
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंguru ji nameste,aapka ye lekh bahut hi rochak or jankaripurn laga.parantu guru ji aapne koi udharahan dia hota to samjhne me or aasani hoti.guru ji, mere husband ki mithun lagan ki kundli me chandr marak hoker eighth house me virajman he to es sthiti me hume kya karna chayiye.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएं"पक्षेसिते भवति जन्म यदि क्षपायम
कृष्णे त्वथा हानि शुभाशुभ दृष्टमूर्ति:
तं चन्द्रमा रिपुविनाशगतोपि यत्ननाद
आपस्तु रक्षति पितेव शिशुम् न हन्ति "
अर्थात शुक्ल पक्ष में यदि रात्रि का जन्म हो अथवा कृष्ण पक्ष में दिन का जन्म हो तो शत्रु - मृत्यु घर में बैठा चन्द्रमा भी जातक की वैसे ही रक्षा करता है,जैसे पिता पुत्र की रक्षा करता है। अतः मात्र चन्द्रमा के अष्ठम में होने से ही कोई अनुमान लगा लेना जल्दबाजी है ,पक्ष बल ,षड बल दृष्टि बल आदि कई पहलुओं के बाद ही निर्णय पर पहुंचा जा सकता है।
a) Date of Birth- 18 November 1980
जवाब देंहटाएंb) Time of Birth eg 17:28 Pm
c) Daylight saving no
d) Place of Birth Lohardaga (Bihar), India, Latitude: 23.27N Longitude: 84.42E
e) Gender-MALE
f) Your query in brief - I want to know the usual things-
(i) Why my career and wealth is not taking proper shape? Why I have no mental peace?
(ii) Will I go a Good Business School to do MBA and will I go in 2013
(iii) What dosha in my kundali and what are remadies
(iv) Will I have love marriage or arranged marriage? Will I marry in 2013 to girl of my choice?
g) Source of time of birth and probability of error- Accurately recorded by nurse in mission hospital
h) Some important events from your life like date of marriage, jobloss, new job etc. - Did BSc in 1999, Did M. Sc. in 2005, Started Job in 2005. Switched Company in 2007. In big loans since June 2009, Promoted in 2011, transferred to remote place in 2012
i) Any previous history of remedies[/b] you followed or following - I wear a silver chain and a gold hanumanji in neck, a coral in ring finger of right hand, an iron ring in middle finger of right hand, an Iron Kada in left hand.
pandit ji namaste, mai ye janna chahta ho ki kisi bhi lagan me yadi koi greh ati yogkarak hokar bhi shatru rashi me neech ka hokar baith jae to kya is stithi me bhi us graha se sambandhit rattan dhaaran karna varjit hota hai ya kinhi vishesh paristhitiyon me dhaaran kiya ja sakta hai. kripya is Vishay me kuch batayein
जवाब देंहटाएंPranam guru ji
जवाब देंहटाएंKrapya batayen ,yadi neelam aur diamond pahna hua hai to kya garnet ya citrin ki jewelery kabhi kabhi fashion ke liye pahan sakte hain
Guru ji Namaskar:
जवाब देंहटाएंMene aapka blog dekha bhot accha laga ki aap jyotish ke madhaym se logo ki seva kar rhe hai. Aapko Naman.!!
Muje astrology mei Kaafi interest hai, mei khud jyotish sikh rha hu. Guru ji mera aapse vinarm nivedan hai ki ek nazar meri kundli per bi lagaye.
Guru ji mene abi Manik aor Munga ratan ki ring ban wayi hai lakin jyotishi kehte hai ki right hand ki ring finger mei hi munga pahena chaiye or Manik ki ring ki bi whi finger hai. Kirpya mera maarg darshan kare. Kyuki mei ek hath mei do ring nhi pahen sakta. Aor kahi jagah mene ye bi pda hai ki agar planet kundli mei kharab ho tabi left hand mei ring paheni ja sakti hai.
Aor meri kundli mei koi upay ho to wo btayiee….Apka Abhar Rehega.
Dob 21-Feb-88
Time - 06.03 Pm Delhi India
guruji me samaj ni pa rahi hu muje koi vyapar karna chahiye ya fir govt job ki tyari . kya mera sarkari job ka yog h
जवाब देंहटाएंkripra uchit marg darshan kijiye -
BOB- 5-11-1988
time- 04:10 am alwar (rajasthan)
आपको किसी प्रकार के अस्पताली व्यापार नौकरी आदि से लाभ प्राप्त करते देखा जा सकता है ,साथ ही चेहरा संवारने जैसे कार्य द्वारा भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।
हटाएंpranam guru ji
जवाब देंहटाएंmeri birth date 27-11-1992 hai time 3.15 plc. lunawada hai meri kundli me bhagya sthan me surya gharhan hai muje uske upay janane hai aur me videsh ja sakti hu ??
भाविका कुंडली में मात्र ग्रहण योग ही नहीं अपितु अन्य उपचार भी आवश्यक हैं..मामा के वंश को बुरे परिणाम भुगतते देखा जा सकता है..तुम्हारा दाम्पत्य भाव भी बहुत प्रभावित है..किसी योग्य ज्योतिषी से मिलकर कुंडली का पूर्ण विवेचन करवा कर सलाह लो..
जवाब देंहटाएंSir namaste.mera nam Smita h dob 22-9-91 tob 12:20 night Ajmer Rajasthan h .abhi mene FCI ka exam diya h.kya mera selection ho jayega.
जवाब देंहटाएंजुलाई के बाद वर्ष के अंत तक कभी भी आस सकती हैं ,इस बीच गुरुवार के व्रत कर लें
हटाएंPranam gurudev mera nam jyoti dob 11-01-1986. 11:10 am kanpur dehat meri kismat me govt job h ya nhi kripya bataven.
जवाब देंहटाएंGuruji,
जवाब देंहटाएंpranaam,
My DOB-14-3-1966,8.45 Am,Sirohi Rajasthan.
I came under heavy financial losses since 2009, & my business had suddenly stopped. Whenever,where ever I put hand to earn money or appliying for Job.always negative reply getting.
Please guide me wjat to do.
Money is severe problems to buy any Ratna ,please guide .
Thanks & regards,
Sanjay B
Guru Ji, Sadar Charan Sparsh,
जवाब देंहटाएंMy DOB is 11/09/1981,
Time 07:30 AM
Place: Moradabad, Muje aapne vaivahik jeevan ke bare me pata karna hai, Shadi ke badd life me bahu problem hai. Mai jannna chahta hu ki mere Jeevan me Biwi ka sukh likha hai ya shadi shuda jindagi boj ban ke rahe gi, Mera bhurapa kaisa bitega ?
Namaskar Panditji,
जवाब देंहटाएंmera naam : Anil Jeevanlal Shah,
DOB - 29-03-1968
TOB - 07:05 AM
POB - Burhanpur (M.P.)
Panditji, Pichale teen saal se ghar mai hi ho koi naukri ya kaam dhandha nahi hai jis kaam mai haath dalta ho nuksaan hi hota hai, krupa karke bataye aisa kab tak chalega, koi upay bhi bataye.
Dhanyawaad
Anil J. Shah
Namaskar Panditji,
जवाब देंहटाएंmera naam : Anil Jeevanlal Shah,
DOB - 29-03-1968
TOB - 07:05 AM
POB - Burhanpur (M.P.)
Panditji, Pichale teen saal se ghar mai hi ho koi naukri ya kaam dhandha nahi hai jis kaam mai haath dalta ho nuksaan hi hota hai, krupa karke bataye aisa kab tak chalega, koi upay bhi bataye.
Dhanyawaad
Anil J. Shah
Pandit ji karbadh pradam svikar kare mera nam ramanuj hai 06/10/1975ko samay 4/16 par mera janm hai me saririk v mansik rup se pare san hu koi rasta bataye kya hame koi khatrnak bimari ho gai hai ya me kyu paresan hu margdarshan kare
जवाब देंहटाएंnokari nahi lag rahi ha d.o.b 3/7/1992 .friday . 7.45 pm
जवाब देंहटाएं