ज्योतिष के क्षेत्र में अपने शरुआती दौर में कई बार शाश्त्रों में उल्लेखित
किसी योग को जब किसी कुंडली में पाता था ,और उस कुंडली के जातक को साधारण
अवस्था में देखता था तो सोच में पड़ जाता था.बाद में जब कई कुंडलियों को
बांचने का सौभाग्य प्राप्त होने लगा तो यकीन मानिए एक ही योग को कई कई
तरीकों से फलित होते देखा.दिमाग भन्ना जाता था कई दफा तो.![](data:image/jpeg;base64,/9j/4AAQSkZJRgABAQEBLAEsAAD/4QBgRXhpZgAASUkqAAgAAAACADEBAgAHAAAAJgAAAGmHBAABAAAALgAAAAAAAABQaWNhc2EAAAMAAJAHAAQAAAAwMjIwAqAEAAEAAAAGAQAAA6AEAAEAAACxAAAAAAAAAP/bAEMACAYGBwYFCAcHBwkJCAoMFA0MCwsMGRITDxQdGh8eHRocHCAkLicgIiwjHBwoNyksMDE0NDQfJzk9ODI8LjM0Mv/bAEMBCQkJDAsMGA0NGDIhHCEyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMjIyMv/AABEIALEBBgMBIgACEQEDEQH/xAAcAAEAAQUBAQAAAAAAAAAAAAAAAQIDBAUGBwj/xAA9EAACAQMCBAMFBQYEBwAAAAAAAQIDBBEFIQYSMUEHUXETIjJhgRRCUpGxFSNykqHBM0Ni0USCg6Lh8PH/xAAZAQEBAQEBAQAAAAAAAAAAAAAAAQIDBAX/xAAfEQEBAAIDAQADAQAAAAAAAAAAAQIRAxIhMRNBUSL/2gAMAwEAAhEDEQA/APOQAfGegAAAAAAAAAIyBIBGQJAewzjswAAyAAefIYfkAAf/ALkfVAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAACAjJKQiuZpR3b7YN/pHCGqarJOFJ0qT+/NdfRC0c+k2kzPstG1DUMfZ7apJPvjCPUtG8PrGzkpV4qtUXea2OuttHpUoKPItvJbGO48etOAdRrY9tVp08+SbNzb+GfN/iXFSX5I9Yp2MVj3ehlq0x2JujzCh4a2Uf8AEi5esmZsPDzTI/5EH6pHo/2aPcfZkvur8i+jzx8A6T3t4/yoty8ONJqdLd/Rno/sILol+RV7GEehPR5ZX8L9Nl8DrQ9JGovfC6rThzULp+k0ezyox8ixUhBddzQ+eb7g3VrLOaSqJd4mkq21ehJxq0pxa80fSVe3p1E8pPPZnO6loFtcxadKOX3xkbHhXfDWCMnf6vwZSjJyoe413icde6TdWMnzwcodppbGoMIFOSVICQEAAAAAAAAAAAAAAAGRj5ldGhVuK0aNKEp1JPCSRRT9HsbjSOHNQ1ecfYUnGm3vOS2Ot4Z4AlUkq9+k/wDR2PUNO0ajawjGnTUVFbbGNjkNA8P7OxUateHtqvnM7a206nSilGCXobOlbqOOm3yL6hFdhraWsNWfbt6F6FtGHQyATqm1Kgl2JwSQ2VDK8i3KTKy3NYXULFPtF23KJza7FudX2csJr1MSteKEcuXzZjLORvVq/O45cZfUxK11BLLkkvmzU3WpTrTxR3UlhSXZmFCjcVK8anPNyksOPY5XkyvxuYyfWxrahBS2mn8uhg1NUg2lzZb6YezMi20duEIyi3jvLdmZHQqe6cXh9khMeSp/mNFK5jXT9+O/aWxqbyxhW59o5xlrr18zsp6GpR5XDb0NbV4YpxlKpSzGUlhtdWb65z9p/l5drHDPWpbx5Zd49mcrUozozcKkXGS7NHtFbQqtOMo+7KPzRzGt8NK5i5ODp1ezlt/U6TK/tNPPM4JTL13Z1rOu6VaPK1/Ux90dEVgjJKIAAAAAAAABGQxFczSXVgZFnZV765jQt4Oc5PbH6nr/AAnwVR06lGrVSlWeG5vqWOBOF42dtC4r017ee8m10Xkem2ttyQ38sdDG/wCC1bWMKcUkuhnxpRj0RUopdCTUjFoCMgWoN4KU2+xLWSUjPqmCGirBDZrWvopeEY9WeOuxXUnymi1fUfYUG1lvG3L1Zzzz1G8cd1b1PU6VGm2m5NLPumnjOveNTeYxWGsP4l80WqLlf1Y1JRy85WVhr1Ojs9NyoyaOExud265WYsK2soYTaSXku5t7azjFfCZ1C0hTjhRX5GSoRXRHpxwkcrl/WNCjCOMLoZEUvIqwvInBvVY2p5IvsW528ZRwm0XgXSba6pYwefd6mvutHhNNSppxfY6HBRKmmZuLXZ5XxJwdC7oNRi8xzh94nkl7Z1bG6nb1o8s4vG/f0PqK4tFLOyw+uxwHGnBVLVKDuaEVC7isx32l8mSK8SawSmXbihVt606NWDhUg2pJ9miy9jSq0CmLKgAAAEZJIYBnS8GaP+09ag5Q5qVH3nnu+yOZXvHs/hlo3s9KhXnD3qz9o3+hKO/0yz9jSgu6W5tNkimnTUI7dyJqb+GSj9Mk+MX1cyRkEZJ2qJBBJJNqnAAOmkCiTwirJbn8LfkZtWMC7rezg5dcHIXlxO5ukubZPs8NHRatJxt5PJzFjTUq21RNt78sso8ud3lp6MPJtutPs48qeGdFa0+WKXkYtjSSil5GzjHHY9GOOsdRzzu1SJIyUyqKJ0+OeleSlzills1d3qUaWUpbrsayV7XqyzFYRxvK3ON0nt4dE1kqVaDeMnLKvWhtyKS+beSPtd1T3e78smfy2L+OOtyuzBoLXWUp8lX3fmbejcRqxTi85OmPNLWbhYvtJoxK9GMs5Wc+ZmFM45R0s/bMryDxH4QVWjLVrOn+9gv30Y/ej5+p5NKPZvc+qry1hVpSjKKals1jsfPHGmgPQOIKtGEcW9Re1ov/AE+Qbc0titFDJiwKgEwAIkySJICqjHnnGK6t4PpfhSyVro9tTXaml6HzbYpfbrdPp7SOfzR9R6NFxsaefIa9S/GxaIJfUg3lrbmgAHGqBEg1IAYBqinqRJZi/mVB9DEi7c3rif2drzOc0hNXGJfi8kvzwdfqlFyoz5VnKOQtE6F21yvKlvsln/c8uWsc9vRPY7iyxyp+Zncxq7CqpQjubGn8Ocnql/ccbNJlLHYwburJdDNayYl1TcuhnPdhGgk4VZSm2284wTGq49MYLlajJTlhYRY5ZeRxxuvrqyKdTMsYLs6UJww1lGPSpyUs4M+nHbDO0syZrCq28OXLj1Js7p21w6Um3Ht8jKqr3cY9TV3EsPGfrg4ck63cbx9ddRqc6T81kumu0yTnb02/I2PY9PFlvH1wymqolHKxg8+8U9DV7wzK9jDNW0kp5X4X8S/ueiGt4gtY3nD+oUJrMZ280/5Wa0SvleUcFKLk9i2g0qQCAEkMkhgVUZ8lSM/wtM+neFr2N9oVtXjLKlFPP0Pl5PlPYvCTiBSpT0qvU96KzTTfYVK9bZSypbxKWXP5tiIzuSW4RcW23nJcRzx9WpAJydkQAUt4MZXQqBCJE0LFamnFvHbByWrWc6FZ1KcV1z06HZvcw7y0hWp4a+pw5ePs68eWq53TbxckObZteZ0dCspw/wDJy15Y1bKWacXy9foXrHU/edNuWUt/NGMOTX+a3lhv2OqUk3gpkk3hmDSu4ThtLtkyVXhUjhP6nfcrnZpE7WlUTWMZLP7Oj+EyVUXmir2sfmOkpusWNpy//CJ0GuhkurFLOdjDuLxQ6PP1HmK+1j1pKP8Ac09aUqlXEV3wX7m5dV4gmXrCxnOtzz6fhx3PNy59rqOuM6xuNNg4W8E+yNkWKUFFLG2C+j1cGPmnnzu6GFrE1S0S/qPZRt6kv+1macp4kaktO4JvYqWKt1i3hh/i6/0TPRJ5azPr5yqfFgtIuTeZZKIo4uiUBgASRgkAUtGw0fU6+lajRvLeWKkJbLPVeRgN5IzjGOyA+p+H9Zt9a0mhe0JqUZxWfk/Jm0aPn3w94wfD2ofZbmcnY1niWfuS8z323uaVzRjUpTUoSWU09mWXzrWLP2uEjAMzHSAANgW6jxHJcLdSPNHByzWfSElJIuGHbtxlKLbz6GYicdXKaMDBIO/WMserbxqLdJryaNFf6FComqeYJvfleMnSkOOTjycEy9bx5LHESoXdqsYb9CpajVpbS5ovHkdjKhCXWKMepp1CosShHHocfw5z5XWcmP7aCnqsnJxeOZdcblb1SXzNt+xbbLaglnrgR0a2j/lpjrynbBpHqNSrHEObHTp3EbS6uOmUvNnRxsaMPhhFfQvxowitlhCcOeX1PySfGms9HjCXNN8zNtToqn0wXsJEnXDgkc7napSwVdhgl9D0YY6m3NC6nhvi1xCtS12OnW81KhYpxlh7Oo+v5bI9N424op8MaHOpCSd7WThbw+f4vRHzfcVZ1ZynOTlKT5m33fcb1OreM/aw9yUsDAwc2kgAAAAIwGiQBCk0012PReBOPp6VKGn39STtXtTm3nk+XoedYC28wPrC0vKVzTVSnOMoyWU09jK6nzxwlx3eaDONvWcq9pnGG94eh7bovEdhrFrGrbV4zT7J7p+TEumbG6ATUllPKJNsoDAJYMepBqSae3dY6l6LyhKOUW45h1PP7jW/sXiSlMk9GOW2EgA2AAIgBkBQYGQAAJwaxxtQRrtc1qz0DS6t/ezxCKxGC+KpLtFfMq1nWrHQdOnfX9XkpR2SW8pvsku7Pnji7i+74q1F1q0uS2hlUaKeYwX935v9DWVmM0sm2LxPxFd8R6vUvrp4TeIQT2hHskaRPzIbbe/TyJSPO6AAAAAAAAAAAEYJAEcqTM7TdWvtIuY17O4nTmvJ7P1MIAeu8OeK1NyjS1am6c8YdWG8X9Ox6ZYa3Y6lQVW2uIVIPvF5PlZGZY6pe6bWVWzualKS/DIsukslfViaaymSeH6L4sX9ryR1Ciq8e9SG0vyPQdI8QdG1RKKuoQqP7lT3WTadXXlucMlqlfW9WKlGomn0aeS97SD+8iZSVJuLcJOLxLH5l5FLUWs4TJ5kupmS4rfVYITJO8rJgjBILIiMEk4GC9KbU4KsEpGv1bXdK0O3dbUr6jbRxlKcvel6R6v6G5xyTdGwOf4o4w0zha15rqp7S5ks07eD96Xzfkvn+p59xN4xOpGdtoFGVOLWPtVWPvP+GPRerz6Hld3fXN9XqVrqtOrVqPMpzllt+bJlyT5i1Mf63HE3FV9xNfyubuplbqnSi/dpryX+5oHvj5DCXRA4brYACAAAAAAAAAAAAAAAAAAAHq9iYycWmnuu5A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किन्तु समय के साथ साथ कुछ पॉइंट्स साफ़ होने लगे.आज बेहतर तरीके से जानता हूँ की कुंडली में मात्र किसी राज योग का होना ही उसके फलित होने की गारंटी नहीं है.अमूमन आज भी कई ज्योतिषियों को कुंडली में किसी योग को पाते ही फ़ौरन उस से सम्बंधित भविष्यवाणी करते देखता हूँ तो अफ़सोस होता है.जातक झूठी आस पर जीता है,और संभावित उपाय नहीं हो पाते..वास्तव में परंपरागत सूत्रों को दिमाग में रख कर भविष्यवाणी करने से कई बार गच्चा खाने की संभावनाएं बनी रहती हैं.जहाँ तक राजयोग की बात है ,बहुत कुछ निर्भर इस बात पर करता है की जन्म के समय महादशा किस ग्रह की थी. ,अपने शुरूआती दौर में मैं भी कई बार ऐसे सवालों में उलझा.पर बाद में ये अनुभव कर लिया(कई कुंडलियों के विश्लेषण के पश्चात )की जो ग्रह राजयोग बना रहा है जीवन में उस की दशा आ रही है या नहीं,और आ रही है तो किस आयु वर्ग में आ रही है सब कुछ निर्धारण इस आधार पर होता है.यदि सूर्य उच्च के हैं और किसी प्रकार का योग बना रहे हैं ,व जातक का जन्म मंगल की महादशा में हो रहा है ,तो बहुत संभव है की अपने जीवन काल में वह जातक सूर्य द्वारा बनने वाले राजयोग का फल नहीं पायेगा. दूसरी बात जो मैं समझ पाया वह ये की जन्म की शुरूआती महादशा यदि राजयोग में मुख्य बंनाने वाले ग्रह के शत्रु ग्रह की है तो आधे से अधिक प्रभाव उस योग का वहीँ पर समाप्त हो जाता है. भले ही अब उस योग से सम्बंधित ग्रह की दशा जातक के जीवन में आये या नहीं.आप अपने किसी ऐसे मित्र के घर में गए जिसके यहाँ आम का बहुत बड़ा बगीचा था.किन्तु आप का वहां जाना नवम्बर के माह में हुआ तो अब उस आम के बगीचे का कोई महत्त्व नहीं रह जाता.आपका यह क्लेम करना की मुझे आम का सुख प्राप्त हो ,औचित्यहीन हो जाता है.वहीँ आपका एक दूसरा परिचित जो की वहां जून के महीने में गया होगा वह अपने मित्र के बगीचे के आमों का स्वाद ले कर आएगा.
इसे एक और उदाहरण में लें की आप किसी ऐसे आदमी के घर जा रहे हैं जिस के घर आम का बहुत बड़ा बगीचा है ,आम लगे हुए भी बहुत हैं,किन्तु वह व्यक्तिगत रूप से आपको पसंद नहीं करता बल्कि आपको अपना शत्रु ही समझता है,तो उन पेड़ पर लटके आमों का भला आपके लिए क्या अर्थ रह जाता है.वो आपको नहीं मिलने वाले.किन्तु मौसम आमों का तो चल ही रहा है तो अपने सामर्थ्यानुसार बाजार से आम खरीद कर खा सकते हैं किन्तु वहां आपको जेब पर भी निर्भर रहना होगा.यानि जो मजा या मात्रा बगीचे के आमो से प्राप्त हो सकती थी वो खरीद कर नहीं हुई.आशा है आप सहमत होंगे.
योग दो ग्रहों की युति से बनता है,अब जीवन में उस योग का फल इन्ही दो में से एक की दशा में प्राप्त होना होता है.इसे जानने का साधारण सा सूत्र बताता हूँ .इसे चार्ट द्वारा समझें. उच्च स्व मित्र
(५) (४) (३)
नीच शत्रु सम
(-५) (-४) (-३)
अर्थात मान लीजिये की कर्क लग्न में गजकेसरी योग बन रहा है,यहाँ गुरु अपनी उच्च राशि में हैं,यानि पांच अंक प्राप्त करते हैं ,साथ ही चंद्रमा गुरु के मित्र हैं तो गुरु को तीन अंक और प्राप्त होते हैं,वहीँ दूसरी और चंद्रमा मात्र स्व राशि के होकर चार अंक प्राप्त करते हैं ,इस प्रकार समीकरण यूँ होता है... गुरु =८ व चंद्रमा =४ अंक.तो यह योग गुरु में चन्द्र के अंतर में फलित होगा.कुछ कम मात्रा का प्रभाव चंद्रमा में गुरु के अंतर में भी प्राप्त होगा. अब अगर जातक के जीवन में गुरु की दशा नहीं आ रही है तो इस योग से जातक को बहुत अधिक आशा नहीं रखनी चाहिए.इसी प्रकार अन्य योगों की समीक्षा की जा सकती है.
साथ ही ग्रहों का स्वयं के फलित होने का एक समय होता है.मंगल का समय काल सामान्यतः बीस से तीस वर्ष के मध्य होता है,अब यदि किसी के रूचक योग का फलित समय तीसरे वर्ष या पचासवें आयुवर्ष आ रहा है तो इस योग का भी अब कोई अर्थ नहीं रह जाता है.या कहें की किसी जातक को मालव्य योग का सुख तब मिलना है जब वह अपनी आयु के ८२ वें वर्ष में है तो क्या इस योग का कोई औचित्य रह जाता है अब?
कुंडली में मात्र किसी योग का होना ही उस योग से सम्बंधित फल पा लेने की गारंटी नहीं है.कई कुंडलियों में सामान योग होते हुए भी उनके डिग्री ,अक्षांस ,देशांश ,वक्री ,मार्गी से सम्बंधित आंकड़े यहाँ प्रभावित करते हैं.प्रधान मंत्री जी की गाडी का ड्राईवर भी उसी सरकारी वाहन का सुख भोग रहा है जिसका स्वयं प्रधानमन्त्री जी.एक ही सुख अलग अलग प्रभावों में है.थाने में एक सिपाही भी बैठा है,एक दारोगा भी व एक अधिकारी भी.सब लगभग एक ही योग के अलग अलग प्रभावों का सुख पाते है जिस प्रकार एक ही पेड़ में लगे आमों का आकार,स्वाद ,रंग अलग अलग होता है.साथ ही स्थान विशेष का भी अपना महत्त्व है.अफ्रीका के जंगलों में प्रबलतम राज योग का फल पाना अपनी जाति का मुखिया होना हो सकता है,किन्तु अमेरिका जैसे देश में अब उस मुखिया की कोई हैसियत नहीं होती.यहाँ आपका प्रबलतम राजयोग अपने फलित होने की दशा काल में आपको दुनिया का सबसे पावरफुल व्यक्ति बना सकता है.
कहने का तात्पर्य यह है की किसी योग के फलित होने के लिए २०% उस योग का कुंडली में होना आवश्यक है,२०%पारिवारिक परिवेश महत्त्व रखता है,२०% आपका स्वयं का प्रयास,२०% आपसे जुड़े लोगों के ग्रहों का उस योग में योगदान,व २०% सामजिक दशा उसे प्रभावित करती है.दुनिया के सबसे छोटे देश का राजा होना भी राज योग है व दुनिया के सबसे बड़े देश का राजा होना भी राज योग है. अततः अब कभी भी जब अपनी कुंडली में किसी योग को लेकर भ्रमित हो रहे हों तो इन तथ्यों को अवश्य ध्यान दें...................आशा है आप सहमत होंगे.
शेष चर्चा फिर कभी आगे करेंगे.
किन्तु समय के साथ साथ कुछ पॉइंट्स साफ़ होने लगे.आज बेहतर तरीके से जानता हूँ की कुंडली में मात्र किसी राज योग का होना ही उसके फलित होने की गारंटी नहीं है.अमूमन आज भी कई ज्योतिषियों को कुंडली में किसी योग को पाते ही फ़ौरन उस से सम्बंधित भविष्यवाणी करते देखता हूँ तो अफ़सोस होता है.जातक झूठी आस पर जीता है,और संभावित उपाय नहीं हो पाते..वास्तव में परंपरागत सूत्रों को दिमाग में रख कर भविष्यवाणी करने से कई बार गच्चा खाने की संभावनाएं बनी रहती हैं.जहाँ तक राजयोग की बात है ,बहुत कुछ निर्भर इस बात पर करता है की जन्म के समय महादशा किस ग्रह की थी. ,अपने शुरूआती दौर में मैं भी कई बार ऐसे सवालों में उलझा.पर बाद में ये अनुभव कर लिया(कई कुंडलियों के विश्लेषण के पश्चात )की जो ग्रह राजयोग बना रहा है जीवन में उस की दशा आ रही है या नहीं,और आ रही है तो किस आयु वर्ग में आ रही है सब कुछ निर्धारण इस आधार पर होता है.यदि सूर्य उच्च के हैं और किसी प्रकार का योग बना रहे हैं ,व जातक का जन्म मंगल की महादशा में हो रहा है ,तो बहुत संभव है की अपने जीवन काल में वह जातक सूर्य द्वारा बनने वाले राजयोग का फल नहीं पायेगा. दूसरी बात जो मैं समझ पाया वह ये की जन्म की शुरूआती महादशा यदि राजयोग में मुख्य बंनाने वाले ग्रह के शत्रु ग्रह की है तो आधे से अधिक प्रभाव उस योग का वहीँ पर समाप्त हो जाता है. भले ही अब उस योग से सम्बंधित ग्रह की दशा जातक के जीवन में आये या नहीं.आप अपने किसी ऐसे मित्र के घर में गए जिसके यहाँ आम का बहुत बड़ा बगीचा था.किन्तु आप का वहां जाना नवम्बर के माह में हुआ तो अब उस आम के बगीचे का कोई महत्त्व नहीं रह जाता.आपका यह क्लेम करना की मुझे आम का सुख प्राप्त हो ,औचित्यहीन हो जाता है.वहीँ आपका एक दूसरा परिचित जो की वहां जून के महीने में गया होगा वह अपने मित्र के बगीचे के आमों का स्वाद ले कर आएगा.
इसे एक और उदाहरण में लें की आप किसी ऐसे आदमी के घर जा रहे हैं जिस के घर आम का बहुत बड़ा बगीचा है ,आम लगे हुए भी बहुत हैं,किन्तु वह व्यक्तिगत रूप से आपको पसंद नहीं करता बल्कि आपको अपना शत्रु ही समझता है,तो उन पेड़ पर लटके आमों का भला आपके लिए क्या अर्थ रह जाता है.वो आपको नहीं मिलने वाले.किन्तु मौसम आमों का तो चल ही रहा है तो अपने सामर्थ्यानुसार बाजार से आम खरीद कर खा सकते हैं किन्तु वहां आपको जेब पर भी निर्भर रहना होगा.यानि जो मजा या मात्रा बगीचे के आमो से प्राप्त हो सकती थी वो खरीद कर नहीं हुई.आशा है आप सहमत होंगे.
योग दो ग्रहों की युति से बनता है,अब जीवन में उस योग का फल इन्ही दो में से एक की दशा में प्राप्त होना होता है.इसे जानने का साधारण सा सूत्र बताता हूँ .इसे चार्ट द्वारा समझें. उच्च स्व मित्र
(५) (४) (३)
नीच शत्रु सम
(-५) (-४) (-३)
अर्थात मान लीजिये की कर्क लग्न में गजकेसरी योग बन रहा है,यहाँ गुरु अपनी उच्च राशि में हैं,यानि पांच अंक प्राप्त करते हैं ,साथ ही चंद्रमा गुरु के मित्र हैं तो गुरु को तीन अंक और प्राप्त होते हैं,वहीँ दूसरी और चंद्रमा मात्र स्व राशि के होकर चार अंक प्राप्त करते हैं ,इस प्रकार समीकरण यूँ होता है... गुरु =८ व चंद्रमा =४ अंक.तो यह योग गुरु में चन्द्र के अंतर में फलित होगा.कुछ कम मात्रा का प्रभाव चंद्रमा में गुरु के अंतर में भी प्राप्त होगा. अब अगर जातक के जीवन में गुरु की दशा नहीं आ रही है तो इस योग से जातक को बहुत अधिक आशा नहीं रखनी चाहिए.इसी प्रकार अन्य योगों की समीक्षा की जा सकती है.
साथ ही ग्रहों का स्वयं के फलित होने का एक समय होता है.मंगल का समय काल सामान्यतः बीस से तीस वर्ष के मध्य होता है,अब यदि किसी के रूचक योग का फलित समय तीसरे वर्ष या पचासवें आयुवर्ष आ रहा है तो इस योग का भी अब कोई अर्थ नहीं रह जाता है.या कहें की किसी जातक को मालव्य योग का सुख तब मिलना है जब वह अपनी आयु के ८२ वें वर्ष में है तो क्या इस योग का कोई औचित्य रह जाता है अब?
कुंडली में मात्र किसी योग का होना ही उस योग से सम्बंधित फल पा लेने की गारंटी नहीं है.कई कुंडलियों में सामान योग होते हुए भी उनके डिग्री ,अक्षांस ,देशांश ,वक्री ,मार्गी से सम्बंधित आंकड़े यहाँ प्रभावित करते हैं.प्रधान मंत्री जी की गाडी का ड्राईवर भी उसी सरकारी वाहन का सुख भोग रहा है जिसका स्वयं प्रधानमन्त्री जी.एक ही सुख अलग अलग प्रभावों में है.थाने में एक सिपाही भी बैठा है,एक दारोगा भी व एक अधिकारी भी.सब लगभग एक ही योग के अलग अलग प्रभावों का सुख पाते है जिस प्रकार एक ही पेड़ में लगे आमों का आकार,स्वाद ,रंग अलग अलग होता है.साथ ही स्थान विशेष का भी अपना महत्त्व है.अफ्रीका के जंगलों में प्रबलतम राज योग का फल पाना अपनी जाति का मुखिया होना हो सकता है,किन्तु अमेरिका जैसे देश में अब उस मुखिया की कोई हैसियत नहीं होती.यहाँ आपका प्रबलतम राजयोग अपने फलित होने की दशा काल में आपको दुनिया का सबसे पावरफुल व्यक्ति बना सकता है.
कहने का तात्पर्य यह है की किसी योग के फलित होने के लिए २०% उस योग का कुंडली में होना आवश्यक है,२०%पारिवारिक परिवेश महत्त्व रखता है,२०% आपका स्वयं का प्रयास,२०% आपसे जुड़े लोगों के ग्रहों का उस योग में योगदान,व २०% सामजिक दशा उसे प्रभावित करती है.दुनिया के सबसे छोटे देश का राजा होना भी राज योग है व दुनिया के सबसे बड़े देश का राजा होना भी राज योग है. अततः अब कभी भी जब अपनी कुंडली में किसी योग को लेकर भ्रमित हो रहे हों तो इन तथ्यों को अवश्य ध्यान दें...................आशा है आप सहमत होंगे.
शेष चर्चा फिर कभी आगे करेंगे.
kanya lagna hai. aur malavya yog hai. lekin shdashtak yog. kya karna padega
जवाब देंहटाएंguruji mere kundali mai to malavya, laxmi, neechbanga,vipreet rahyog hai aap ne muze moti aur panna bataya hai. KANYA LAGNA MEEN RASHI
जवाब देंहटाएं1 HOUSE
2 HOUSE - KETU
3 HOUSE - SHANI HARSHAL
4 HOUSE - VARUN
5 HOUSE - GURU
6 HOUSE -
7 HOUSE - BHUDH SHUKRA CHANDRA
8 house - SURYA RAHU
9 house - MANGAL
guruji mere kundali mai chander grhan laga कुच्छ उपाए बताए
जवाब देंहटाएंhai. वच्छिक्र LAGNA कर्क
RASHI हे
1 HOUSE सुर्य बुध
2 HOUSE - शनि शुक्र
3 HOUSE - राहु
4 HOUSE -
5 HOUSE -
6 HOUSE -
7 HOUSE -
8 house - गुरू
9 house - चन्द्र केतु
10 HOUSE
11 HOUSE
12 HOUSE मंगल
मेरा जन्म 18 /11 /1989 GULABPURA मे जिला भीलवाडा मे हुआ समय सुबह 7:15 मिनट पर
जितना हो सके चाँदी धारण करें.सच्चा मोती सवा दस रत्ती चाँदी में पहने.रात सोते समय सिरहाने पर पानी से भरा लोटा रखें वा सुबह किसी वृक्ष कि जड़ पर समर्पित कर दें.ऐसा नियम से करें.सोमवार के व्रत करें वा महाम्रितुंजय मंत्र का जाप करें.ये दोष आपके भाग्य को प्रभावित कर रहा है.महादेव कि शरण ही इस दोष का काट है.
हटाएंguru ji pranam
जवाब देंहटाएंNAME: RAJAT MISHRA
DOB:03/01/19991
TIME 8:55 (MORNING)
PLACE : MAINPURI (U.P)
guruji jeevan mein atyadhik pareshanio se pareshan hu..
kripaya koi upaya batayein..
tatha ye b batane ka kast karein k ye kis karan ho rahi h..
kya meri kundli mein raj yog ya gaj kesari yog h..yadi h to uska fal mujhe kab prapt hoga..
dhanyabaad.....pranam..