सभी देशवासियों को मकर संक्रांति की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं.सूर्य देव उत्तरायण हो रहे हैं.अर्थात इसके बाद दिन बढना शुरू.क्या अर्थ होता होगा इस संक्रांति के इतना महत्त्व का?क्यों शत्रु एवम पुत्र शनि की राशि में सूर्य देव के प्रवेश को भारत में इतना महत्त्व प्राप्त है.
महसूस करें की माघ और फागुन ये दोनों माह वर्ष के सर्वाधिक सुहाने महीने हैं.नयी धूप, नए बच्चे ,नए रंग ,नया उल्हास,नयी उर्जा,और नए सपने.सब कुछ महसूस होता है न ?सूर्य देव चराचर जगत के स्वामी हैं. जीवन में स्पंदन,प्राणों का संचार इनके बिना संभव नहीं.
बीते बरसात एवम शीत से भरे आलस को त्यागकर इंसान नए सिरे से जीवन को नियंत्रित करता है.शनि देव का रंग काला है.और सूर्य की किरणों को सोकने की सर्वाधिक शक्ति काले रंग में होती है.काला रंग सूर्य की शक्तियों को अधिकतम अपने अन्दर ग्रहण करता है.इसलिए मेष में उच्च होने के बावजूद सूर्य के मकर में प्रवेश को महत्त्व अधिक प्राप्त है.चैत से गर्मी का अहसास जरूर बदने लगता है,किन्तु ये सूर्य देव की अनियंत्रित शक्ति होती है.अततः मकर और कुम्भ राशि में अपने भ्रमण काल में अपने से सम्बंधित जातक को सूर्य अथाह शक्ति प्रदान करते हैं.प्राचीन काल में उच्च सूर्य से सम्बंधित कुण्डलियाँ भले ही शसक्त मानी जाती रही हों,किन्तु जब से जाति व्यवस्थाएं टूटने लगी हैं,व सभी लोगों को समान अधिकार प्राप्त होने लगे हैं,तब से आगे की कुंडलियों का अवलोकन करता हूँ तो पIता हूँ की मकर व कुम्भ के सूर्य ने अधिक सकारात्मक परिणाम दिए हैं.यदि अच्छी स्थिति में हों,तो सूर्य के बल से ऐसे जातक सफलता के शिखर को छूते देखे गए हैं.शक्ति का सही नियंत्रण इन के पास देखा जाता है.
मकर संक्रांति पर सभी बंधुओं को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त हो इसी शुभकामना के साथ.......................
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महसूस करें की माघ और फागुन ये दोनों माह वर्ष के सर्वाधिक सुहाने महीने हैं.नयी धूप, नए बच्चे ,नए रंग ,नया उल्हास,नयी उर्जा,और नए सपने.सब कुछ महसूस होता है न ?सूर्य देव चराचर जगत के स्वामी हैं. जीवन में स्पंदन,प्राणों का संचार इनके बिना संभव नहीं.
बीते बरसात एवम शीत से भरे आलस को त्यागकर इंसान नए सिरे से जीवन को नियंत्रित करता है.शनि देव का रंग काला है.और सूर्य की किरणों को सोकने की सर्वाधिक शक्ति काले रंग में होती है.काला रंग सूर्य की शक्तियों को अधिकतम अपने अन्दर ग्रहण करता है.इसलिए मेष में उच्च होने के बावजूद सूर्य के मकर में प्रवेश को महत्त्व अधिक प्राप्त है.चैत से गर्मी का अहसास जरूर बदने लगता है,किन्तु ये सूर्य देव की अनियंत्रित शक्ति होती है.अततः मकर और कुम्भ राशि में अपने भ्रमण काल में अपने से सम्बंधित जातक को सूर्य अथाह शक्ति प्रदान करते हैं.प्राचीन काल में उच्च सूर्य से सम्बंधित कुण्डलियाँ भले ही शसक्त मानी जाती रही हों,किन्तु जब से जाति व्यवस्थाएं टूटने लगी हैं,व सभी लोगों को समान अधिकार प्राप्त होने लगे हैं,तब से आगे की कुंडलियों का अवलोकन करता हूँ तो पIता हूँ की मकर व कुम्भ के सूर्य ने अधिक सकारात्मक परिणाम दिए हैं.यदि अच्छी स्थिति में हों,तो सूर्य के बल से ऐसे जातक सफलता के शिखर को छूते देखे गए हैं.शक्ति का सही नियंत्रण इन के पास देखा जाता है.
मकर संक्रांति पर सभी बंधुओं को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त हो इसी शुभकामना के साथ.......................
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