मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होने के पश्चात कहाँ जाता है,इस विषय पर बहुत से ग्रन्थ ,बहुत से विचार प्रस्तुत करते हैं..किन्तु जन्म लेने से पूर्व वो कहाँ से किस हालात से निकल कर आया है,ये जानकारी बहुत कम उपलब्ध होती है....ज्योतिष में इस विषय में बहुत रहस्यपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा जाता है...पूर्व में हमारी वेब साइट www.astrologerindehradun.com में मेरे पितृ दोष संबंधी लेख में मैंने पाठकों के समक्ष ,,बड़ी शिद्दत से पंचम भाव का महत्व रखने का प्रयास किया था व पाठकों की खूब वाहवाही पाई थी...इसी सूत्र को आगे ले जाने का प्रयास आज कर रहा हूँ...
लग्न व अष्ठम भाव से प्रभाव एक साथ एक दूसरे की ओर बढ़ता है..वो भी विपरीत कारक के साथ....कैसे???आइये समझते हैं...लग्न जातक का जन्म है तो अष्ठम मृत्यु...अब लग्न से अगला भाव अर्थात द्वितीय भाव ,,जन्म के पश्चात की पहली सांस है... इसके विपरीत अष्ठम से पहला अर्थात सप्तम भाव जीवन की अंतिम सांस है...एक तरफ से (लग्न से) प्रभाव आगे आने वाले कारकों के लिए बुनियाद तैयार कर रहा है,तो दूसरी ओर का प्रभाव ,अंतिम सत्य (अष्ठम मृत्यु ) से प्रारब्ध की बुनियाद तलाशने का प्रयास कर पीछे की यात्रा कर रहा है..
द्वितीय सांस के बाद तृतीय उसका आकार है,,,भविष्य की जद्दोजहद से लड़ने के लिए मनोबल ,पुरुषार्थ है....तो सप्तम से पीछे छठा भाव उस अंतिम सांस(सप्तम) के लिए कारण पैदा करने वाला भाव है....तृतीय के बाद चतुर्थ माँ की गोद है.. ..वहीँ षष्ठम भाव से पूर्व का पंचम भाव अंतिम सांस के कारण तय करने वाले भाव को उत्पन्न करने वाली भूमि है..यहाँ पाठक एक बात अवश्य गौर करें कि किसी भी भाव ,किसी भी ग्रह से सप्तम स्वतः ही उसके लिए अपोजिट प्रभाव उत्पन्न करने को मजबूर हो जाता है..अतः पंचम यदि प्रथम वस्त्र के रूप में माँ के आँचल के रूप में देखा जाता है तो एकादश इसी कारण अंतिम वस्त्र कफ़न का भाव है...लग्न को जातक माना जाय तो नवम उस भूमि का रूप है ,जिसपर ये पौधा उगा है,,,,,नवम पिता है तो नवम के पीछे पंचम उसका आधार है....इसी कारण स्पष्ट है कि जातक अपने अंश के रूप में भविष्य में जो पंचम(संतान) उत्पादन करने वाला है,वास्तव में ये ही भाव लग्न के निर्माण वाली भूमि(नवम) का आधार भाव है....अतः ज्योतिषी को सभी भाव त्यागकर सर्वप्रथम पंचम भाव का विवेचन करना श्रेष्ठ निर्णय लेने में सहायक बनता है...पंचम आपके पूर्व जन्म के किस्सों का भाव है व गुरु इस भाव का यात्री है..इसी कारण तो अष्ठम मृत्यु के बाद कालपुरुष में पहला भाव नवम गुरु का भाव है...कालपुरुष में पंचम सूर्य का भाव है जो वंश परंपरा का घोतक है, आप असल में अपने पिता का ही डीएनए हैं..और पिता आपके दादा का डीएनए....तो असल में आप दादा का ही रूप हैं...आप पिता से अधिक अपने दादा के डीएनए हैं....इसीलिए सामान्यतः अनुवांशिक बीमारियां एक पीढ़ी छोड़कर अधिक प्रबल रूप से सामने आती है....पंचम भाव आपके लिए तय कर चुका होता है कि निकट भविष्य में क्या आपके लिए मारक प्रभाव लाने वाला है...अतः मृत्यु कुंडली पंचम भाव को आधार रखकर करें तो बहुत से नए रहस्य सामने आते हैं.... ये षष्ठम रोग को व्यय करने वाला भाव है....अगर इसका रहस्य पकड़ आ गया तो शर्तिया जातक अटल मृत्यु को काटने की ताकत पा जाता है...आपने यूनानी कथाओं में फिनिक्स पक्षी का नाम सुना ही होगा...
लग्न व अष्ठम भाव से प्रभाव एक साथ एक दूसरे की ओर बढ़ता है..वो भी विपरीत कारक के साथ....कैसे???आइये समझते हैं...लग्न जातक का जन्म है तो अष्ठम मृत्यु...अब लग्न से अगला भाव अर्थात द्वितीय भाव ,,जन्म के पश्चात की पहली सांस है... इसके विपरीत अष्ठम से पहला अर्थात सप्तम भाव जीवन की अंतिम सांस है...एक तरफ से (लग्न से) प्रभाव आगे आने वाले कारकों के लिए बुनियाद तैयार कर रहा है,तो दूसरी ओर का प्रभाव ,अंतिम सत्य (अष्ठम मृत्यु ) से प्रारब्ध की बुनियाद तलाशने का प्रयास कर पीछे की यात्रा कर रहा है..
द्वितीय सांस के बाद तृतीय उसका आकार है,,,भविष्य की जद्दोजहद से लड़ने के लिए मनोबल ,पुरुषार्थ है....तो सप्तम से पीछे छठा भाव उस अंतिम सांस(सप्तम) के लिए कारण पैदा करने वाला भाव है....तृतीय के बाद चतुर्थ माँ की गोद है.. ..वहीँ षष्ठम भाव से पूर्व का पंचम भाव अंतिम सांस के कारण तय करने वाले भाव को उत्पन्न करने वाली भूमि है..यहाँ पाठक एक बात अवश्य गौर करें कि किसी भी भाव ,किसी भी ग्रह से सप्तम स्वतः ही उसके लिए अपोजिट प्रभाव उत्पन्न करने को मजबूर हो जाता है..अतः पंचम यदि प्रथम वस्त्र के रूप में माँ के आँचल के रूप में देखा जाता है तो एकादश इसी कारण अंतिम वस्त्र कफ़न का भाव है...लग्न को जातक माना जाय तो नवम उस भूमि का रूप है ,जिसपर ये पौधा उगा है,,,,,नवम पिता है तो नवम के पीछे पंचम उसका आधार है....इसी कारण स्पष्ट है कि जातक अपने अंश के रूप में भविष्य में जो पंचम(संतान) उत्पादन करने वाला है,वास्तव में ये ही भाव लग्न के निर्माण वाली भूमि(नवम) का आधार भाव है....अतः ज्योतिषी को सभी भाव त्यागकर सर्वप्रथम पंचम भाव का विवेचन करना श्रेष्ठ निर्णय लेने में सहायक बनता है...पंचम आपके पूर्व जन्म के किस्सों का भाव है व गुरु इस भाव का यात्री है..इसी कारण तो अष्ठम मृत्यु के बाद कालपुरुष में पहला भाव नवम गुरु का भाव है...कालपुरुष में पंचम सूर्य का भाव है जो वंश परंपरा का घोतक है, आप असल में अपने पिता का ही डीएनए हैं..और पिता आपके दादा का डीएनए....तो असल में आप दादा का ही रूप हैं...आप पिता से अधिक अपने दादा के डीएनए हैं....इसीलिए सामान्यतः अनुवांशिक बीमारियां एक पीढ़ी छोड़कर अधिक प्रबल रूप से सामने आती है....पंचम भाव आपके लिए तय कर चुका होता है कि निकट भविष्य में क्या आपके लिए मारक प्रभाव लाने वाला है...अतः मृत्यु कुंडली पंचम भाव को आधार रखकर करें तो बहुत से नए रहस्य सामने आते हैं.... ये षष्ठम रोग को व्यय करने वाला भाव है....अगर इसका रहस्य पकड़ आ गया तो शर्तिया जातक अटल मृत्यु को काटने की ताकत पा जाता है...आपने यूनानी कथाओं में फिनिक्स पक्षी का नाम सुना ही होगा...
बेहद सुन्दर जानकारी
जवाब देंहटाएंआदरणीय ,नमस्कार आपने जैसा बताया था वैसा ही हुआ मेरे साथ, अगस्त 2016 से अच्छा समय आया मगर ये 4-5 माह ही रहा अब फिर परेशानी है मैं क्या करूँ....
जवाब देंहटाएंजन्म दिनांक-6-3-1981
जन्म समय- 13:50 दोपहर 1:50 बजे
जन्म स्थान- सीकर(राजस्थान)
आदरणीय, गुरू जी को नमस्कार मैं बहुत कष्ट में हूँ।
जवाब देंहटाएंबेरोजगार भी हूँ। कृपया मार्ग दर्शन कराये मार्ग दर्शन कराये।
जन्म दिनांक-27-9-1984
जन्म समय- 10:15:25 सुबह
जन्म स्थान- मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
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शनि में बुध की अन्तर्दशा समाप्त होते ही आप मई अंत अथवा जून माह से सितम्बर २०१७ के मध्य सुन्दर नौकरी के योग प्राप्त करेंगे ,इन बरसातों में स्वाति नक्षत्र में बरसी हुई बारिश की बूंदों को सहेज कर किसी बोतल में रख कर अपने पास रख लें व एक माणिक धारण कर लें। विष दोष की शान्ति योग्य ब्राह्मणो द्वारा करा लें। ..
हटाएंआदरणीय, गुरू जी को नमस्कार मैं बहुत कष्ट में हूँ।
जवाब देंहटाएंबेरोजगार भी हूँ। कृपया मार्ग दर्शन कराये मार्ग दर्शन कराये।
जन्म दिनांक-27-9-1984
जन्म समय- 10:15:25 सुबह
जन्म स्थान- मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)
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Guruji Pranaam, DOB: 05-01-1988;
जवाब देंहटाएंTOB: 17:37 POB: DELHI. bhagya Uday kab hoga
Guruji Pranaam,
जवाब देंहटाएंbhagya Uday kab hoga.
POB: DELHI, DOB: 05-01-1988, TOB: 17:37.
Lalit ji sadar pranam
जवाब देंहटाएंApke kahe anusar yahan post dan raha hun.
Meri job ki or rozgar ki problem hai.
Abhi bhi Jobless hun or jaha bhi lagta hun jayada din jobnahi rahpata. Koi na koi problem aa jati hai.
Main aalsi bhi bohot ho gaya hun.samajh nahi aata k kya ho raha hai.
Ab to paise paise ko mohtaz hun.
Kirpya margdarshan kare.
Name Vikrant Bhardwaj
DOB 31-12-1981
Time 07:15am
Birthplace Faridabad Haryana.
Apki atti kirpa hogi.
विक्रांत जी,,धनु लग्न में शनि की महादशा में शनि का अंतर सामान्यतः ऐसे ही समीकरण उत्पन्न करता देखा गया है...आप अपने जीवनकाल में लगभग 6 से अधिक कार्यव्यवसायों को बदलेंगे,,व सातवां कार्य आपके लिए स्थायी आधार तैयार करेगा..समस्या ये हो रही है कि आप अपने कार्य स्थल पर अन्य सहयोगियों ,,विशेषकर आपके सीनियर्स के लिए समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं,,,,आपकी उपस्थिति उन्हें असहज करती है,,सामान्य भाषा मे कहुँ तो आपकी रिदम उन्हें कंफ्यूज करती है,,,परिणामस्वरूप आपके प्याज कुतर दिया3 जाते हैं...शनि में बुध का अंतर व शुक्र की प्रयन्तर दशा मई 2018 से पूर्व ही बाहरी शक्तियों से आपका संपर्क तय कर रही है..भाग्येश को केतु की प्रताड़ना से बचाने व नवमांश के लग्नेश को जागृत करने हेतु आप।एक माणिक धारण करें..साथ ही घर के उत्तर-पूर्व की दिशा के कमरे में निवास करें..प्रत्येक रविवार सौ ग्राम गुड़ व सौ ग्राम गेहूं ,,आठ रविवार तक मंदिर में अर्पित करें....आगे भविष्य उज्ज्वल है...शिव सदा आपके रक्षक रहें...
हटाएंApka bohot bohot abhar ji
हटाएंMain awashya hi in upayo ko karunga.
Guru ji meri dob 23-7-1990 time 2:30 dopahar place mohindergarh krpya mujhe meri naukari ke bare me btaye govt. Chance h ya ni or business b kis ka kr Sakti hu
जवाब देंहटाएंGuru ji Sadar pranam, me apke blog ki niyamit Pathak hu , Pundit ji. Pichle 1 mahine se meri zindagi.me kafi samyasaye ho rahi hai meri Naukri se mujhe Nikal diya Gaya hai aur ab nayi jagah b Naukri nahi lag pa rahi. Ghar ke kaam kaaj me bhi man nahi lagta ..Kuch upay bataiye Guru ji ..
जवाब देंहटाएंName: krati
Dob:9:15 A:M
Birth:04/09/1992
Place: Pratapgarh (Uttar Pradesh)