अपने ब्लॉग ,वेब साईट,मेल्स व अन्य साधनो से प्राप्त प्रश्नो में सर्वाधिक प्रश्न जो मुझे प्राप्त होते हैं,उनका सम्बन्ध परोक्ष -अपरोक्ष रूप से मंगल से ही होता है...अब समयाभाव के कारण प्रत्येक प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाता... इसलिए साधारण भाषा में आज मंगल के दोष,उनका निवारण ,व उनके प्रभाव आदि के विषय में चर्चा करेंगे,,,,
अमूमन मंगल की चर्चा तब अधिक होने लगती है जब लड़का या लड़की विवाह योग्य होने लगते हैं व उनकी कुण्डलियाँ मिलान के लिए निकाली जाने लगती हैं...यकीन मानिए कन्या के पिता के पैरों के नीचे से तो जमीन ही खिसक जाती होगी,जब बेटी मांगलिक निकल आती होगी तो...कुछ लोग इस दौरान कुण्डलियाँ ही बदल देते हैं तो कुछ स्वयं को इंटेलेक्चुअल घोषित करते हुए डंके की चोट पर कह देते हैं कि हम इस सब बकवास को नहीं मानते।।.
वर्षों बीत गए मंगल पर चर्चा करते हुए ,हजारों टीकाएँ ग्रंथों के आधार पर लिखी गई ,सैकड़ों लोगों ने इस पर नए नए विचार प्रस्तुत किये....इसे हौव्वा बताया .....किन्तु आज भी विवाह सन्दर्भ में चर्चा चलते ही सबसे अधिक खौफ अगर किसी ग्रह का है तो वो मंगल ही है....ज्योतिष को सिरे से नकारने वाले सज्जन भी अपने लिए बहु लाते समय दबी जुबान मांगलिक दोष की तरफ से शंका मिटाना नहीं चूकते..
क्या है ये मंगल और क्यों इसका इतना खौफ जनमानस पर हावी है ??सामान्य गणना के अनुसार हम जानते हैं कि किसी भी पुरुष व स्त्री की कुंडली में चौथे ,सातवें ,आठवें ,बारहवें व लग्न भाव में मंगल होने से उन्हें मांगलिक मान लिया जाता है। वास्तव में देखने में आया है (मेरी व्यक्तिगत सोच है ) कि मंगल की उपस्थिति से अधिक इसका चौथा व आठवां दृष्टि प्रभाव दाम्पत्य पर अधिक प्रतिकूल असर देता है...... ऐसे में मेरा मानना है कि मंगल की चौथे व बारहवें भाव की उपस्थिति दाम्पत्य के लिए अधिक घातक परिणाम प्रस्तुत करती है .....सातवें व आठवें भाव में बैठा मंगल दाम्पत्य कडुवाहट उत्पन्न करता है ,किन्तु मैं व्यक्तिगत रूप से इसे जीवनसाथी के लिए मारक नहीं मानता हूँ ...मेरे पिछले दस -बारह साल के अध्ययन व क्लाइंट्स के साथ अपनी काउंसलिंग में मैंने सप्तम -अष्ठम मंगल को तलाक दिलाते ,वैचारिक मतभेद बनाते अधिक देखा है किन्तु चतुर्थ व द्वादस्थ भौम मारक होते हुए हर बार पाया है ....जबकि बदनामी सप्तम व अष्ठम मंगल के हिस्से में अधिक आती है प्रभाव के रूप में कहें तो मंगल की चौथी व आठवीं दृष्टि जलीय प्रभाव लिए हुए होती हैं ,,,,,भौम जो कि अग्नि का कारक ग्रह है व जिसका काम शरीर-व जीवन रुपी भाव - भट्टी को ईंधन उपलब्ध कराना है ,,उसे कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करना है ,अपने चौथे व आठवें जलीय प्रभाव में अपना नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर उस आग को ,उस भाव के प्राणों की अग्नि को बुझा देता है ...संभवतः इसी कारण मंगल को चौथी राशि कर्क में नीच माना जाता है व इसकी स्वयं की आठवीं वृश्चिक राशि इसकी नकारात्मक राशि मानी गई है ....
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अब प्रश्न ये आता है कि भला मंगल अपना घातक प्रभाव कैसे व कितनी ताकत से देता है ??तो इसका जबाब यह है कि ये कुछ बातों पर निर्भर करता है ... सर्वप्रथम तो ये कि मंगल किस ग्रह की ,क्या प्रभाव लिए हुए कौन सी राशि में बैठा है व दूसरा यह कि जहाँ प्रभाव दिया जा रहा है वह किस प्रकार के ग्रह की कौन सी राशि है .....
उदाहरण के लिए समझिये कि वृष राशि में बैठा चतुर्थ भाव का मंगल अपनी चौथी जलीय दृष्टि से सप्तम में सूर्य केए अग्नि राशि को बुझा देगा ,यहाँ आप अग्नि कि समाप्ति देख् सकते हैं .....किन्तु यहीं से कर्क का मंगल सप्तम में तुला के वायुप्रधान स्वभाव को गर्जना व बारिश का रूप देगा ,जिसे हम दाम्पत्य में झगड़ा ,मारपिटाई,हल्ला आदि के रुप में पायेंगे ....यहीं चतुर्थ भाव में तुला में बैठा मंगल ,,सप्तम में मकर के पृथ्वीतत्वीय प्रभाव को तूफान ,पेड़ों के उखडने, बाढ़ आदि के रुप में संबंध को तबाह करेगा, किन्तु मृत्यु कारक नहीं होगा....... आशा है पाठक समझ रहे होंगे ...भविष्य में इस चर्चा को आगे ले जायेंगे ये वादा है आपसे ....सावन कि शुभकामनाओं सहित ,आपका अपना भाइ ....
अमूमन मंगल की चर्चा तब अधिक होने लगती है जब लड़का या लड़की विवाह योग्य होने लगते हैं व उनकी कुण्डलियाँ मिलान के लिए निकाली जाने लगती हैं...यकीन मानिए कन्या के पिता के पैरों के नीचे से तो जमीन ही खिसक जाती होगी,जब बेटी मांगलिक निकल आती होगी तो...कुछ लोग इस दौरान कुण्डलियाँ ही बदल देते हैं तो कुछ स्वयं को इंटेलेक्चुअल घोषित करते हुए डंके की चोट पर कह देते हैं कि हम इस सब बकवास को नहीं मानते।।.
वर्षों बीत गए मंगल पर चर्चा करते हुए ,हजारों टीकाएँ ग्रंथों के आधार पर लिखी गई ,सैकड़ों लोगों ने इस पर नए नए विचार प्रस्तुत किये....इसे हौव्वा बताया .....किन्तु आज भी विवाह सन्दर्भ में चर्चा चलते ही सबसे अधिक खौफ अगर किसी ग्रह का है तो वो मंगल ही है....ज्योतिष को सिरे से नकारने वाले सज्जन भी अपने लिए बहु लाते समय दबी जुबान मांगलिक दोष की तरफ से शंका मिटाना नहीं चूकते..
क्या है ये मंगल और क्यों इसका इतना खौफ जनमानस पर हावी है ??सामान्य गणना के अनुसार हम जानते हैं कि किसी भी पुरुष व स्त्री की कुंडली में चौथे ,सातवें ,आठवें ,बारहवें व लग्न भाव में मंगल होने से उन्हें मांगलिक मान लिया जाता है। वास्तव में देखने में आया है (मेरी व्यक्तिगत सोच है ) कि मंगल की उपस्थिति से अधिक इसका चौथा व आठवां दृष्टि प्रभाव दाम्पत्य पर अधिक प्रतिकूल असर देता है...... ऐसे में मेरा मानना है कि मंगल की चौथे व बारहवें भाव की उपस्थिति दाम्पत्य के लिए अधिक घातक परिणाम प्रस्तुत करती है .....सातवें व आठवें भाव में बैठा मंगल दाम्पत्य कडुवाहट उत्पन्न करता है ,किन्तु मैं व्यक्तिगत रूप से इसे जीवनसाथी के लिए मारक नहीं मानता हूँ ...मेरे पिछले दस -बारह साल के अध्ययन व क्लाइंट्स के साथ अपनी काउंसलिंग में मैंने सप्तम -अष्ठम मंगल को तलाक दिलाते ,वैचारिक मतभेद बनाते अधिक देखा है किन्तु चतुर्थ व द्वादस्थ भौम मारक होते हुए हर बार पाया है ....जबकि बदनामी सप्तम व अष्ठम मंगल के हिस्से में अधिक आती है प्रभाव के रूप में कहें तो मंगल की चौथी व आठवीं दृष्टि जलीय प्रभाव लिए हुए होती हैं ,,,,,भौम जो कि अग्नि का कारक ग्रह है व जिसका काम शरीर-व जीवन रुपी भाव - भट्टी को ईंधन उपलब्ध कराना है ,,उसे कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करना है ,अपने चौथे व आठवें जलीय प्रभाव में अपना नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर उस आग को ,उस भाव के प्राणों की अग्नि को बुझा देता है ...संभवतः इसी कारण मंगल को चौथी राशि कर्क में नीच माना जाता है व इसकी स्वयं की आठवीं वृश्चिक राशि इसकी नकारात्मक राशि मानी गई है ....
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अब प्रश्न ये आता है कि भला मंगल अपना घातक प्रभाव कैसे व कितनी ताकत से देता है ??तो इसका जबाब यह है कि ये कुछ बातों पर निर्भर करता है ... सर्वप्रथम तो ये कि मंगल किस ग्रह की ,क्या प्रभाव लिए हुए कौन सी राशि में बैठा है व दूसरा यह कि जहाँ प्रभाव दिया जा रहा है वह किस प्रकार के ग्रह की कौन सी राशि है .....
उदाहरण के लिए समझिये कि वृष राशि में बैठा चतुर्थ भाव का मंगल अपनी चौथी जलीय दृष्टि से सप्तम में सूर्य केए अग्नि राशि को बुझा देगा ,यहाँ आप अग्नि कि समाप्ति देख् सकते हैं .....किन्तु यहीं से कर्क का मंगल सप्तम में तुला के वायुप्रधान स्वभाव को गर्जना व बारिश का रूप देगा ,जिसे हम दाम्पत्य में झगड़ा ,मारपिटाई,हल्ला आदि के रुप में पायेंगे ....यहीं चतुर्थ भाव में तुला में बैठा मंगल ,,सप्तम में मकर के पृथ्वीतत्वीय प्रभाव को तूफान ,पेड़ों के उखडने, बाढ़ आदि के रुप में संबंध को तबाह करेगा, किन्तु मृत्यु कारक नहीं होगा....... आशा है पाठक समझ रहे होंगे ...भविष्य में इस चर्चा को आगे ले जायेंगे ये वादा है आपसे ....सावन कि शुभकामनाओं सहित ,आपका अपना भाइ ....
shama kare pichli post par prashna galti se delete ho gaya tha pandit ji meri dob 10 march 1992,time 23 baje raatri,place ajmer(raj)
जवाब देंहटाएंpandit ji meri b.tech abhi tak complete nahi hui hai(back clear nahi hai) 2009 ka addmission hai.or job kb tak lagegi.bahut pareshaan hu kripya marg darshan kare.
दशमेश का अष्ठम हो जाना समस्या के मुख्य कारण के रूप में माना जा सकता है उपेश जी..रास्ते यहाँ से दो तरफ जा रहे हैं मित्र..अब स्वयं चयन कर लो कि करना क्या है...सूर्य की स्थिति किसी कोटे आदि से अथवा किसी सरकारी हस्तक्षेप के बाद सरकारी नौकरी तय करती है..दूसरा रास्ता तकनीकी विषयों द्वारा विदेश यात्राओं की राह प्रशस्त करता है..मर्चेंट नेवी,अथवा किसी भी प्रकार के जल संबंधी विभागों ,क्षेत्रों में परोक्ष अपरोक्ष रूप से आपका कर्रिएर अगले वर्ष के मध्य से बन जाएगा...शनि का प्रभाव देरी का कारण मान सकते हैं किन्तु ज्योतिष योगों का खेल है मेरे भाई..और बात योग की आई है तो भला तुम्हारी कुंडली में शश व रूचक नामक दो दो पंचमहापुरुष योगों से कौन इंकार कर सकता है...अपने जीवन ने तुम दो दो अलीशान भवनों के मालिक बनोगे...पन्ना रत्न धारण करो...सोमवार के व्रत विधिविधान से पूर्ण करो.....शनि का छल्ला दाहिने हाथ की मध्यमा में धारण करो....इसके बाद मात्र दो कार्य करो..पहला अपना कर्म व दूसरा उस कर्म के फल का सब्र से इंतजार..तुम सफलता भाग्य में लिखवाकर लाये हो..बस सब्र
हटाएंरखना मेरे मित्र
thank you pandit ji,aapne mere prashna ka jawaab dekar meri pareshaani dur kr di hai,me aapke dwara bataaye sabhi upay karunga,once again thank you.
हटाएंpranam gurudev bahut uttm jankari mangl ki vishy me thanks
जवाब देंहटाएंआभार व प्रणाम ठाकुर जी
हटाएंPranam panditji. Meri shaadi ko lekar mere mata-pita kafi pareshan rehte h...shadi ka yoga kab h aur ye sukhkari hoga ya nhi... Kripya maargdarshan kare... Dob: 06/04/1989
जवाब देंहटाएंTime: 22:10 Place: Mathura, UP
namaste pandit mera naam Manisha h jinse me shadi krna chahti hu wo manglik h to Kya mera vivah unse ho skta h meri date of birth 4th.nov.1993 ladke ki 29.aug.1984
जवाब देंहटाएंप्रभु जी सादर निवेदन है कि पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत परेशान हूँ कोई न कोई रोग बना रहता है दवा चलती रहती हैं।अभी साइटिका से परेशान है दवा काम नहीं करती है कोई उपाय बताईये जन्म 08/07/1975समय 03.00 दोपहर स्थान सिवनी मध्यप्रदेश 9424398728
जवाब देंहटाएंसामान्यतः क्रमश छठे व आठवें भाव में पाप ग्रह होने का परिणाम साइटिका के रूप में सामने आता है ,,,मेडिकल साइंस में इसे नसों व कमर के जोड़ों से जुडी बीमारी माना गया है ,किन्तु वास्तव में इसकी शुरुआत पेट से होती है ,,,इन्हें निरंतर ९० दिन तक मात्र मूंग की खिचड़ी ,दलिया ,साबूदाना दें। प्रातः ताँबे के बर्तन का पानी खाली पेट पियें व दोनों पैरों में अष्टधातु अथवा ताँबे के बने कड़े बराबर वजन से धारण कराइये ,मेरुदंड को बल देने हेतु लालधागे में माणिक सवा पांच रत्ती ताँबे में धारण कराइये। कोई दवा ले रही हैं तो जारी रखिये .... ९० दिनों बाद सूचित कीजिये। ..... प्रणाम
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंgurudev sadar naman,
जवाब देंहटाएंprabhu jivan bahut samsiyao se ghira pada hai.koshish karta hoon par karya safal hone me bahut muskil hota hai.kaam ka pura fal nhi milta hai.Bahut tanav bana rahta hai..jaldi hatash ho jata hoon....mera margdarshan kare aapki badi kripa hogi...
DOB 09/11/1978 TIME 01:15 PM PALI(RAJASTHAN)
GURUDEV mujhe nirash mat kijiyega aapki badi kripa hogi...naman aapko
gurudev nav varsh ka sadar pranam,
हटाएंmargdarshan kare kripa hogi...DOB 09/11/1978 TIME 01:15 PM PALI(RAJASTHAN)
मकर लग्न सर्वाधिक कष्टकारी लग्न माना गया है ,ऐसे में एकलौता कारक ग्रह होकर शुक्रदेव अस्त हो गए हैं ,यही समस्या का मूल कारण है.... आप एक ओपल चांदी में सवा १२ रत्ती धारण कीजिये व शुक्रवार के व्रत विधिविधान से कीजिये। रविवार के दिन नमक का त्याग कर दीजिये व आते से बना हलवा ताँबे की कटोरी में रखकर किसी गरीब को रविवार के दिन दीजिये। साथ ही प्रत्येक रविवार १०० ग्राम गुड़ व १०० ग्राम गेहूं मिलाकर २१ रविवार मंदिर में अर्पित कीजिये। हनुमान चालीस का पाठ मंगलवार को कीजिये। नित्य शेविंग कीजिये व साफ़ कपडे पहनिए। घर से बाहर निकलते समय इत्र लगाइये। प्रभु ने चाहा तो १८० दिनों में हालात काबू में होंगे।
हटाएंgurudev,sadar naman
हटाएंbahut aabhar aapne meri samashya ka nivaran kiya.prabhu aapki kirti ko badhaye.opel konsi anguli me or kab pahnu...samadhan kare kripa hogi.
आपका लेख बहुत बढीया था ।
जवाब देंहटाएंगूरूजी मेरी एक परेशानी का हल किजीए।
मेरा नाम अरविंद यादव हैं ।
मेरी जन्मतिथी 1/12/1994
समय 5:15 p.m. शाम को आजमगढ जिले मे हुआ हैं ।
मैंने इलेकट्रोनिकस इंजीनियरिंग की हैं ।लेकिन मुझे अच्छी नौकरी नहीं मिल रही हैं ।जो मिलती है वह मेरी डिग्री के अनुरूप नहीं है । गूरूजी मैं किस क्षेत्र में नौकरी ढूँढने की कोशिश करूँ, और मुझे उस क्षेत्र में नौकरी के लिए क्या करना चाहिए ।
गूरूजी कृपया मेरी सहायता किजिए ,मै भीतर ही भीतर से परेशान होता जा रहा हूँ ।
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा।
आप बेहतर लाइन में हैं,,शश देर से फलित होने वाला योग है,,अगले वर्ष आरम्भ से ही मार्च के बाद से ही बाहरी संपर्कों को मजबूती से फलित होते देखेंगे...कटैला सवा पांच कैरट धारण करें व पश्चिमी कमरे में निवास करें...कोई भी बड़ा कार्य शनिवार को करें...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद गूरूजी आप ने मेरे परेशानी का निदान किया ।
हटाएंबस मैं यह जानना चाहता हूँ कि मैं किस क्षेत्र में नौकरी ढूँढने कि कोशिश करूँ ।
मैं संचार क्षेत्र में जाऊँ, कि कंम्पयूटर networking में कोशिश करूँ या ईलेक्ट्रीकल इलेक्ट्रॉनिक चीजो के निर्माण का क्षेत्र चुनू।
गुरूजी प्रणाम, गुरूजी कृपया करके बताये ये लड़की जिसका विवाह अभी पिछले वर्ष फरवरी माह में हुआ था इसकी वैवाहिक जीवन बहुत दुखमय चल रहा हे बहुत कष्ट उठा रही और बात तलाक तक आ रही हे. गुरूजी बताये क्या इसका तलाक हो सकता हे या कुछ समय बाद स्थिति ठीक हो जाएगी. इसके माता पिता की माली हालात बहुत ख़राब हे बड़ी कृपया होगी.
जवाब देंहटाएंनाम गुड्डू, दिन: ३१ जुलाई १९८८ समय सुबह ०९.०० बजे स्थान मुरादनगर, उत्तर प्रदेश
कन्या प्रचंड रूप से मांगलिक है। ... स्वयं का व्यव्हार तो डोमिनेटिंग रहता ही है इसका किन्तु सप्तम भाव स्थिति स्पष्ट रूप से संकेत थी कि इसका अस्थिर स्वभाव जीवन साथी के साथ मानसिक रूप से अस्थिरता प्रदान करेगा , सप्तम ग्रहण पर पंचम से मारक शनि दृष्टि व नवमांश में सप्तमेश का द्वादस्थ हो जाना ,कन्या के सम्बन्ध विच्छेद की स्पष्ट भविष्यवाणी स्वयं करता है ,अगर किसी प्रकार अगले वर्ष सितम्बर तक तनाव को टाल सकें तो छोटी सी आस बंधती दिखती है ,किन्तु कुल मिलाकर कन्या का दाम्पत्य भाव बहुत उपायों की मांग कर रहा है।
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद पंडित जी
हटाएंगूरूजी मेरी समस्या का हल किजीए।
जवाब देंहटाएंमेरी जन्म तारीख 1/12/1994 हैं।
जन्म समय 5:15 मिनट शाम को हैं ।
जन्मस्थान आजमगढ U.P. हैं।
मैं यह जानना चाहता हूँ कि मैं किस क्षेत्र में नौकरी ढूँढने कि कोशिश करूँ ।
मैं संचार क्षेत्र में जाऊँ, कि कंम्पयूटर networking में कोशिश करूँ या ईलेक्ट्रीकल इलेक्ट्रॉनिक चीजो के निर्माण का क्षेत्र चुनू।मैंने ईलेक्ट्रोनिकस ईजीनियरिग की हैं ।
जन्म दिनांक 27.07.1986
जवाब देंहटाएंसमय 1:15PM
मेरे 8 घर में मंगल है अधिकांश पंडितो द्वारा दांपत्य जीवन ख़राब ही बताया है एकाध ने तो यहाँ तक कह दिया की तुम शादी मत करना अभी शादी नहीं हुई है । अब ये 8 भाव के मंगल किस प्रकार के परिणाम प्रदान करेंगे क्या दांपत्य जीवन में खुशहाली नहीं रहेगी जीवन अभी बहुत तनाव में चल रहा है कृपया मार्गदर्शन करें ।
स्थान - खरगोन है |
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपंडित जी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
आपके सारगर्भित लेखों को देख कर रुक नही पा रहा हूँ , इस जिज्ञासा का शमन कीजिये बड़ी कृपा होगी । एक जातक जिसका जन्म १९.०१.१९८५ को ललितपुर उ.प्र में दिन में ३ बजकर ५ मिनट पर हुआ है. लग्न कुंडली में राहु और सप्तम भाव में शनि व केतु विद्यमान हैं तथा चन्द्र बुध अष्टम भाव में है. यह जातक बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और पारिवारिक व्रत नियम देव आदि में आस्था रखने वाला है परन्तु विगत कुछ समय से विवाह और प्रेम के द्वंद में फंस गया है और माता के स्वास्थ्य की स्तिथि भी बिगड़ी हुई है. ऐसे में जातक को क्या कदम उठाना सही रहेगा ? मन की सुने या माता की? आपका क्या सलाह देंगे की स्तिथि और न बिगड़े और सब ठीक ही रहे।