मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

Rahu -ketu राहु और केतु

 राजनीति,नौकरी,व्यापार ,जीवन में सफलता चाहते हैं ....तो राहु को जानिये.......
                 आज की आपाधापी के पीछे अगर ज्योतिषीय कारण जानने की कोशिश करें तो सबसे पहले और मुख्य रूप से राहु का रूप सामने आता है..आप जीवन के किसी भी क्षेत्र की कल्पना राहु के बिना नहीं कर सकते...राहु आकाश है....विस्तार है ,सीमायें है..व मुख्य रूप से नशा है..जूनून है .....किसी भी वस्तु का किसी भी चीज का नशा..धन का,रूप का,ताकत का,राजनीति का,गुस्से का,हवस का,दिखावे का....नशा नियंत्रित न किया जा सके तो नाश का रूप ले लेता है ..कर्म की अपनी एक गति होती है या कहें एक एक्शन होता है...एक्शन होता है तो जाहिर रूप से उसका एक रिएक्शन होता है..रिएक्शन केतु को माना जा सकता है..अतः सामान्य रूप से कहें तो केतु राहु द्वारा किये कर्म का रिजल्ट है....
        मन को चंद्रमा माना गया है....अगर मन में विचार नहीं तो वो किसी काम का नहीं..विचार अगर हों भी और उन्हें
 एक सीमा विशेष में बाँध दिया जाय तब भी उस मन की कोई हैसियत नहीं..अब सीमा तो राहु है...आम गणना के अनुसार तो राहु चंद्र ग्रहण योग बना लेंगे,फिर मन अर्थात चंद्रमा को अपनी गति, अपना विस्तार बिना राहु के कैसे हासिल होगा??ऊपर आपको बताया कि राहु आकाश है...फिर भला बिना आकाश के चंद्रमा की क्या बिसात??बुध पैसा कहा गया है...अब अगर पैसे को विस्तार नहीं मिल पाये तो बरकत कैसे होगी..व्यापार अगर राहु का विस्तार हासिल नहीं करेगा तो पनपेगा कैसे??
              सूर्य नाम है,यश है,पद है,सम्मान है,....लेकिन चमकेगा तो आकाश में ही न...आकाश राहु की श्रेणी में आता है...राहु सूर्य तो आपस में सामान्य गणना के अनुसार सूर्य ग्रहण बना लेंगे...किन्तु बिना आकाश के सूर्य की क्या औकात भला??
                        पाठक जानते हैं कि राहु व केतु आपस में सदा 180 डिग्री का अंतर बना कर कार्य करते हैं..राहु सोच है तो केतु उस सोच को अमली जामा पहनाने वाला धड़.....इसी सम्बन्ध को कायम रख ये मनुष्य के कर्मो को गति प्रदान करते हैं..
सम का अर्थ है समान,व बंध का अर्थ होता है बंधन...अर्थात जिस डोर से एक बंधा है उसके दूसरे छोर पर दूसरा..जोर दोनों पर बराबर लगने वाला है...आप सामने वाले से जितना कटना चाहेंगे,वो भी उसी गति से आपसे दूर भागेगा...आप किसी के प्रति द्वेष की भावना रखेंगे,वो नकारात्मक ऊर्जा उतनी तेजी से आपका नाश करेगी..आप जितना सम्मान दूसरे को देंगे उतना वो आपके लिए समाज से और अर्जित करेगा...
        राहु को आप धनुष मानिए तो केतु उसमे लगा तीर है....जितना धनुष की कमान खिंचेगी उतना दूर तक तीर जाएगा...किन्तु ध्यान दीजिये कि कमान ने तीर को अपने से दूर फेंकने (असल में अपने स्वयं के कारक प्रभाव को बढ़ाने के लिए,अपनी शक्ति दिखाने के लिए इस्तेमाल किया ) के लिए तीर को अपनी तरफ अंदर खींचा था..अपना घनिष्ट ,अपना प्रेम का पात्र बनाने का प्रयास किया था (या कहें ऐसा आभास दिया था)..जितना अधिक से सम्बन्ध बना उतना दूर तक तीर गया...उतनी वाहवाही धनुष को मिली,उन्हें थामने वाले हाथों को मिली,किन्तु दूरी तो तीर ने तय करी थी बन्धु..उस तीर ने जिसका कोई नामलेवा भी नहीं होता..अपना सर्वस्व झोंक दिया तीर ने ,दूरी को अधिक से अधिक नापने के लिए अपनी अंतिम सांस तक समर्पित कर दी,ताकि उसे फेंकने वाले के समक्ष ब्रह्माण्ड शीश नवाये...उसके सामर्थ्य के गीत गाए...उसकी जयजयकार हो...इस प्रयत्न में तीर स्वयं के प्राणों का बलिदान कर देता है..क्यों कर देता है भला??ये प्रश्न आया होगा आपके दिमाग में???
   जवाब सीधा है मित्रो...उस खिंचाव के लिए जिसके द्वारा धनुष ने तीर को अपने निकट खींचा था..उस प्रेम के लिए जिससे डोर ने अंतिम चुम्बन तीर को किया था...हाँ प्रेम ही तो है सब त्याग का कारण...
        नशा करो मित्रो..सफलता का करो,किन्तु  इस सफलता के नशे में उन्हें मत भूलो जो आपके लिए समर्पित हो गए....  राजनीति का करो....किन्तु इस नशे में उन संबंधों का नाश मत करो जो आपके पीछे आपके नाम पर अपना वोट डाल आये थे.. ज्ञान का करो किन्तु अपने ज्ञान के नशे में उस गुरु का अपमान न करो जिसने तुम्हारे मासूम हाथों में कलम पकड़ना सिखाया है...हुनर का करो ..किन्तु इस  नशे में उस अनजान केतु का मत करो जो तुम्हारे एक एक करतब पर तालियां बजा बजा कर तुम्हारा उत्साह बढ़ा रहा था.. धन का नशा करो किन्तु  उन मजदूरों को मत बिसराओ जिन्होंने तुम्हारे लिए अपना खून पसीना एक किया है...रूप का करो किन्तु उन माँ पिता को न भूलो जिनके कारण तुम्हारा अस्तित्व है..नशे को खुमारी बने रहने दो नाश मत बनने दो..
           ग्रहों का अस्तित्व हमारे शरीर के भीतर ही है....अगर राहु को सही गति, सही दिशा मिलती है तो ये सब कुछ आपमें सामर्थ्य में करता है ,अन्यथा नाश करता है...बिना राहु के किसी ग्रह की कोई हैसियत नहीं, किन्तु बिना केतु राहु कुछ भी नहीं...
   होली आने को है...राहु इस समय काल में अपने पूर्ण रूप से अवतरित हो जाता है..चारों ओर नशा है..खेतों में पकने को तैयार फसल मदमस्त होकर झूम रही है... नए फूल नए पत्ते अपने आगमन से पेड़ों को नशे में डुबो रहे हैं...फाल्गुन का नशा सम्पूर्ण सृष्टि को मदहोश किये देता है..बिद्यार्थी नयी कक्षाओं के  नशे में हैं....व्यापारी साल के अंत (मार्च अंत को फाइनेंसियल इयर के रूप )में लाभ गिनने के नशे में हैं...आप भी मन का मैल त्यागकर उन्हें गले लगाइये जिनसे किसी कारण मनमुटाव चल रहा है....किसी कारण कोई द्वेष पल रहा है...सबसे अपने स्नेह का प्रमाण दीजिये..उन्हें अपनी ओर खींचिए...देखिये भविष्य में ये तीर आपके लिए कितनी दूर तक जाएगा ..आप स्वयं यकीन नहीं कर पाएंगे....लेख के प्रति आपकी बहुमूल्य राय अवश्य दें...मात्र लाइक कर देने से लगता है कि आप बिना पढ़े केवल संबंधों की खातिर फॉर्मेलिटी कर रहे हैं...खींचिए..शायद कभी मैं भी आपकी खातिर स्वयं को प्रस्तुत कर दूँ....स्नेह सहित... राजनीति,नौकरी,व्यापार ,जीवन में सफलता चाहते हैं ....तो राहु को जानिये.......
                 आज की आपाधापी के पीछे अगर ज्योतिषीय कारण जानने की कोशिश करें तो सबसे पहले और मुख्य रूप से राहु का रूप सामने आता है..आप जीवन के किसी भी क्षेत्र की कल्पना राहु के बिना नहीं कर सकते...राहु आकाश है....विस्तार है ,सीमायें है..व मुख्य रूप से नशा है..जूनून है .....किसी भी वस्तु का किसी भी चीज का नशा..धन का,रूप का,ताकत का,राजनीति का,गुस्से का,हवस का,दिखावे का....नशा नियंत्रित न किया जा सके तो नाश का रूप ले लेता है ..कर्म की अपनी एक गति होती है या कहें एक एक्शन होता है...एक्शन होता है तो जाहिर रूप से उसका एक रिएक्शन होता है..रिएक्शन केतु को माना जा सकता है..अतः सामान्य रूप से कहें तो केतु राहु द्वारा किये कर्म का रिजल्ट है....
        मन को चंद्रमा माना गया है....अगर मन में विचार नहीं तो वो किसी काम का नहीं..विचार अगर हों भी और उन्हें
 एक सीमा विशेष में बाँध दिया जाय तब भी उस मन की कोई हैसियत नहीं..अब सीमा तो राहु है...आम गणना के अनुसार तो राहु चंद्र ग्रहण योग बना लेंगे,फिर मन अर्थात चंद्रमा को अपनी गति, अपना विस्तार बिना राहु के कैसे हासिल होगा??ऊपर आपको बताया कि राहु आकाश है...फिर भला बिना आकाश के चंद्रमा की क्या बिसात??बुध पैसा कहा गया है...अब अगर पैसे को विस्तार नहीं मिल पाये तो बरकत कैसे होगी..व्यापार अगर राहु का विस्तार हासिल नहीं करेगा तो पनपेगा कैसे??
              सूर्य नाम है,यश है,पद है,सम्मान है,....लेकिन चमकेगा तो आकाश में ही न...आकाश राहु की श्रेणी में आता है...राहु सूर्य तो आपस में सामान्य गणना के अनुसार सूर्य ग्रहण बना लेंगे...किन्तु बिना आकाश के सूर्य की क्या औकात भला??
                        पाठक जानते हैं कि राहु व केतु आपस में सदा 180 डिग्री का अंतर बना कर कार्य करते हैं..राहु सोच है तो केतु उस सोच को अमली जामा पहनाने वाला धड़.....इसी सम्बन्ध को कायम रख ये मनुष्य के कर्मो को गति प्रदान करते हैं..
सम का अर्थ है समान,व बंध का अर्थ होता है बंधन...अर्थात जिस डोर से एक बंधा है उसके दूसरे छोर पर दूसरा..जोर दोनों पर बराबर लगने वाला है...आप सामने वाले से जितना कटना चाहेंगे,वो भी उसी गति से आपसे दूर भागेगा...आप किसी के प्रति द्वेष की भावना रखेंगे,वो नकारात्मक ऊर्जा उतनी तेजी से आपका नाश करेगी..आप जितना सम्मान दूसरे को देंगे उतना वो आपके लिए समाज से और अर्जित करेगा...
        राहु को आप धनुष मानिए तो केतु उसमे लगा तीर है....जितना धनुष की कमान खिंचेगी उतना दूर तक तीर जाएगा...किन्तु ध्यान दीजिये कि कमान ने तीर को अपने से दूर फेंकने (असल में अपने स्वयं के कारक प्रभाव को बढ़ाने के लिए,अपनी शक्ति दिखाने के लिए इस्तेमाल किया ) के लिए तीर को अपनी तरफ अंदर खींचा था..अपना घनिष्ट ,अपना प्रेम का पात्र बनाने का प्रयास किया था (या कहें ऐसा आभास दिया था)..जितना अधिक से सम्बन्ध बना उतना दूर तक तीर गया...उतनी वाहवाही धनुष को मिली,उन्हें थामने वाले हाथों को मिली,किन्तु दूरी तो तीर ने तय करी थी बन्धु..उस तीर ने जिसका कोई नामलेवा भी नहीं होता..अपना सर्वस्व झोंक दिया तीर ने ,दूरी को अधिक से अधिक नापने के लिए अपनी अंतिम सांस तक समर्पित कर दी,ताकि उसे फेंकने वाले के समक्ष ब्रह्माण्ड शीश नवाये...उसके सामर्थ्य के गीत गाए...उसकी जयजयकार हो...इस प्रयत्न में तीर स्वयं के प्राणों का बलिदान कर देता है..क्यों कर देता है भला??ये प्रश्न आया होगा आपके दिमाग में???
   जवाब सीधा है मित्रो...उस खिंचाव के लिए जिसके द्वारा धनुष ने तीर को अपने निकट खींचा था..उस प्रेम के लिए जिससे डोर ने अंतिम चुम्बन तीर को किया था...हाँ प्रेम ही तो है सब त्याग का कारण...
        नशा करो मित्रो..सफलता का करो,किन्तु  इस सफलता के नशे में उन्हें मत भूलो जो आपके लिए समर्पित हो गए....  राजनीति का करो....किन्तु इस नशे में उन संबंधों का नाश मत करो जो आपके पीछे आपके नाम पर अपना वोट डाल आये थे.. ज्ञान का करो किन्तु अपने ज्ञान के नशे में उस गुरु का अपमान न करो जिसने तुम्हारे मासूम हाथों में कलम पकड़ना सिखाया है...हुनर का करो ..किन्तु इस  नशे में उस अनजान केतु का मत करो जो तुम्हारे एक एक करतब पर तालियां बजा बजा कर तुम्हारा उत्साह बढ़ा रहा था.. धन का नशा करो किन्तु  उन मजदूरों को मत बिसराओ जिन्होंने तुम्हारे लिए अपना खून पसीना एक किया है...रूप का करो किन्तु उन माँ पिता को न भूलो जिनके कारण तुम्हारा अस्तित्व है..नशे को खुमारी बने रहने दो नाश मत बनने दो..
           ग्रहों का अस्तित्व हमारे शरीर के भीतर ही है....अगर राहु को सही गति, सही दिशा मिलती है तो ये सब कुछ आपमें सामर्थ्य में करता है ,अन्यथा नाश करता है...बिना राहु के किसी ग्रह की कोई हैसियत नहीं, किन्तु बिना केतु राहु कुछ भी नहीं...
   होली आने को है...राहु इस समय काल में अपने पूर्ण रूप से अवतरित हो जाता है..चारों ओर नशा है..खेतों में पकने को तैयार फसल मदमस्त होकर झूम रही है... नए फूल नए पत्ते अपने आगमन से पेड़ों को नशे में डुबो रहे हैं...फाल्गुन का नशा सम्पूर्ण सृष्टि को मदहोश किये देता है..बिद्यार्थी नयी कक्षाओं के  नशे में हैं....व्यापारी साल के अंत (मार्च अंत को फाइनेंसियल इयर के रूप )में लाभ गिनने के नशे में हैं...आप भी मन का मैल त्यागकर उन्हें गले लगाइये जिनसे किसी कारण मनमुटाव चल रहा है....किसी कारण कोई द्वेष पल रहा है...सबसे अपने स्नेह का प्रमाण दीजिये..उन्हें अपनी ओर खींचिए...देखिये भविष्य में ये तीर आपके लिए कितनी दूर तक जाएगा ..आप स्वयं यकीन नहीं कर पाएंगे....लेख के प्रति आपकी बहुमूल्य राय अवश्य दें...मात्र लाइक कर देने से लगता है कि आप बिना पढ़े केवल संबंधों की खातिर फॉर्मेलिटी कर रहे हैं...खींचिए..शायद कभी मैं भी आपकी खातिर स्वयं को प्रस्तुत कर दूँ....स्नेह सहित...

38 टिप्‍पणियां:

  1. pranam gurudev apke likhne ka trika bhut hi sarl rhata hai jiske karn apke lekh padne me annd ata hai aap ki khsiyat hai ki kisi bhi chij ke bare bhut sarl aur sundr trike se pesh karte hai thanks Gurudev ek prashn tha apke khe anusar maine Panna pahana hai kya Rahu Ratn Gomed bhi phan sakta hu kripya mardarshn kre dob 23 january 1971, Time : 11.00 PM, Birth place : Raipur (CG)

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    उत्तर
    1. आभार आपका ठाकुर जी .... गोमेद अभी रहने दें ,पन्ना अपने धारण करने के १८० दिन बाद पूरी तरह एक्टिवेट होता है। इसे समय दें। होली के आस पास ये अपने प्रभाव में शानदार तरीके से स्वयं नए आयाम जोड़ेगा।

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  2. नमस्ते गुरूजी आपका लेख पढ़ा बहुत अच्छा लगा
    गुरूजी मेरी एक समस्या का समाधान कीजिये ।
    नाम :अरविन्द यादव
    राशि का नाम:तुलसी
    जन्मतिथि :1/12/1994
    समय : 5 :15 pm(17 :15 pm )
    स्थान :आजमगढ़ जिला

    गुरूजी ,मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री ली है । लेकिन मेरे नंबर अच्छे नहीं है ।मेरे दसवी तक बहुत अच्छे नंबर आते थे ,लेकिन अब 7 साल हो गये ,जैसे लगता है मै बहुत अकेला पड़ गया हु । मेरे कोई दोस्त यार भी नहीं है ।मुझे कोई दोस्त नहीं पूछते ,किसी लड़की से बात करने में डर लगता है ।
    खैर मुझे ये आप बताइये की मेरी सरकारी नौकरी लगेगी की नहीं और मुझे किस क्षेत्र में कोशिश करनी चाहिए । फ़िलहाल मै computer programming की क्लास कर रहा हु ,क्या उस क्षेत्र में कुछ हो पायेगा ,और मेरा पढ़ने का मन नहीं करता । बस इंटरनेट पे टाइम पास करने का मन करता है ,सोचता हु कल से पढ़ूगा ,लेकिन वो कल कभी नहीं आता । कृप्या मुझे मेरे भविष्य के बारे में जानकारी दे आपका मै जीवनभर आभारी रहुगा । आशा करता हु आप मेरे सवाल का जवाब जल्द देंगे।
    धन्यवाद ।

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    1. अरविन्द बाबू भाग्य का इससे शानदार उदाहरण और क्या पाइएगा कि अभी प्रश्न किये आपको 15 मिनट भी नहीं गुजरे व सिस्टम ने आपके प्रश्न का चयन कर दिया। ऊपर ठाकुर जी को दिया गया जवाब इस श्रेणी में नहीं आता क्योंकि वो नियमित पाठक हैं व नियमित पाठक का प्रश्न तुरंत लिया जाता है। खैर ..........
      आप अपने जीवन की सर्वोत्तम दशा का भोग कर रहे हैं। साढ़े साती का ये अंतिम चरण अपने आगोश में आपके लिए बहुत कुछ समेटे है। किन्तु समस्या ये आ रही है कि आप अपने क्रियाकलापों द्वारा इस समय लग्नेश को प्रबल कर रहे हैं,जबकि आवश्यकता इस समय शनि के प्रभाव को बढ़ाने की है। शनि बढ़ेगा तो शुक्र दूर करना होगा। शुक्र का अर्थ है ,कोई भी खुशबूदार पदार्थ ,शराब ,कन्या ,कंप्यूटर ,घूमना फिरना अथवा ऐसी कोई भी क्रिया जिसे आप अययाशी की श्रेणी में रखते हैं। मित्र तुम्हारा सरकारी नौकरी करना उतना ही तय है जितना सूर्य का पूरब से निकलना। किन्तु यहाँ आपको शनि को कम से कम १८० से २७० दिनों का समय देना होगा। अर्थात इतने दिनों तक शुक्र से दूरी बनानी होगी। हर सुबह अँधेरे में ही जागना होगा व रात सूर्य अस्त होने के समय घर में वापस होना होगा। ये शनि का व्रत करना है। अगर ये व्रत कर सके तो २७० दिनों के बाद खुशखबरी से मुझे सूचित करना।

      हटाएं

    2. गुरूजी धन्यवाद आपने मेरे लिए समय दिया । लेकिन आप ने जो कहा की सूर्य अस्त होने से पहले मुझे घर आना होगा । लेकिन गुरूजी मुझे तो सूर्यास्त के पश्चात क्लास के लिए जाना ही होता'है । क्या शनि को मजबूत करने के लिए कोई और आसान उपाय कर सकता हु ।


      मुझे किसी ने बताया है की मेरी कुंडली में चन्द्र शुक्र और राहु साथ में बैठे है जिससे मुझे कभी स्त्री सुख नहीं प्राप्त होगा और मेरी दो शादिया होंगी । और मेरा शुक्र कमजोर है की मजबूत है ।

      मेरे लिए किस धातु का छल्ला पहनना लाभदायक होगा ।
      धन्यवाद|

      हटाएं
  3. प्रणाम पंडित जी !बहुत दिन बाद आप का लेख लेख पढ्ने का सौभाग्य मिला।आप का हर लेख मेरे लिए बहुमूल्य है।आज राहु को जिस प्रकार आप ने प्रस्तुत किया सो बहुत ही बढिया लगा।लेख के साथ साथ आप के लेखन शैली जो है बहुत ही खूबसूरत है।ऐसा लग रहा था कि कोई साहित्यिक रचना पढ रही हुँ।आभार पंडित जी !अभी गोचर में जो राहु गुरु के साथ है उस के बारे मे भी कुछ सुझाव मिलता तो और भी अच्छा होता !👍👌

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    1. सुनीता जी प्रणाम...राहु सदा से अपना सर्वोत्तम रूप तभी दिखाता है जब गुरु का सानिध्य पाता है..कई लोगों की पोल खुलती है..किन्तु गुरु सम्बंधित क्षेत्रों में तनाव होता है...JNU का ताजा मामला इसका उदाहरण है...साथ ही सिंह का गोचर करेगा तो समय समय् पर सरकार के लिए दुविधाएं उत्पन्न करेगा..किन्तु जैसा ऊपर लेख में बताया कि सूर्य को नए आयाम भी देगा,..नई नई उपलब्धियां सरकार की देखियेगा और अप्रैल के बाद ये सारे हालात सरकार के पक्ष में होंगे जो अभी फजीहत करवा रहे हैं..

      हटाएं
    2. जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद पंडित जी !मेरा तो गुरु/राहु अभी अष्टम में है।इसी का कारण होगा स्वास्थ्यसम्बन्धी कुछ परेशानी हो रही है।गुरु का दान last week ही किया है।जपं भी कर रही हुँ।कुछ गम्भीर रोग का डर तो नहीं होगी ना पंडित जी! अगस्त का इन्तजार में हुँ। आप के लेख पढकर बहुत खुशी मिलती है।आभार पंडित जी !

      हटाएं
    3. लिवर अथवा पैन्क्रियाज सम्बंधित रोगों से सचेत रहें

      हटाएं
    4. प्रणाम पंडित जी!बहुत बहुत धन्यवाद!इस का ध्यान रखुँगी।

      हटाएं
  4. गुरूजी धन्यवाद आपने मेरे लिए समय दिया । लेकिन आप ने जो कहा की सूर्य अस्त होने से पहले मुझे घर आना होगा । लेकिन गुरूजी मुझे तो सूर्यास्त के पश्चात क्लास के लिए जाना ही होता'है । क्या शनि को मजबूत करने के लिए कोई और आसान उपाय कर सकता हु ।


    मुझे किसी ने बताया है की मेरी कुंडली में चन्द्र शुक्र और राहु साथ में बैठे है जिससे मुझे कभी स्त्री सुख नहीं प्राप्त होगा और मेरी दो शादिया होंगी । और मेरा शुक्र कमजोर है की मजबूत है ।

    मेरे लिए किस धातु का छल्ला पहनना लाभदायक होगा ।
    धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
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    1. क्लास के तुरंत बाद घर पहुंचे..बेकार बाहर समय न लगाएं..लोहे वाला शनि का छल्ला पहने....अब आपके प्रश्न को सिस्टम के द्वारा चयनित नहीं किया जाएगा..अतः उपायों को गौर से समझकर अमल शुरू कर दें..

      हटाएं
  5. आपका बहुत बहुत धन्यवाद गुरूजी आपने मेरे प्रशनो का
    अपना बहुकिमती समय निकालकर जवाब दिया।
    लेकिन कृपया करके सिस्टम को मेरे लिए बंद ना करे
    ताकि जरूरत पडने पर मैं आपसे सलाह ले सकु।
    एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. गुरु जी किर्पया करके मेरे प्रश्नो का हल बताएँ मुझे सरकारी नोकरी कब मिलेगी और कोई विगन है तो क्या किया जाये Ashok kumar dob.24 march1983 6:40 pm nurpur himachal pradesh

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  8. आपको और आपकी विद्या को दंडवत प्रणाम
    आपने 8-10 महिने पहले मेरे बारे में कुछ भविष्यवाणी की थी जो अक्षरशः सत्य सिद्ध हुई आपको यदि स्मरण न हो तो आप मेरी मेल sonisudhakar@gmail. com अपने मेल बॉक्स में सर्च कीजिये आपको खुद आश्चर्य होगा खास तौर से नौकरी वाली भविष्यवाणी तो वर्ड बाई वर्ड सही साबित हुई..अब मैं सड़क पर ही आ गया हूँ आजीविका के लिए मैं कौनसा क्षेत्र चुनुं ..आपकी बड़ी कृपा होगी अगर राह बता दें तो ..जन्म तारीख -06-03-1981 समय -1:50 pm , जन्म स्थान- सीकर (राजस्थान )

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  9. नमस्कार पंडित जी, मेरा नाम दुश्यंत है, और पैशे से इंजिनियर हूँ, लगभग 6 सालो से इस विधा मे कार्य कर रहा हूँ , लेकिन इस कार्यक्षेत्र मे अब तक कोई उल्लेखनिय सफलता नहीं मिली। लगातार भागदौड़ से शरीर थकने लगता है। बिल्कुल खानाबदोश जीवन हो गया है। मुझे संगीत और थियेटर अभिनय करने का जबर्जस्त शौक है, लेकिन इंजिनियरिंग के कामों से फुर्सत नहीं क्योंकि यही मेरी आजिविका है। इसके अलावा कोई दुसरी सौर्स भी नही. लेकिन इस समय अपने जीवन के सबसे खराब समय से गुजर रहा हूँ, कामकाज एक दम ठप्प है, आजिविका कमजोर हो चुकी है, ऐसा लगता है कि कंही भाग जाऊँ। ज्योतिष मे रुची जागने के कारण और अपनी समस्या को ढुंढ्ते आपके ब्लॉग पर आना हुआ। आपने कितने सामान्य शब्दो में ज्योतिष कि जटिलतायें स्पष्ट कर दी, सोचा की आपसे अपनी समस्याओं के लिये उत्तर मिल सकता है। कृपया मुझे मार्गदर्शन किजिये कि मुझे मेरी आजिविका के लिये कुछ और विचार करना चाहिये या कार्य्क्षेत्र बदलना चाहिये। अभी अविवाहित हूँ । जन्म तारिख 19-09-1986, जन्म समय 03:15 रात्रि, स्थान इन्दौर्

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  10. guru ji prnam charan sparsh mera samay bahot hi kharab chal raha hai life abhi tak set nahi ho pai hai na apna makan hai na shop or na hi koi job or karza humesha rhta hai mujhpar shear market mai bahot loss bhi hua jiski wajha se ye haalat hue or na abhi tak shadi ho pai hai kya mera jivan aise he rhny wala hai ya kabhi koi khushi aayegi mere jiwan mai koi upaye ho to jaruur bataiyega please 21.10.1980, 18:39 pm, sambhal(u.p.)

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  11. Guruji Pranam
    Mera Naam Sanjay Hai , kisi kaam me safalta nahi mil rahi, jo kaam karo nuksaan ho raha hai, kaam band sa pada hai lohe ka aur dhatu ka vyapaar hai.

    Name ;Sanjay
    time :23:57
    Date :19/03/1977
    Place: Manendrgarh (M.P)

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    1. भाग्येश का अस्त हो जाना व तरंगी योग का निर्माण करना ही समस्या का कारक है ,वास्तव में आप एक साथ कई चीजों में हाथ आजमा लेते हैं व फिर किसी भी कार्य को पूर्णतः समर्पित नहीं होते। सप्तमेश का वक्री होना भविष्य में जीवन साथी व पार्टनर्स की तरफ से चिंतित करने का सामर्थ्य रखता है। काम चाहें तो प्रॉपर्टी आदि का कार्य भी करें। धातु आपके लिए शुभ है ,लोहे से लाभ काम ही दिख रहा है। एक पाखी पुखराज पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा के साथ धारण करें व सोमवार के व्रत रखें व सोमवार मंगलवार तथा गुरुवार को किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न लें।

      हटाएं
  12. Pranam
    Mai Sanjay, aapko Dhanyawaad deta hu ,sirf is post ke liye nahi balki puri site ke liye, aapka prem se itna aasaan shabdo me samjhana wakai dusro ki bhalai ke liye hai....Iske liye aapka dhanyawad evan pranam

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  13. namaskar pt ji. Mera nam Shashank hai. mere janm ki tarikh 9-06-1987, Time 7:15 pm, place Pauri Uttatakhand hai. Mere Rojgar ke sambandh mein koi jankari de sakte hai to kripa kar ke bataiye.

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    उत्तर
    1. प्रश्न स्पष्ट नहीं है आपका। ... फिर भी वृश्चिक लग्न में तुला राशि व विशाखा का प्रमाण मिलता है। लग्न का शनि सरकारी विभागों में समस्या देता है,पहले तो लगती नहीं है व लगती है तो जातक उसे लम्बे समय तक चला नहीं पाता। पंचम में गुरु राहु की युति मांग करती है कि इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल क्षेत्रों में MBA आदि कर आगे निकला जा सकता है अन्यथा चांडाल योग के परिणामस्वरूप आपकी क्षमताओं का उचित मूल्याङ्कन नहीं हो पायेगा। देखिये कि प्रश्न करते समय काले लाल गुलाबी रंगों के मिश्रित कपडे धारण करके आप दक्षिण पश्चिम की और मुंह करके खड़े हैं जहाँ आपने एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर रखा हुआ है। .... अब यहाँ से मेरी बात प्रमाणित माने ... हासिल शिक्षा आपके लिए बहुत सहायक होगी इसमें संशय है। अपने ज्ञान पर आवश्यकता से अधिक घमंड आपको आगे आने व नए विचार प्राप्त करने में बाधा बनेगा। मूत्र सम्बन्धी रोगों से बचें। योग्य ब्राह्मणो द्वारा केरलीय विधि से चांडाल दोष की शांति करवाएं। बाहरी यात्राओं के योग सदा प्राप्त होंगे

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  14. Guru ji Prnam,
    mear naam ashish ha mera janam 21.10.1980 , time 7:05 pm , place sambhal (u.p.) mai hua hai arthik esthite thik nahi rhyti or karj rhta hai koi kaam bhi nahi chal raha hai guru ji koi rasta dikhaye

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    1. अगस्त से हालात नियंत्रण में आ जाएंगे..फ़िक्र न करें..आक के पेड़ पर जल दें व ताम्बे का कड़ा धारण करें..सौ ग्राम गेहूं व सौ ग्राम गुड़ प्रत्येक रविवार मंदिर में दें..ये उपाय 21रविवार लगातार करें..

      हटाएं
  15. Guruji kripya bataye meri rahu me surya ki dasha kaisi rahegi.

    name Bhupender singh, DOb 03.12.1978 time: 12.00 pm Place Delhi

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    1. दाम्पत्य भाव संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है

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  16. adbhut lekh...arishnatshak rahu emam 11we bhav mein chandr par uski drishti ke kya mayne ho sakte hain

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    1. ये लग्न पर निर्भर करेगा मित्र..वैसे सामान्य अवस्था में इसे आय में अवरोध के रूप में देखा जा सकता है..

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  17. prnam pandiji.
    name vishnu dob 11 /01/1991 birth time 22:47 birth place :ladnun (rajasthan).
    pandiji kooi bhi kam dhang sey nahi ho raha h. na education main mann nahi lag raha h.mann vichleet rahta h.na kuch business set ho raha h. future ko lakey kafi tensn main hu. marriage kab hogi..ristey aa rahey h par set nahi ho rahey h...
    hope aap meri paresani samjh gaye hongey .
    aap ka margdarshan jaruri h.. kafi logo ka aapney problem ka solution diya h.
    thank you

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  18. प्रणाम पंडितजी,
    मेरा नाम अमित है।
    DOB- 1/12/1992
    TOB- 14:30
    BIRTH PLACE- SATARA , MAHARASHTRA

    मेरी शादी कब होगी। भाग्य कैसा है। कृपया बताएगा।

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    1. बहुत देर से कंप्यूटर ने आपके प्रश्न को चयनित किया उसके लिए खेद है.... कहते हैं समय निकल जाने मिलना निरर्थक है ,,,किन्तु चयन हुआ है तो उत्तर देना मेरी जिम्मेदारी है। विवाह अभी तक तो तय हो ही चुका होगा। अगस्त २०१६ से योग आरम्भ हैं। नहीं हुआ है तो आप इस वर्ष के अंत से पहले दूल्हा बन रहे हैं.

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  20. Namaste Pandit ji

    Mera Naam Ajay Chaudhary hai
    DOB- 18/10/1983
    TOB- 02:00 AM
    BIRTH PLACE- DHRAMSHALA , HIMACHAL PRADESH

    Meri job main stability kab aayegi , aati hai chali jatti hai aur naukri kab milegi
    aur meri Shaadi kab tak ho jayegi

    Dhanyabad
    Ajay

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