वास्तव में हम एकादश व चतुर्थ भाव के ऑपरेटिंग फंक्शन में कंफ्यूज हो जाते हैं। ... जिस मकान वाहन आदि की बात आप कर रहे हैं ये मानसिक सुख का कारक हैं। .. भौतिकता भी तभी सुख देगी जब मन शांत होगा। .. लाल किताब या लाकपुरुष की बात करें तो चतुर्थ भाव सुख का भाव है। ये चन्द्रमा के आधीन विषय है ,,,एक झोपडी में भी भी आप वही भौतिक सुख का एहसास कर सकते हैं जो आपको लाखों खर्च किए हुए बंगले में भी नहीं आये। .. २८ बंगले होकर भी विजय माल्या आज भगोड़ा घोषित है। क्योंकि उसने सुख को एकादश से पाने का प्रयास किया ,,,एकादश भाव चतुर्थ सुख के लिए मारक आठवां भाव होता है ....जैसे ही आपने अपने सुख को भौतिकता में खोजा आपने अपने सुख को ही समझ लीजिए आग लगा दी। एकादश भाव काल पुरुष में शनि का स्थान है व वायुकारक प्रभाव लिए होता है। ... शनि त्याग ,विछोह का कारक है व वायु का कोई आकार नहीं .. वायु में कोई स्थिरता नहीं ,,,, फिर भला यहाँ से प्राप्त आधार स्थाई सुख का कारक कैसे होगा ??फिर ये तो अंत से एक कदम पहले का भाव है .... यहाँ से प्राप्त आधार द्वादश मोक्ष को प्राप्त करने की सीढ़ी के रूप में देखा जाता है ,और जाहिर रूप से मोक्ष प्राप्ति के लिए चतुर्थ ,भौतिक सुख (एकादश से छठा ) शत्रु है ..... पैसे से प्राप्त बड़े बड़े भौतिक सुखों को त्यागकर हमने कई लोग अंत में अध्यात्म की तलाश में भटकते देखे ... बड़े बड़े लोगों को वृद्धाश्रम में पाया ....बड़ी बड़ी अभिनेत्रियों को फांसी खाते देखा .... कारण वही एकादश के पीछे की अंधी दौड़ ,,,, और इस दौड़ में वो नहीं दिखा जो सहज रूप से चतुर्थ में हासिल था ,,,चन्द्रमा का ठिकाना ,,मानसिक सुख का आधार,,,, ज्योतिष में हर ग्रह की १०८ गतियां हैं व हर भाव १०८ तरीके से प्रभाव देने के लिए माना जाता है ,,,,,, हाँ अगर कई पाठक पैसे को ही आधार मान कर प्रश्न कर रहे हैं तो सामूहिक रूप से जवाब देकर बताने का प्रयास करता हूँ। .... धन (पैसा )कमाने के आधार प्रत्येक कुंडली में अलग अलग होते हैं ... साधन अलग अलग होते हैं ,,,,, भाव भी अलग अलग होते हैं...,,, मात्र एक भाव को ही प्राप्ति के लिए देखा जाना सही निर्णय का आधार किसी भी गणक के लिए नहीं बन सकता ,,,धन यानि ध +न ,,,,, कुंडलियों में सामान्यतः धन का आगमन वहीँ से होता है जहाँ वृश्चिक व धनु राशि होती है ....आठवें के रूप में वृश्चिक राशि से पैसा कमाने के साधनों पर रिस्क लिया जाता है ,,वो रिस्क शरीर का हो ,धन का हो ,ज्ञान का हो किसी भी चीज का हो सकता है ,,,रिस्क आयेगा तो स्वयं को साबित करने के लिए नवम भाग्य के रूप में धनु राशि को आपरेट करना ही होगा ,,,... जब रिस्क लिया जाएगा तभी भाग्य को अपनी हैसियत दिखाने का मौका मिलेगा ,,,,,,अब अगर हम आय (पैसा ) एकादश में ही सुख तलाश कर रहे हैं तो देखिये कि ये एकादश आठवें भाव का सुख (चतुर्थ ) भाव है। ..काल पुरुष के अनुसार आठवां यानि रिस्क का भाव ,,,,आठवां यानि वृश्चिक राशि ,,,, कर्म अर्थात दशम इस रिस्क का पराक्रम (तीसरा)तथा एकादश अर्थात इस आठवें का सुख (चतुर्थ),,,,, अतः ज्योतिषी व जातक दोनों को चाहिए कि पैसा खोज रहे हैं तो भाव से भ्रमित न होकर एकादश के त्रिकोण को खंगालें ,,,एकादश का त्रिकोण जाहिर रूप से इसे उत्पादन का सहयोग (पंचम का प्रभाव )देने के लिए तृतीय तथा इस तृतीय (पराक्रम )को उत्पादन (पंचम का प्रभाव) देने के लिए सप्तम को पकड़ें (सम्भवतः अब पाठक समझें कि सातवें दाम्पत्य भाव के लिए क्यों कहा जाता है कि जातक अपनी लक्ष्मी घर लाया है ) सीधी सी बात है कि सप्तम भाव एकादश का भाग्य भाव है। इस त्रिकोण की तलाश के बाद कालपुरुष का प्रभाव लिए वृश्चिक व धनु को खंगालने हेतु जो जातक व गणक ज्योतिष के महासागर में गोता लगाएगा ,वो शर्तिया खाली हाथ नहीं लौटेगा .......प्रणाम