रविवार, 24 अगस्त 2014

चमत्कारी ,योगों से परिपूर्ण दिन

सृष्टि अपने लिए योगों की रचना स्वयं करती है ,व एक जागरूक ज्योतिषी होने के नाते मेरा धर्म है कि इन योगों पर दृष्टि रहूँ व समाज को इनसे लाभान्वित होने हेतु प्रेरित करूँ। युगों युगों से हमारे समाज में शुभ मुहूर्त ,शुभ दिन ,शुभ योगों हेतु बड़े धैर्य से इन्तजार किया जाता है। युगों के बाद प्रकृति एक महा योग या कहें प्रचंड राजयोग की साक्षी बनने को आतुर है व आतुर है उस महान जीवात्मा का अंश पृथ्वी को सौपने के लिए। सितम्बर 2014 माह में एक तिथि ऐसी आ रही है जिसका इन्तजार सदियों से प्रकृति कर रही है ,जिसकी बाट देवता भी जोह रहे हैं।  सर्वाथ अमृत सिद्धि योग की रचना  हो रही है। ग्रहों व चराचर  जगत के स्वामी सूर्य देव अपनी स्वयं की राशि में विराजमान हैं ,चन्द्रमा अपनी उच्च राशि में ,भूमि पुत्र  शक्ति के परिचायक मंगल स्वयं की राशि में ,भाषा बोली धन के देवता बुध महाराज अपनी उच्च राशि में ,देवता भी जिनके चरण वंदन करें वो देव गुरु बृहस्पत्ति अपनी उच्च राशि में ,न्याय के ग्रह  ,जीवन में जूझने का बल प्रदान करने वाले शनि अपनी उच्च राशि में ,विस्तार देने वाले सर्वव्यापी राहु देव अपनी मूल त्रिकोण राशि में (मतान्तर से इसे राहु की उच्च राशि भी कहा गया है ) व अध्यात्म के ग्रह  केतु अपनी मूल त्रिकोण राशि में (इन्हे भी मतान्तर से मीन में उच्च माना )  विराजमान होंगे। सोलह कलाओं के अधिकारी चन्द्र का नक्षत्र रोहिणी जिसे स्वयं योगेश्वर कृष्ण ने अपने जन्म हेतु चयनित किया , उन्ही के आधिपत्य की तिथि अष्ठमी व महामृत्युंजय शिव का साक्षात रक्षण प्राप्त करता दिन सोमवार।                     
                                                     आत्मा आनंद से भर उठती है ये सोचकर कि इस दिन जन्म लेने वाला जातक अपने पूर्व जन्म के किस पुण्य का फल प्राप्त करने हेतु जन्मेगा। युगों तक उसके प्राणो ने नया शरीर पाने हेतु प्रतीक्षा की होगी ,युगों तक ब्रह्मा ने उसे अपने निकट रखा होगा ,व देवताओं के वंश का प्राण होगा ,वह चक्रवर्तियों का सम्राट रहा होगा। इस दिन जन्म लेने वाला जातक अपने समय काल का सर्वश्रेष्ठ जातक होगा।  उसका जलवा देखने हेतु ये आँखे मेरी खुली रहें न रहें ,किन्तु मेरे शब्द मेरी भविष्यवाणी की पुष्टि करेंगे। कालान्तर में मेरी कलम से निकला एक एक वाक्य अपनी सत्यता को स्वयं परिभाषित करेगा ,स्वयं परिमाणित करेगा।
                                 
                                            प्रबुद्ध पाठक हो सकता है कि मेरे ऊपर खीझ रहे हों कि ये बेकार की उत्तेजना क्यों पैदा कर रहे हैं पंडित जी। इतना भाव क्यों खा रहे हैं ?सीधा सीधा तिथि बताते क्यों नहीं। तो पाठक वृन्द ,यकीन मानिए ये फुटेज मैं नहीं खा रहा हूँ ,ये वाकई  इस तिथि की डिमांड है।
                     सब्र नहीं हो रहा तो लीजिये सीधे ही जानिये कि इस वर्ष 15 सितम्बर को वह महा पर्व है ,हाँ पर्व ही कहूँगा इसे। अवश्य देवलोक में कोई पर्व होगा इस दिन ,कोई त्यौहार ,कोई मेला जिसकी राह में  ,जिसके आगमन की बेला में स्वयं समस्त ब्रह्माण्ड पलकें बिछाये बैठा होगा।
                                    ज्योतिष बंधुओं को इस दिन के समय काल को लेकर मतभेद हो सकता है ,किन्तु दिन को लेकर कदापि नहीं। अपने अपने तजुर्बे व अपनी अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर हर ज्योतिषी का अपना एक अलग नजरिया हो जाता है जिसे चैलेंज नहीं किया जा सकता। जिस पर बहस गैरजरूरी व बेमतलबी है क्योंकि ज्योतिष आस्था का क्षेत्र है। मेरी व्यक्तिगत राय में कुम्भ लग्न (स्पष्ट कर दूँ कि ये मेरी व्यक्तिगत राय है ,व आपका इससे असहमत होना आपका अधिकार है ) को इस दिन मैं सर्वाधिक अंक  देता दूँ। समस्त पहलुओं पर गौर करने के बाद (अब निर्भर करता है कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है )मुझे यही समय काल सर्वाधिक महत्वपूर्ण लगता है। इसमें भी हालांकि 06: 47 (सांय )तक भद्रा है किन्तु फिर भी जन्म लेने के लिए सप्तमी तिथि में ही कुम्भ लग्न मुझे उचित लग रहा है।
                                                 लग्नेश शनि भाग्य भाव में अपनी उच्च राशि  विराजमान होंगे ,भाग्य का इससे प्रचंड ,इससे प्रबल योग  भला क्या होगा ?भाग्य के स्वामी  कुम्भ लग्न में राजयोग उत्पन्न करने वाले दैत्याचार्य शुक्र लग्न पर पूर्ण दृष्टि रख  राशि को बल देंगे।  देवगुरु बृहस्पत्ति इस लग्न में धन की खान कहलाते हैं ,षष्टम भाव में अपनी उच्च राशि से मित्र तो मित्र जातक के शत्रु भी उससे प्राप्त करेंगे  उसके आभारी होंगे. दशम भाव में दिग्बली होकर रूचक योग बना रहे पराक्रमेश को इन गुरु की दृष्टि प्राप्त होगी व धन भाव में स्वराशि पर दृष्टि डाल कर गुरु ऐसे जातक की पैतृक धन सम्पदा में कितना इजाफा करेंगे ,ये सोच कर ही रोमांच हो उठता है। स्वराशि सूर्यदेव सप्तम भाव में भाग्येश से युति करेंगे ,अर्थात जीवनसाथी का प्रवेश ऐसे जातक के जीवन में योगों को द्विगुणित कर देगा ,व सदा सम्बल अपने  ऐसा जातक प्राप्त करेगा। पंचमेश बुध अष्ठम भाव में अपनी मूलत्रिकोण व उच्च राशि में विराजमान होकर गुप्त ज्ञान पर जातक की पकड़ को प्रबल करेंगे। बड़े बड़े गूढ़ विषयों पर जातक के विचार ,उसकी घिसी पिटी लकीरों का त्याग कर नए क्रांतिकारी विचारों की जनक बनेगी जो उसके अपने पंथ का निर्माण करने में सहाय होगी। चतुर्थ भाव में उच्च  चन्द्रमा अपने नैसर्गिक भाव में होंगे ,तथा चतुर्थ  होकर शुक्र  भाव में केंद्र-त्रिकोण योग का सृजन कर रहे होंगे ,समस्त सहायकों  सहयोगियों का समर्थन जातक को प्राप्त होगा। शत्रु के शत्रु होकर उच्च के गुरु जीवन में शत्रुओं से उसकी राह निष्कंठक करेंगे।
                                         सप्तमी व अष्ठमी का प्रभाव लिए  आज का दिन सब कार्यों हेतु शुभ होगा ,बस नए निर्माण ,आयोजन ,मुहूर्तः आदि  कार्यों हेतु भद्रा तक का त्याग करें ,यहाँ वृष लग्न को उपयोग में लाया जा सकता है। किन्तु जिस जातक की कुंडली में किसी भी  प्रकार का पितृ दोष है वह निस्संकोच आज इसके उपाय योग्य ब्राह्मणो द्वारा कराये ,काल रात्रि का पाठ कराएं ,नव ग्रह की उपासना कराएं ,.हम भाग्य शाली हैं की ये दिन हमारे जीवन में आया। समझ लीजिये कि जिस भी विभाग का कार्य आपने , आज कैंप लगाकर  अधिकारी बैठे हैं ,तुरंत अपनी फाइल क्लियर कराएं।                                                              

3 टिप्‍पणियां:

  1. गुरूजी सादर प्रणाम,
    गुरूजी वर्तमान में, मै इंडसइंड बैंक (फाइनेंस डिवीज़न) में केशियर हूँ(जिसमे निरंतर परेशानियाँ आती रहती है) और साथ में LLB की पढाई भी कर रहा हूँ, किन्तु यहाँ समस्या ये है की पड़ाई बराबर हो नहीं पाती है, शादी हुई नहीं है और अभी तक कोई विशेष उपलब्धि भी प्राप्त नहीं हुई है | प्रश्न ये है की मैं हमेशा संकोच में रहता हु कि मै नौकरी करू या व्यापार और यदि व्यापार करू तो कैसे(कैसे से मेरा तात्पर्य आप समझ सकते है) और कौन सा | और जीवन जैसा चल रहा है वैसा ही चलेगा या कुछ सुधार भी होगा | न घर है, न खेत, और न ही कोई अन्य विरासत | आगे बदने का कोई मार्ग सूझ नहीं रहा है कृपा करके मार्गदर्शन करें |
    नाम : सतीश रघुवंशी
    जन्म दिनांक : 27/07/1986
    जन्म समय : 01:15 AM
    स्थान : खरगोन (मध्य प्रदेश)

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    1. गुरु जी प्रणाम !
      कृपया एक बार मेरी और भी ध्यान दीजिये

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  2. pandit ji
    mera beta DOB- 19 MAY 2012 TIME- 1:10 PM
    VARANASI mai kya iskai kundali mai pagalpan ka
    yog hai

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