बुधवार, 21 मई 2014


  1. `हमारे एक पाठक के एक प्रश्न का जवाब इतना बड़ा हो गया कि तकनीकी कारणों से टिप्पणी में नहीं आ पा रहा ,अतः इसे नए लेख की जगह शामिल करना पड़ रहा है.आशा है आपको रोचक लगेगा।   
    Panditji,
    Thanks for your in-depth analysis of guru's impact being 8th lord. The point that you have made regarding retrograde + debilitation resulting in exaltation, what puzzles me or confuses me is that since guru is 8th lord sitting in 6th house and "supposedly" exalted then shouldnt it result in a strong vipreet raj yoga? ..As in should not it help in conquering enemies in any form ie people, disease or situation??

    Secondly, you mentioned mercury being in 12th house will create challenges in business, my query here is Steve Jobs had mercury (retrograde) in 6th house (he was simha lagna as well) so I am guessing that the lord of 2nd and 11th house sitting in dusthanas like 6/8 or 12 may not be that bad...also given the fact that mercury is getting drishti from guru and isnt it a "uccha ki drsihti" since it is in cancer

    Pardon me for asking this follow up questions, I am asking them to understand the nuances of horoscope analysis and I am in no way trying to debate with you

    I hope you will help me as a "student" to correct my possible misconceptions in this field

    regards
    Amit Jain
अमित जी ,हर ग्रह की एक सौ आठ गतियां हैं अर्थात हर ग्रह काम करने ,प्रभाव देने के १०८ तरीके उपयोग में लाता है। कुंडली में मौजूद योग को ही ध्यान में रखते हुए भविष्यवाणी करने से कई बार इसी कारण अच्छे ज्योतिषी को भी दोखा खाना पड़ता है। ग्रह कभी आसमान से नीचे नहीं आते ,जाहिर रूप से ये मनुष्य के लिए धरती व वायुमंडल में अपने ग्रुप या कहें प्रतिनिधित्व करने वाले साधनो ,धातुओं ,रिश्तों ,रंगों ,वनस्पतियों ,आचार -व्यवहार आदि के द्वारा ऑपरेट करते हैं।अपने जीवन में हर मनुष्य उपरोक्त सभी साधनो  व दिशा -देश काल -स्थिति से ग्रहों का अलग अलग रूप व प्रभाव देखता है। ये विश्लेषण की सघनता पर निर्भर रहकर ही जाना जा सकता है। स्टीव जॉब नामक जिन सज्जन का जिक्र आप करे रहे हैं ,उन से परिचित मैं नहीं हूँ.किन्तु अगर आयेश धनेश छठे भाव में वक्री हो रहे थे तो आयेश मित्र राशि में मौजूद होकर आय भाव को मृत्यु देने के स्थान पर नया जीवन दे रहे थे। क्योंकि वक्री थे। ऐसे में बुध जनित क्षेत्रों (संचार -टेली कम्युनिकेशंस आदि )में पुरानी नौकरी कार्य व्यवसाय त्याग कर ,नए कार्य को जन्म दिया होगा। एवं द्वितीय भाव से पंचम भाव(जो की संतान भाव होता है ) होने के कारण अपनी संतान के अलावा इन्होने कई लोगों को संतान के रूप में पाला होगा (ये संभवतः किसी प्रकार का रोजगार देने वाले रहे होंगे ),और जाहिर रूप से पंचम भाव उत्पादन का भाव है तो ऐसे में इनकी इन तथाकथित संतानो ने नए नए साधनो द्वारा दशम भाव अर्थात इनके कार्य भाव को पंचम उत्पादन का बल दिया होगा ,अर्थात इनके कार्य व्यवसाय में नए नए ब्रांच आदि खुलवाये होंगे या कार्य को बढ़ाया होगा।  अष्टम का स्वामी द्वादश में उच्च हो जाय (यहाँ पर आप गुरु को इस अवस्था में बता रहे हैं) तो गुरु ने तो मोक्ष प्राप्त कर लिया। द्वादश भाव जीवन का लेखा -जोखा है।नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह गुरु जब द्वादश में उच्च हो गए तो अपने अष्टमेश के पाप से स्वयं ही मुक्त हो गए। याने संत की गद्दी पा गए। ऐसे में हर वो ग्रह जो गुरु  दृष्टि पाया होगा वो आशीर्वाद ही पाया होगा। ऐसे में अगर ये आपके कोई परिचित मित्र आदि हैं तो देखिएगा अपने प्रभाव से यही गुरु इन्हे लाभकारी विदेश यात्राओं का मौका देगा। द्वादश फिर  अष्टम से पंचम भाव  होता है व गुरु को पंचम भाव के स्वामित्व का या कहें कारकत्व का नैसर्गिक अधिकार प्राप्त होता है ,अतः अपने से प्रिय स्थान में अपनी उच्च को प्राप्त गुरु यदि इनका काम धंधा घर से बाहर दूर दूर (द्वादश )तक भी फैला दे तो इसमें कोई अचम्भा नहीं होना चाहिए। बुध पर ऐसे गुरु की दृष्टि जो की छठे भाव यानी द्वादश से सातवें यानि सहयोग के भाव में विराजमान हैं , प्राप्त करने वाली ही मानी जायेगी , गुरु  की राशि धनु से दूसरे भाव(दूसरा भाव प्राप्त होने का भाव है ) में ही बैठे बुध, व मीन से आय भाव में विराजमान बुध,गुरु से प्राप्त कर रहे है। ....... ,क्या प्राप्त कर रहे हैं  ? सहयोग ……  किस चीज का ……?आय को दूर दूर तक फैलाने का (आम भाषा में द्वादश भाव फैलने का भाव है )पंचम उत्पादन का व अष्टम (समुद्र पार) याने विदेशों तक.एक बात और, यही द्वादश लेखे -जोखे का भाव है ,नैसर्गिक शुभ गुरु इनका खर्च धर्म कर्म के कामों में करा कर इनके बाद भी इनकी कीर्ति, इनका नाम को बड़े सम्मान का अधिकारी बनाते हैं।छठा भाव कमजोरियों ,शत्रु ,तकलीफों का भाव है ,व एकादश छठे से छठा है यानि  शत्रु का भी शत्रु। ऐसे में वक्री एकादशेश का छठे में होना उस भाव से पैदा होने वाली दुश्वारियों के हनन का ही साधन बनेगा। स्थान कोई दुष्ट नहीं होता। जीवित आदमी के लिए मनहूस माना जाने वाला शमसान मुर्दे को मोक्ष प्राप्त करने वाला तीर्थ है।हिरन के लिए मौत की गुफा माने जाने वाली शेर की माँद  ,शेर के शावकों के पलने -बड़े होने ,अन्य जंगली जानवरों,सियार -लकड़भग्गों से बचने का आशियाना है.पेड़ पर अपना आशियाना बनाने की सुविधा पंछी को हासिल है मछली को कतई नहीं। कुंडली में एक स्थान किसी भाव के लिए दुष्ट हो सकता है किन्तु अगले ही भाव के लिए भाग्य स्थान हो सकता है सकता है। एक गेट में खड़ा चौकीदार टिकट लेकर घुसने वाले शख्श को सलाम ठोकता है वहीँ दूसरे  को धक्के देकर बाहर निकाल रहा है।ग्रह  भी अच्छा बुरा कुछ नहीं ,मात्र दशा- स्थान -जिम्मेदारी आदि  से बंधा हुआ एक शख्श मान लें आप। वो शक्श जो कोठी के बाहर खड़ा होकर उस घर की चौकीदारी कर रहा है,मालिक का अभिवादन कर रहा है ,गैरों को आँख दिखा रहा है। उसकी मज़बूरी है। अब स्वभाव से ढीला है तो चोर रात को चोरी कर रहे हैं ,स्वभाव से होशियार है तो दिन में भी परिंदा पर नहीं मार सकता। सरहद में दुश्मनो के सीने में गोली दाग रहा फौजी एक  ओर  किसी को अनाथ व विधवा बना रहा होता है वहीँ  दूसरी ओर अपने मुल्क में ईनाम पा रहा होता है। जिम्मेदारी है तो निभानी ही होगी। यही गति ग्रहों की है अंकित साहब।उच्च का होना अच्छा ही होगा ऐसा भी नहीं है ,नीच बुरा ही होगा ऐसा भी नहीं। इससे ग्रहों पॉवर में फर्क आता है। मेरा पडोसी सरकारी अधिकारी है और अपने बच्चों के लिए बहुत अच्छा भी। किन्तु मेरे बच्चों को आज तक एक टाफी भी नहीं दे सका। मुझे क्या करना है उसके अधिकारी होने या अच्छा होने का। आशा है इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे की ग्रह का अच्छा होना,कुंडली में आपके उससे संबंधों पर निर्भर , ग्रह का भाव व भाव पति से सम्बन्ध पर निर्भर करता है। आपका बुआ से सम्बन्ध कमजोर अथवा पूर्व में हुई बुआ के साथ कोई अनहोनी पर ध्यान दीजिये। ज्योतिष अथाह समुद्र है जैन जी ,व हम अपने सम्पूर्ण जीवन काल में इसकी एक बूँद भी प्राप्त कर पाएं तो धन्य होंगे। पता नहीं आपको कुछ संतुष्ट कर पाया या नहीं । ज्योतिष के प्रति आपकी जिज्ञासा देखकर सुखद अनुभूति हुई अन्यथा आज कल के पढ़े लिखे वर्ग में तो इसे अंधविश्वास ही माना जा  रहा है।                              

12 टिप्‍पणियां:

  1. Panditji,

    I am left completely speechless by 2 things

    1. The fact that you have spend so much time & energy in responding to the query, shows your selfless nature and your true passion towards your dharma ie astrology

    2. Without even knowing Steve Jobs (founder of world famous technology product company Apple), you have given such a true analysis of what Steve Jobs was that it completely left me astonished. Normally, I have seen astrologers do analysis of a celebrity post facto ie based on the past public knowledge about that celebrity however what you have done is absolutely brilliant...such a specific analysis of what Steve Jobs truly was is marvelous

    Panditji, If you dont mind, I would like to continue this conversation with you on a different platform, so if you deem fit I would like to take this conversation personally with you...please let me know how can I get in touch with you on email....my mail id is amitxyz1973@rediffmail.com


    Once again, I am truly thankful to you for spending so much time and also I am completely enamored with your knowledge & analysis of the suibject

    Thanks again & look forward to talking to you

    regards
    Amit Jain








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  2. saantaan ko sanskaarvaan teswani or ojpurn kese banaya jaye kya aap Prathm maah se bacche ke jnam tk matao kya khana or kon si puja mantra upaye krna chahey or bachhe ke peda hone ke baad kya kya upaaye krna chaheye es vishy pr koi ammulya post aap likh sakte hai..

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  3. गुरु जी प्रणाम
    बड़े संकट में हु संभवत अपने अब तक के जीवन के सबसे बुरे दौर में हु.अपनी बात मई विस्तार से बताना चाहता हु.गुरु जी मेरी सदी हो गयी आप के आशीर्वाद से एक पुत्र भी है.मई ४ साल पहले दुकान चलता था .दुकान में भी संघर्ष ही था.शादी के बाद भी मैंने पढाई चालू राखी.मई.N.E.T. की तैयारी करने लगा /पिछले साल मई से मई दुकान भी छोड़ कर पढाई में लग गया,मई पूरी तरह से बेरोजगार था,मेरे साथ मेरे बीवी बचो की भी जिमेदारी थी.सब कुछ N.E.T. पर टिका था.ईस्वर की कृपा से अक्टूबर १३ में मई नेट पास हो गया..मेरी खुसी की कोई सीमा नहीं थी पर certifikate आने के बाद अप्रैल १४ में मुझे पता चला की B.A. त्रतीय श्रेणी होने के कारन मुझे कही भी नौकरी नहीं मिल सकती. गुरु जी मई बर्बाद हो गया हु.आज परिवार को कैसे पालू.दुकान भी गया और ३ साल से जिसके लिए मेहनत किया उसे पाने के बाद भी वो मेरे किसी कम का नहीं ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ.गुरु जी मुझे अपने आगे बिलकुल अँधेरा दिख रहा है. कभी कभी मन में जीवन समाप्त करने का ख्याल आता है.आज २९ साल का हो गया पर एक पैसा नहीं कमा पता हु क्या करू... मेरा जीवनयापन किस फिल्ड से होगा.आज लोग हस्ते है मुझ पर.क्या करू गुरु जी आप ही रह दिखाए....
    मेरा D/O/B 23 june 1986 hai.janm sthan VARANASI hai.samay. 6.30 pm hai...
    कृपया रास्ता सुझाये गुरु जी...

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    1. विकास जी ,अध्यापन के लिए भाग्य आपका चयन नहीं करता।आपका कार्यक्षेत्र लोहे से है ,काली वस्तुओं से है। अतः शनि से सम्बंधित कार्य व्यवसाय कीजिये ,तुरंत लाभ होगा। प्रभु की कृपा से १५ महीनो में ही स्थिति आपके नियंत्रण में होगी। शुक्रवार के व्रत करें।

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  4. कृपया रास्ता सुझाये गुरु जी...

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  5. हरिओम जी ,आपके प्रश्न को लिया गया किन्तु आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। फिर भी आप इसी क्रम में हमारा पिछला लेख कर्क लग्न से सम्बंधित पढ़ें आपको सहायक होगा । आपका जन्म कर्क लग्न ,पुष्य नक्षत्र में हुआ है। चन्द्रमा स्वयं की राशि में ,मंगल स्वयं की राशि में ,बुध उच्च ,उच्च शनि , केंद्र के देवगुरु ,नीचभंग योग और क्या नहीं है इस कुंडली में जो इसे श्रेष्ट कुंडलियों में शुमार करे।मात्र एक सवा सात रत्ती का मूंगा धारण करें ,अपना कार्य व्यवसाय दक्षिण दिशा की ओर ले जाएँ। घर के दक्षिणी कमरे में रहें ,मांस मदिरा के सेवन न करें।जिद ,अभिमान का त्याग करें। इस वर्ष के अंत से आपको स्वयं भी यकीन नहीं होगा की भाग्य क्या वाकई ऐसे भी बदलता है। आप श्रेष्ट पुरुष हैं ,मात्र समय के चक्र को भोग रहे हैं। एक बार समुद्र में स्नान कर आओ फिर देखना जलवा अपनी कुंडली का। मायूस होने की आवश्यकता ही नहीं है। खुश रहो ………

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  7. Guru ji,
    Apke maadhyam se bahut sari jankari prapt ho rahi hai , uske liye shukriya.Mera ek sawal hai apse meri sister ke bare me. Uski shadi nahi ho pa rahi hai & job bhi achi nahi chal rahi. Kripya koi upaye bataye ke uski shadi ho jaye. kya uski shadi arrange hogi ya love.Uski details hai DOB : 23-4-1983 Time : 00:35am Place : Delhi

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  8. Guru ji Pranam
    Meri DOB Hai 19/08/1981, 6:32 am, BHOPAL, meri problem hai ki meri wife se meri bilkul bhi patri nahi bethti he kya mera divorce hoga ?

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