मंगल का सीधा सम्बन्ध रक्त से होता है.कुछ विशेष स्थानों में मंगल रक्त में उग्रता और कुछ मामलों में रक्त की अशुद्धि देता है.अपने ध्यान दिया होगा की मांगलिक अथवा मंगल से संभंधित लग्न के जातक खुजली ,फोड़े -फुंसियों आदि से अधिकतर प्रभावित होते हैं.साथ ही कुछ जातक असाधारण रूप से उग्र होते हैं.ऐसे में मैं व्यक्तिगत रूप से जब भी कुंडली मिलान करता हूँ ,तो इस पहलु को विशेष ध्यान रखता हूँ.मेरा मानना है की यदि एक कुंडली में मंगल दोषकारक हो रहा हो तो कम से कम दूसरी कुंडली में मंगल अपनी शुद्धता के साथ होना चाहिए.या किसी अन्य शुभ गृह की दृष्टि सम्बंधित भाव पर अवश्य होनी चाहिए.
मांगलिक वर के लिए मांगलिक कन्या का क्या अर्थ है मेरी समझ से बाहर है. क्या ऐसी अवस्था में हम मंगल से होने वाले सम्बंधित भाव को अधिक खराब नहीं कर देते?यदि किसी कुंडली में मंगल अपनी नकारात्मक उग्रता किसी जातक को दे रहा है तो ये आवश्यक हो जाता है की जातक का जीवन साथी सौम्य स्वाभाव ,व उग्रता में कम हो.ताकि जीवन में कभी यदि एक गुस्से में अपना नियंत्रण खो देता है तो कम से कम दूसरा स्तिथि को सम्हालने का प्रयास करे.साधारण सा नियम है की किसी भी प्रभाव को कम करना हो तो उसके विपरीत कारक को मजबूत करने का प्रयास करें.यदि गर्मी कम करनी है तो ठण्ड को प्रभावी होने दें,यदि अँधेरा कम करना है तो प्रकाश की मात्रा को अधिक करें.इसी प्रकार यदि मंगल कहीं किसी भाव को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है तो ,मंगल के व्यवहार के विपरीत गृह द्वारा उस भाव को सम्हालने वाली कुंडली को तलाश कीजिये.यही सुखी वैवाहिक जीवन का मन्त्र है.मंगल से मंगल को काटने वाली बात बेतुकी है.
मंगल के बारे में नयी ही जानकारी प्राप्त हो रही है आज तो.अच्छा प्रयास है.
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